हिंदुओ, पुनः ऐसे समयसे बचने हेतु
आप शासनको धर्मशिक्षणके लिए बाध्य करें !
बेलगांव (कर्नाटक), १५ सितंबर (वृत्तसंस्था) – यहां के अज्ञात श्री गणेशोत्सव मंडलकी ५ फुट ऊंची श्री गणेशमूर्ति गंदे पानीमें पडी हुई दिखाई दी । (आज हिंदुओंको धर्मशिक्षण न मिलनेसे उनके श्रद्धास्थान अर्थात् श्री गणेशमूर्तिका ऐसे अनादर हो रहा है । यह स्थिति बदलने हेतु सभी हिंदुओंको संगठित होकर शासनको धर्मशिक्षणके लिए बाध्य करना चाहिए ! – संपादक)
यह ध्यानमें आते ही श्रीरामसेनाके धर्माभिमानी कार्यकर्ताओंने उस मूर्तिको बाहर निकालकर पुनः उसे तालाबमें विसर्जित किया । (धर्महानि रोकनेके लिए तत्परतासे कार्य करनेवाले श्रीरामसेनाके कार्यकर्ताओंका अभिनंदन ! ऐसे धर्माभिमानी कार्यकर्ता सर्वत्र हों ! – संपादक) कुछ लोगोंको एक श्री गणेशोत्सव मंडलकी श्री गणेशमूर्ति गंदे पानीमें गिरी हुई दिखाई दी । एक जाग्रत हिंदुधर्माभिमानीने श्रीराम सेनाके कार्यकर्ताको इस विषयमें जानकारी दी । (धर्महानिकी घटना होनेपर हिंदुओंको श्रीराम सेनाका स्मरण होना, यह पुलिस एवं प्रशासनने हिंदुओंका विश्वास खोनेका ही द्योतक है ! – संपादक)
तत्काल श्रीराम सेनाके सर्वश्री अनिल कुरणकर, प्रसन्नकुमार लोहार एवं हिंदु जनजागृति समितिके श्री. सुधीर हेरेकरने घटनास्थलपर जाकर श्री गणेशोत्सव महामंडलके अध्यक्ष श्री. बाळासाहेब काकतकर, शहापुर गणेशोत्सव महामंडलके अध्यक्ष श्री. नेताजीराव जाधव, महापालिकाके अधिकारी एवं पुलिस प्रमुखको इस संदर्भमें बताया । उस समय श्री. काकतकर, श्री. जाधव एवं शहापुर पुलिस थानेके निरीक्षक श्री. राजन नाईक एवं अन्य संगठनोंके कार्यकर्ता भारी मात्रामें वहां एकत्र हुए ।
दोपहरमें ४ बजेके उपरांत ‘क्रेन’ मंगवाई गई; परंतु अंत तक क्रेन न आनेसे श्रीराम सेनाके जनपद अध्यक्ष श्री. रमाकांत कोंडूसकर, सर्वश्री आदिनाथ गावडे, विजय पाटील, यशवंत पुरे, राजू सुतार एवं अभिजीत उस गंदे पानीमें उतरे । उन्होंने अथक प्रयास कर, वह ५ फूट ऊंची मूर्ति बाहर निकाली और सायं. ७ बजे उस मूर्तिका तालाबमें विसर्जन किया । मूर्ति निकालते समय वहां आए महापालिकाके अधिकारियोंने भ्रमणभाषपर बात कर आप बहुत बडा काम कर रहे हो, ऐसा जतानेका नाटक किया परंतु प्रत्यक्षमें किसी अधिकारीने कोई सहायता नहीं की । पुलिसने वहां एकत्र हुए हिंदुओंको खदेडनेमें ही अपना बडप्पन दिखाया ।
(ऐसे बडप्पन दिखानेवाले और केवल हिंदुओंपर ही अपनी धाक जमानेवाले पुलिस अधिकारी हिंदुओंका तनिक भी कल्याण नहीं कर सकते । इसलिए हिंदुराष्ट्रकी निर्मिति अत्यंत आवश्यक है ! – संपादक) कुछ मद्यपान किए हुए नागरिक मूर्ति निकालनेवाले कार्यकर्ताओंके लिए अडचनें उत्पन्न कर रहे थे और कुछ कर्मदरिद्री हिंदु गुटखा खाकर उस गंदे पानीमें थूक रहे थे । (वास्तवमें ऐसे मद्यपी और कर्मदरिद्री हिंदु ही हिंदु धर्मके बैरी हैं ! – संपादक)
स्रोत : Dainik Sanatan Prabhat