गोवा में हो रहे पंचम अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन के प्रथम दिन केरल के अधिवक्ता श्री. गोविंद के. भरतन् ने कहा कि, आज अधिवक्ता ही न्यायव्यवस्था की दुर्बल कडियों का दुरुपयोग कर रहे हैं । इसलिए लोगों को धर्म के लिए न्यायव्यवस्था का उचित उपयोग करने के विषय में अवगत करवाना चाहिए । उसके लिए केवल इच्छाशक्ति होना पर्याप्त नहीं है, अपितु उस इच्छाशक्ति को क्रियाशक्ति की जोड देना आवश्यक है । यह क्रियाशीलता ही कृतिशीलता है । उसके साथ ही आगे ज्ञानशक्ति जुडने पर हिन्दुआें को विधिसाक्षर अर्थात विधि प्रक्रिया की संपूर्ण जानकारी देना आवश्यक है; जिससे न्यायालयीन प्रक्रिया के भय से उनका फंसना हम रोक सकेंगे ।