निपाणी में ‘राष्ट्रीय हिन्दू आंदोलन’द्वारा मांग
पाठ्यपुस्तक में क्रांतिकारकों को ‘आतंकवादी’ सिद्ध करनेवालों पर याचिका प्रविष्ट करें !
निपाणी : देहली विद्यापिठ के ‘भारत का स्वतंत्रता संघर्ष’ इस पाठ्यपुस्तक में शहीद भगतसिंग के साथ चंद्रशेखर आजाद, सूर्यसेन आदि क्रांतिकारकों को ‘आतंकवादी’ सिद्ध करने का घृणास्पद कृत्य किया गया है !
ऐसी घटना निरंतर के लिए प्रतिबंधित करने हेतु उनसे संबंधित सभी लोगों पर याचिका प्रविष्ट करनी चाहिए। साथ ही हिन्दू मंदिरों के गर्भगृह में महिलाओं को प्रवेश की मांग करनेवाले पुरोगामियों के कारण सहस्त्रों वर्षों की प्राचीन धार्मिक प्रथा-परंपरा शासन ने तथा न्यायालय ने परस्पर बंद नहीं करनी चाहिए। उस संदर्भ में हिन्दू धर्म के धर्माचार्य, शंकराचार्य तथा काशी विद्वत परिषद का मार्गदर्शन लेकर निर्णय अपनाना चाहिए। इन मांगों को लेकर हिन्दूत्वनिष्ठ संगठनों की ओर से २६ मई प्रातः ११ बजे ‘राष्ट्रीय हिन्दू आंदोलन’ किया गया।
इस आंदोलन में श्री शिवप्रतिष्ठान, श्रीराम सेना, सनातन संस्था तथा हिन्दू जनजागृति समिति के कार्यकर्ता एवं अन्य धर्माभिमानी सम्मिलित हुए थे। सूत्रसंचालन श्री. जुगल वैष्णव ने किया।
मान्यवरोंद्वारा व्यक्त किये गये विचार, इस प्रकार…
१. श्रीमती अलका पाटिल, सनातन संस्था – यदि भूमाता ब्रिगेड की तृप्ती देसाई को स्त्री-पुरुष के संदर्भ में समानता चाहिए, तो वह समान नागरी अधिनियम पारित करने के लिए प्रयास क्यों नहीं करती ?
२. श्री. किरण दुसे, हिन्दू जनजागृति समिति – गोदरेज समुह के आदी गोदरेज ने गोमांस भक्षण करने के संदर्भ में वेदों में लिखा है, साथ ही यह भी बताया कि, ‘गोमांस तथा मद्यबंदी के कारण देश को आर्थिक हानि पहुंची है !’ उनके इन विचारों का हम तीव्र विरोध करते हैं। उन्होंने समस्त हिन्दूत्वनिष्ठों की क्षमा मांगनी चाहिए, साथ ही उनपर कार्रवाई होनी चाहिए !
३. हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. प्रितम पोवार ने भी उस समय अपने विचार व्यक्त किए।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात