गाजियाबाद – तीन संतों ने अपने खून से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, संघ प्रमुख मोहन भागवत और विहिप नेता प्रवीण तोगड़िया को पत्र लिखकर हिंदुआेंकी हो रही उपेक्षा पर अपना दुख व्यक्त किया है । तीनों संतों ने देश में मुसलमानोंके तुष्टिकरण की नीति पर प्रश्न उठाते हुए इसको रोकने की मांग की है।
संतों ने पहले एक श्रृंखला के माध्यम से अपने हाथ से रक्त निकाला और इसके बाद कलम से प्रधानमंत्री और संघ प्रमुख व विहिप नेता को संबोधित करते हुए खत लिखा। इसमें समान नागरिक संहिता और कठोरतम जनसंख्या नियंत्रण कानून की एक नई व्यवस्था की मांग की गई है।
खत लिखने वाले संतों में देहली के ऐतिहासिक कालिका शक्तिपीठ के महंत श्री सुरेन्द्रनाथ अवधूत जी, गाजियाबाद के ऐतिहासिक मठ श्री दुधेश्वरनाथ के संत स्वामी नारायण गिरी जी महाराज और यति नरसिंहानंद सरस्वती जी शामिल हैं।
इन संतों ने एक सुर में कहा कि हिन्दुओंं की घटती जनसंख्या अनुपात का परिणाम हैं कि कैराना,लंढौरा और मालदा जैसे भीषण कांड हो रहे हैं। इसलिए सरकार को तत्काल इस पर विचार कर नए कानून बनाने की आवश्यकता है।
संतों ने कहा कि, कठोरतम जनसंख्या नियंत्रण कानून की मांग को लेकर आगामी 19 जून को दिल्ली के जन्तर मन्तर पर विशाल धरना आयोजित किया जाएगा। उन्होंने इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री और संघ प्रमुख को आने का न्यौता दिया। इस मौके पर स्वामी नारायण गिरी जी व यति नरसिंहानंद सरस्वतीजी ने इस कार्यक्रम के लिए तन,मन और धन से समर्थन देने का आश्वासन भी दिया।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को संतो और भक्तोंं की भावनाओं को समझना होगा।
उन्होंने कहा की धर्म की रक्षा यदि संत नहीं करेंगे तो कौन करेगा। आज जिस तरह से अल्पसंख्यक तुष्टिकरण और वोट बैंक की राजनीति ने देश को बर्बाद किया है, उसके लिये संतो की उदासीनता भी जिम्मेदार हैं।यदि संत समाज केवल नेताओंं में कमी निकालकर अपने कर्तव्य को पूर्ण मानता है तो यह देश,धर्म और समाज के साथ विश्वासघात है, जिसके लिए आने वाली पीढ़ियांं कभी भी संत समाज को क्षमा नहीं करेगी।
स्त्रोत : जागरण