पंचम अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन के सत्र में मार्गदर्शन करते हुए अधिवक्ता हरिशंकर जैन ने कहा कि, देश में बने हुए कानून अल्पसंख्यकों को अधिकार प्रदान करनेवाले हैं । इन कानूनों में हिन्दुआें को सुरक्षा देने के लिए कुछ नहीं है । इसलिए जब तक संविधान में परिवर्तन नहीं होगा, तब तक हिन्दुआें को न्याय मिलना कठिन है । उसके लिए जनता का संगठन आवश्यक है । संविधान में परिवर्तन करवाने का सामर्थ्य हिन्दुआें में निश्चित ही है । भले देश लुट जाए, उसका विभाजन हो जाए; परंतु राज्यकर्ता मतों के लिए चापलूसी छोडने हेतु सिद्ध नहीं हैं । ऐसी स्थिति परिवर्तित करने के लिए केवल शासन पर निर्भर रहना उचित नहीं है । शासन उसका कार्य करेगा, हमें अपना कार्य करना चाहिए ।
मानवता की रक्षा करने के लिए हिन्दू राष्ट्र आवश्यक !
हिन्दुआें पर अलग अलग माध्यमों से आघात हो रहे हैं । हिन्दुआें को कहीं न्याय नहीं मिलता । देश में अधिकतर विद्यालय ईसाई हैं । उनमें वन्दे मातरम्, भारतमाता की जय, आदि बोलना प्रतिबंधित है । यदि हिन्दुआें को अपनी धर्म और संस्कृति बचानी हो, स्वयं की रक्षा करनी हो, इस देश को बचाना हो तथा अखिल मानवता की रक्षा करनी हो, तो हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करनी चाहिए । देश को मानवता के विरोधियों से मुक्त करने के लिए हिन्दू राष्ट्र बनाएं ।
सनातन संस्था द्वारा प्रज्वलित ज्वाला आगे लेकर जाएंगे !
आजकल शनिशिंगणापुर, शबरीमाला आदि तीर्थक्षेत्रों पर कुछ पुरोगामी महिलाआें द्वारा प्राचीन काल से चली आ रही धर्मपरंपराएं तोडने का प्रयास किया जा रहा है । जब जब धर्म डूबेगा, तब तब हानि होगी । अपने मंदिरों में दान दिया गया धन शासन अधिग्रहित कर लेता है । कुछ मंदिरों में लोग धन का घोटाला करते हैं । इसलिए हमारे मठ, अखाडे तथा मंदिरों का संचालन करनेवाली राष्ट्रीय स्तरपर एक हिन्दुआें की संस्था बनानी चाहिए । सनातन संस्था ने ज्वाला प्रज्वलित की है, उसे बुझने नहीं देंगे, आगे लेकर जाएंगे और हिन्दू राष्ट्र स्थापित करेंगे, ऐसा संकल्प करें । सभी भेदभाव भुलाकर इस संकल्प हेतु एकत्रित आएं, हिन्दू राष्ट्र हेतु संघर्ष करने की सिद्धता रखें । हिन्दू राष्ट्र बनने पर संसार में शांति स्थापित होगी और संसार का कल्याण होगा ।