हुबळी (कर्नाटक) : यहां ५ जून २०१६ को शबरीमला अय्यप्पा सेवा समाज की ओर से श्री शिवराम गुरुस्वामीजीद्वारा एक चर्चासत्र आयोजित किया गया था। उन्होंने कार्यक्रम का नेतृत्व किया।
इस अवसर पर हिन्दू जनजागृति समिति की श्रीमती विदुला हळदीपुर एवं श्रीराम सेना के श्री. प्रमोद मुतालिक उपस्थित थे।
चर्चासत्र में बोलते हुए श्रीमती हळदीपुर ने कहा कि, यदि मंदिरों की पवित्रता संजोई गई तो ही ‘धार्मिक परंपरा’ओं की रक्षा संभव है; परंतु पिछले कुछ दिनों से महाराष्ट्र की तृप्ति देसाई, विद्या बाळ एवं अनिता गुट्टे समान महिलाएं ‘हिन्दू धर्म एवं परंपरा’ओं का अनादर करते हुए उन्हें नष्ट करने का प्रयास कर रही हैं !
‘हिन्दू धर्म’ में महिला को देवी का रूप समझ कर उसका सम्मान किया जाता है ! इसलिए हिन्दू धर्म में स्त्री-पुरुष ऐसी असमानता होने का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता। कुछ निश्चित मंदिरों के अतिरिक्त अन्य मंदिरों में महिलाओं को गर्भगृह में प्रवेश है !
शबरीमला मंदिर एक ‘जागृत’ मंदिर होने से १० से ५० वर्ष तक की महिलाओं को धर्म परंपरा के अनुसार वहां प्रवेश करने हेतु प्रतिबंध लगाया गया है। इसलिए तृप्ति देसाई के शबरीमला अयप्पा मंदिर में प्रवेश के लिए हिन्दू जनजागृति समितिद्वारा तीव्र विरोध किया गया है !
क्षणिकाएं
१. शबरीमला अय्यप्पा रक्षा समिति के अध्यक्ष एवं अभिनेता श्री शिवराम गुरुस्वामीजीद्वारा यहां आयोजित सनातन संस्था की प्रदर्शनी का भ्रमण कर संस्था के कार्य की प्रशंसा की गई। उन्होंने सनातन पंचांग क्रय करने से पूर्व उसका महत्व एवं विशेषता जान कर ली।
२. चर्चासत्र हेतु उपस्थित सभी स्वामीजी ने हिन्दू जनजागृति समितिद्वारा प्रस्तुत सूत्रों को स्वीकृति दर्शाई तथा समिति से उनके क्षेत्र के मंदिरों में ऐसी पद्धतियों की बैठकों का आयोजन करने की मांग की।
३. तुमकुर के कन्नड साहित्य संम्मेलन के अध्यक्ष श्री. डी. चंद्रप्पाद्वारा हिन्दू जनजागृति समिति से उनके शबरीमला अय्यप्पा सेवा समाज न्यासद्वारा प्रकाशित पाक्षिक में प्रसिद्ध करने हेतु हिन्दू धर्म से संबंधित लेखों की मांग की गई है !
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात