पंचम अखिल भारतीय अधिवेशन में हिन्दुत्वनिष्ठों को मार्गदर्शन करते हुए स्वामी दिव्य जीवनदासजी महाराज जी ने कहा, चतुर्थ अखिल भारतीय अधिवेशन के उपरांत गत एक वर्ष में हिन्दुआें को आत्मपरीक्षण करनेपर विवश करनेवाली कुछ घटनाएं घटी है । जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में हुई राष्ट्रद्राेही नारेबाजी, दादरी प्रकरण, बंगाल के मालदा में हुर्इ हिंसा के प्रकरणसहित अन्य कुछ घटनाआें ने ‘क्या हिन्दु सुरक्षित है ?’, ‘क्या हिन्दु प्रतिकारक्षम हैं ?’ एेसे कुछ प्रश्न उपस्थित किए ।
आज का हिन्दुत्वनिष्ठ राजनीतिक दल का शासन क्या हिन्दुत्व को पुनर्प्रस्थापित कर पाएगा ? इस संदर्भ में विचारमंथन हुआ । इस के फलस्वरूप अनेक हिन्दुआें ने ‘व्हॉट्स अॅप’, ‘फेसबुक’ आदि के माध्यम से अपने गुट बनाए; किंतु अब हिन्दुुत्व को केवल एक उंगली से भ्रमणभाष पर दिया जानेवाला समर्थन पर्याप्त नहीं है, अपितु दोनो भूजाएं उन्नत कर दिए जानेवाले सक्रिय समर्थन की आवश्यकता है । इसलिए अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन आज अत्यावश्यक बन गया है । यहां एकत्रित हिन्दुओं को हिन्दू राष्ट्र हेतु अधिकाधिक संगठित कदम उठा कर ‘हिन्दू राष्ट्र’ स्थापित करने का ध्येय साकार करने हेतु सक्रिय होना चाहिए, यह प्रार्थना !