Menu Close

संस्कृति से एकरूप होने का अर्थ है स्वदेशी – गव्यसिद्धाचार्य डॉ. निरंजन वर्मा, गुरुकुलपति, पंचगव्य गुरुकुलम, तमिलनाडु

niranjan_varma
गव्यसिद्धाचार्य डॉ. निरंजन वर्मा, गुरुकुलपति, पंचगव्य गुरुकुलम कांचीपुरम, तमिलनाडु

रामनाथी (गोवा) – गोवा के पंचम अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन के तिसरे दिन के प्रथम सत्र में गव्यसिद्धाचार्य डॉ. निरंजन वर्मा ने प्रतिपादित किया कि, पंचमहाभूतों का संतुलन रखकर जीना स्वदेशी है । केवल देश में बनी हुई वस्तु का उपयोग करने का अर्थ स्वदेशी स्वीकारना नहीं है, अपितु इस देश के भूगोल से समायोजन करना स्वदेशी है । यहां का भूगोल हमारा राष्ट्र है । जहां हम रहते हैं, वहां के पंचमहाभूतों का संतुलन रखकर जीना स्वदेशी है । यहां की संस्कृति से एकरूप होना स्वदेशी है ।

गाय और नंदी के गव्य के कारण भारत में वीर पुरुष उत्पन्न होंगे !

वे आगे बोले कि, ‘‘गाय के अस्तित्व के बिना यह सृष्टि ही अपूर्ण है । हमें गाय का सान्निध्य स्वीकारना चाहिए । प्राचीन भारत का निर्माण करने के लिए गाय का पालन करना आवश्यक है । जिस राष्ट्र में गाय और नंदी नहीं हैं, वहां वीर पुरुष उत्पन्न नहीं होंगे । समृद्ध गाय और समृद्ध नंदी के गव्य के कारण वीर पुरुष उत्पन्न होता है । इस गव्य के कारण ही यहां श्रीकृष्ण और अर्जुन उत्पन्न होंगे । इसलिए पुनः यह राष्ट्र विश्‍वगुरु बनेगा । इसके लिए गाय का पालन होना आवश्यक है ।

१९ वें शतक तक संपूर्ण भारत विकेंद्रित था । प्रत्येक जनपद, गांव स्वयंपूर्ण था । उस उस क्षेत्र में मनुष्य की आवश्यकताआें की पूर्ति होती थी । प्रत्येक चौक में प्याऊ की व्यवस्था थी । यहां की भाषा, खानपान, ज्ञान, अर्थव्यवस्था, आदि विकेंद्रित थी; परंतु इन बातों का केंद्रीकरण किया गया । इसलिए अंग्रेजों के शासन के पश्‍चात केवल ६८ वर्षों में भारत की दुर्दशा हो गई, उसे नष्ट कर दिया गया । वर्तमान में अपना भारत विश्‍व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के नियंत्रण में चला गया है । उनसे देश को मुक्त करना चाहिए ।

पहले यह भावना थी कि यदि प्रजा सुखी होगी, तो राजा सुखी रहेगा । अब यह विचारधारा बन गई है कि यदि प्रजा दुःखी तथा पीडित होगी, तो उस पर राज्य करना सुविधाजनक होता है । इसलिए जनता को रोगी बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं । जब से देश स्वतंत्र हुआ है, तब से देश में रोग बढ गए हैं । देश की ५० प्रतिशत जनता गंभीर रोगों से पीडित है । इसका कारण हमारी व्यवस्था का केंद्रीकरण है ।’’

Related News

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *