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हिन्दू महिलाआें को वीरांगना बनने के लिए आध्यात्मिक स्तर पर भी सक्षम बनना आवश्यक – प्रतीक्षा कोरगावकर, महाराष्ट्र राज्य संगठक, रणरागिणी

Pratiksha_Korgaokar

रामनाथी (गोवा) –   रणरागिणी की  महाराष्ट्र राज्य संगठक प्रतीक्षा कोरगावकर ने पंचम अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन में उपस्थितोंको संबोधित करते हुए कहा, आज हिन्दू महिलाआें को राजमाता जिजाऊ, रणरागिणी रानी लक्ष्मीबाई, चित्तौड की रानी चेन्नमा जैसी वीरांगनाआें का आदर्श रखने के लिए शारीरिक और मानसिक सिद्धता के साथ ही आध्यात्मिक सिद्धता भी करनी चाहिए । साधना कर आध्यात्मिक दृष्टि से सक्षम बनी हुई हिन्दू महिलाएं ही ‘यह भारत की नारी है, फूल नहीं चिंगारी है ।’ इस घोषणा हेतु खरे अर्थ से पूरक कार्य कर सकती हैं ।’’

कु. कोरगावकर ने आगे कहा,

१. आधुनिकतावाद के नाम पर कुछ महिलाआें ने श्री शनिदेव के चबूतरे पर चढने की दांभिकता की थी; परंतु शनिशिंगणापुर और परिसर की एक महिला भी उनमें नहीं थी । इसलिए इन आधुनिकतावादी ढोंगी महिलाआें का पराभव ही है ।

२. जो महिलाएं कभी मार्गपर नहीं उतरी थीं, उन्होंने कोल्हापुर के श्री महालक्ष्मीदेवी के गर्भगृह में घुसनेवाली नास्तिकतावादी महिलाआें को पाठ पढाया, यह महिलाआें में धर्मजागृति होने का परिणाम है ।

३. हिन्दू महिलाआें को धर्मशिक्षा तथा स्वसुरक्षा तथा अश्‍लीलता, ‘लव्ह जिहाद’ का विरोध करना रणरागिणी शाखा के कार्य के पहलू हैं ।

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