हिंदुओंका विश्वास संपादित कर उनका आशास्थान बना ‘हिंदु जनजागृति समिति’ का जालस्थल !

शुद्ध भाद्रपद कृ.१४, कलियुग वर्ष ५११४ 

 

तत्पर एवं वस्तुनिष्ठ प्रसारके कारण हिंदुओंका विश्वास संपादित कर उनका आशास्थान बना ‘हिंदु जनजागृति समिति’ का जालस्थल !

 


हिंदु जनजागृति समिति’ स्थापित करते समय समितिका कार्य लगनसे करनेवाले  प्रत्येक कार्यकर्ताकी अभिलाषा थी कि समिति विश्वमें प्रत्येक राष्ट्रप्रेमी एवं धर्मप्रेमी हिंदुके लिए अधिकारका व्यासपीठ बने । समितिके प्रेरणास्थान प.पू. डॉक्टर आठवलेजी एवं भगवान श्रीकृष्णजीके कृपाशीर्वादसे कार्यकार्ताओंकी इच्छा पूरी हो रही है । समितिके कार्य तथा ‘हिंदु जनजागृति समिति’ द्वारा आरंभ किए गए www.hindujagruti.org जालस्थलको पूरे विश्वके पाठकोंका उत्स्फूर्त प्रतिसाद मिल रहा है । वास्तवमें समितिके जालस्थलपर हम जो समाचार दे रहे हैं, उनमें अधिकांश समाचार ‘हिंदू राष्ट्र’ एवं हिंदु धर्मपर होनेवाले आघातोंके संदर्भमें ही होते हैं । हिंदुओंकी पूरे विश्वमें हो रही दयनीय स्थितिके विषयमें ये समाचार होते हैं । यह समाचार देते हुए हमें भी वेदना होती हैं परंतु वह नहीं दी गई, तो हिंदुओंकी स्थिति संकट आनेपर बालूमें सिर घुसाकर बैठनेवाले शुतुरमुर्ग जैसी हो जाएगी ! यह सब जानकारी देनेका  उदात्त उद्देश्य है कि हिंदुओंमें जागृति होकर वे संगठित हों एवं हिंदुओंकी अगली पीढी तो इस संकटसे बाहर निकले एवं भारतमें ‘हिंदू राष्ट्र’ स्थापित हो ।

गत कुछ दिनोंमें घटित कुछ प्रसंगोंसे हमारा यह उद्देश्य कुछ मात्रामें सफल होता दिखाई दे रहा है । श्रीकृष्णकी कृपासे समितिका जालस्थलन अब अनेक हिंदुओंको अपना लग रहा है । अनेक हिंदू धर्माभिमानियोंद्वारा प्रतिक्रिया व्यक्त की गई है कि उन्हें यह अपने अधिकारका व्यासपीठ लगता है । इसलिए आज अनेक धर्माभिमानी हिंदू स्वयं ‘हिंदू राष्ट्र’ एवं हिंदु धर्मपर होनेवाले आघातोंके समाचार हमें भेजकर उसे जालस्थलपर रखनेका निवेदन  करने लगे हैं । जालस्थलको भेंट देनेवालोंकी संख्या भी बढती जा रही है । इस संदर्भमें कुछ उदाहरण आगे दे रहे हैं । हिंदुओंमें ऐसी ही जागृति होकर उनका संगठन हों एवं भारतमें ‘हिंदू राष्ट्र’ स्थापित हो, यह श्रीकृष्णके चरणोंमें प्रार्थना !

१. भारतमें ‘पाकिस्तानका स्वतंत्रता दिवस’ मनाया जाना

१ अ. भारतमें पाकिस्तानका स्वतंत्रता दिवस’ मनाया गया, इस समाचारका  अन्य जालस्थलोंद्वारा अत्यल्प प्रसार होना  : १४ अगस्त २०१२ को भारतमें भाग्यनगर (हैद्राबाद) के मुसलमानोंने पाकिस्तानका ध्वज फहराकर ‘पाकिस्तानका स्वतंत्रता दिवस’ मनाया । इस संदर्भमें कुछ स्थानीय समाचारप्रणालोंने यह समाचार जालस्थानपर दिखाया । केवल एक जालस्थानपर इसकी छोटीसी जानकारी  दी गई थी ।

१ आ. समितिद्वारा जालस्थानपर प्रकाशित समाचारको प्रचंड प्रतिसाद ! : सोशल नेटवर्किंग जालस्थल ‘ट्विटर’ द्वारा एक हिंदू धर्माभिमानीने समितिको इस संदर्भमें सूचित किया । सूचना प्राप्त होते ही  यह समाचार तत्काल समितिके जालस्थलपर रखा गया एवं उसका केवल ‘ट्विटर’ पर  प्रसार किया गया । फिर भी केवल प्रथम ३ घंटोंमें यह समाचार ३५० से अधिक लोगोंने देखा ।

१ आ १. जिज्ञासुओंके अभिप्राय

अ. समितिके जालस्थलकी  तत्परता अच्छी है ! : ‘समितिद्वारा यह समाचार तत्काल जालस्थलपर प्रसारित कर अच्छा कार्य किया गया है । हमें अपना प्रसारमाध्यम ऐसे ही प्रबल बनाना चाहिए !’ – श्री. शिव सिंह, समितिके ‘ट्विटर के अनुयायी

२. बरेली, उत्तर प्रदेशमें हुए दंगे

२ अ. उत्तर प्रदेशमें भडके दंगोंके समाचारमें अन्य प्रसारमाध्यमोंद्वारा केवल हिंदुओंके ही हिंसाचारके संदर्भमें बल दिया जाना : श्रावण शु. ३, कलियुग वर्ष ५११४ (२२.७.२०१२) को बरेली, उत्तरप्रदेशमें कावडमें पानी लेजानेवाले शिवभक्तोंद्वारा लगाए गए ध्वनिक्षेपकपर मुसलमानोंने आपत्ति जताई एवं वहांके हिंदुओंपर गोलीबारी की, जिसमें अनेकहिंदू घायल हुए । तत्पश्चात भडके दंगेमें एक मुसलमानकी मृत्यु हुई एवं अन्य अनेक लोग घायल हुए । अनेक प्रसारमाध्यमोंने इस समाचारके ‘हिंदू समूहने भारी मात्रामें एकत्र आकर आग लगाना आरंभ किया’, इस समाचारपर अधिक मात्रामें ध्यान केंद्रित किया था एवं किसी भी दूरचित्र प्रणालपर इस घटनाका समाचार अधिक समयतक नहीं दिखाया  गया ।

२ आ. समितिके जालस्थल पर तत्परतासे यथार्थ वस्तुनिष्ठ  प्रसार करना : समितिद्वारा अपने जालस्थलपर बरेलीके संदर्भमें तत्परतासे एवं वस्तुनिष्ठ  समाचार प्रस्तुत किया गया । अनेक हिंदुओंद्वारा ‘ट्विटर’ एवं ‘फेसबुक’  जालस्थलपर  प्रतिक्रियाएं व्यक्त की  गई हैं कि, ‘इस संदर्भमें हमें कुछ भी ज्ञात नहीं था । समितिने यह समाचार प्रसारित कर अच्छा कार्य किया है ।’ अंग्रेजी एवं हिंदी भाषामें प्रसारित इस समाचारको कुल २ सहस्रसे अधिक लोगोंने भेंट दी । समितिके ‘फेसबुक’के पृष्ठपर इस संदर्भमें रखे गए  समाचारको १७ सहस्रसे अधिक लोगोंद्वारा भेंट दी गई ।

२ इ. जन्माष्टमी महोत्सवके अवसरपर मुसलमान दंगाईयोंद्वारा  पुनः दंगा भडकाया जाना

२ इ १. प्रसारमाध्यमोंद्वारा मुसलमानोंका स्पष्ट उल्लेख न किया जाना

तदुपरांत कुछ दिनोंके पश्चात यहां जन्माष्टमी महोत्सवके अवसरपर पुनः एक बार ध्वनिक्षेपकके कारण ही हिंदू-मुसलमान दंगा भडका; परंतु किसी भी प्रसारमाध्यमने मुसलमानोंका स्पष्ट रूपसे उल्लेख न कर केवल ‘दो गुटमें दंगा भडका’ ऐसा समाचार प्रसारित किया ।

२ इ २. समितिके जालस्थलपर प्रसारित  समाचारको मिला प्रतिसाद !

इस समाचारको १ सहस्रसे अधिक लोगोंने भेंट दी । समितिके ‘फेसबुक’ के पृष्ठपर इस विषयपर  रखे गए लेखको १३ सहस्र ८०० से अधिक लोगोंने भेंट दी ।

३. उत्तर प्रदेशके गाझियाबादमें दंगा

३ अ. हिंदू एवं मुसलमानोंमें भडके दंगेके समाचारको एक समाचारपत्रके अतिरिक्त अन्य प्रसारमाध्यमोंने प्रसारित न करना

आषाढ कृ. ५, कलियुग वर्ष ५११४ (८.७.२०१२) को हिंदू एवं मुसलमानोंमें साधारणसे कारणको लेकर विवाद हुआ एवं उसका रूपांतर दंगेमें हो गया, जिसमें १ हिंदू लडकेकी मृत्यु हो गई एवं ३ लोग घायल हुए । यह समाचार दूसरे दिन केवल ‘इंडियन एक्सप्रेस’ समाचारपत्रमें प्रकाशित किया  गया था; परंतु अन्य प्रसारमाध्यमोंने इसपर ध्यान नहीं दिया ।

३ आ. समितिके जालस्थलद्वारा दंगेके समाचारका तत्परतासे प्रसार होना

दंगेके संदर्भमें ‘ट्विटर’ के श्री. अमित जायसवाल नामक हिंदू धर्माभिमानीने समितिको बताया । समितिद्वारा तत्परतासे यह समाचार जालस्थलपर प्रसारित  कर उसका विविध माध्यमोंद्वारा प्रसार किया गया ।

३ आ १. हिंदुओंका विश्वास जीतनेवाला जालस्थल !

अ. समितिद्वारा तत्परतासे किए गए कृत्यके कारण श्री. जायसवाल‘ट्विटर’द्वारा  समितिके अनुयायी बन गए हैं एवं इस विषयमें उन्होंने समितिके प्रति अपना आभार व्यक्त न्किया है ।

आ. समितिके ‘फेसबुक’के पृष्ठपर इस विषयमें प्रस्तुत समाचारको ४ सहस्र ७०० से अधिक लोगोंने भेंट दी । यह समाचार लगभग एक सहस्र एकसौसे अधिक बार पढा गया है ।

स्त्रोत – दैनिक सनातन प्रभात

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