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हुबळी (कर्नाटक) : हिन्दू जनजागृति समिति प्रणित रणरागिणी शाखा तथा गुरुप्रभा ट्रस्ट की ओर से झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का बलिदान दिन संपन्न !

झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का बलिदान दिन, हुबळी (कर्नाटक) में संपन्न !

रानी लक्ष्मीबाई की प्रतिमा को पुष्पहार समर्पित करती हुई, बाईं ओर से श्रीमती विदुला हळदीपुरकर तथा श्रीमती संध्या दीक्षित
रानी लक्ष्मीबाई की प्रतिमा को पुष्पहार समर्पित करती हुई, बाईं ओर से श्रीमती विदुला हळदीपुरकर तथा श्रीमती संध्या दीक्षित

हुबळी (कर्नाटक) : यहां हिन्दू जनजागृति समिति तथा गुरुप्रभा ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में ११ जून को झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का बलिदान दिन मनाया गया।

इस पार्श्वभूमि पर आयोजित कार्यक्रम का आरंभ रणरागिणी शाखा की धारवाड जनपद समन्वयक श्रीमती विदुला हळदीपुरकर तथा संस्कार भारती की प्रचारक श्रीमती संध्या दीक्षित के हाथों रानी लक्ष्मीबाई के छायाचित्र को पुष्पहार समर्पित कर, किया गया।

इस अवसर पर श्रीमती हळदीपुर ने बताया कि, ‘आज महिलाओं को पाश्चात्त्य संस्कृति का अंधानुकरण करने की अपेक्षा हिन्दू धर्म में विद्यमान मूल्यों का पालन करना चाहिए। झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का आदर्श अपनाकर ‘धर्मपालन तथा राष्ट्ररक्षण’ करने के लिए सिद्ध रहना चाहिए !

भूमाता ब्रिगेड की तृप्ती देसाई के समान कुछ पुरोगामी महिलाएं अपने आप को कथित समानाधिकार प्राप्त होने के लिए शबरीमला मंदिर के समान मंदिरों के गर्भगृह में प्रवेश करने की आक्रमक मांग कर रही हैं। इन महिलाओं ने पहले हिन्दू धर्म का तथा उससे प्रतिपादित किए गौरवशाली परंपरा का महत्त्व ज्ञात करना चाहिए।

इस समय संबोधित करते हुए संस्कार भारती की प्रचारक श्रीमती संध्या दीक्षित ने कहा कि, ‘भारतीय इतिहास में राष्ट्र के लिए सर्वस्व अर्पण करनेवाली महिलाएं सदैव धर्माचरण एवं धर्मपरंपराओं का पालन करती थीं। महिलाओं को सुसंस्कृत करने के लिए उन्हें धर्मशिक्षण देना आवश्यक है !’

क्षणिकाएं

१. उस समय उपस्थितों को धार्मिक कृती के संदर्भ में शास्त्र कथन करनेवाली विडिओ सीडी का प्रसारण किया गया।

२. कार्यक्रम के लिए उपस्थित एक महाविद्यालय के प्राचार्या ने अपने महाविद्यालय के छात्राओं में जागृति निर्माण करने के लिए रणरागिणी शाखा को एक कार्यक्रम आयोजित करने की बिनती की।

३. कार्यक्रम के पश्चात गुटचर्चा में सम्मिलित महिलाओं में से श्रीमती प्रभा दोडमणी ने बताया कि, ‘रणरागिणी शाखाद्वारा प्राप्त मार्गदर्शन के कारण हमें यह बात ध्यान में आई है कि, दैनंदिन जीवन में धर्माचरण का कितना महत्त्व है ? धर्माचरण करना ही अपने जीवन का मुख्य दायित्व है !’

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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