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केवल शारीरिक व्यायाम नहीं, अपितु परमात्मा के साथ एकरूप होना अर्थात् योग – डॉ. कौशिक चंद्र मल्लिक, कोलकाता

अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन में योगदिन के निमित्त ॐ के साथ योग करने के संदर्भ में प्रबोधन !

डॉ. कौशिक चंद्र माqल्लक, सदस्य, शास्त्र धर्म प्रचार सभा, कोलकाता, बंगाल

रामनाथी (गोवा) – रामनाथी, गोवा में आरंभ पंचम अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन में आंतरराष्ट्रीय योगदिन के निमित्त ॐ के साथ योग करने के संदर्भ में प्रबोधन किया गया । उस समय कोलकाता के शास्त्र धर्म प्रचारसभा के सदस्य डॉ. कौशिक चंद्र मल्लिक वक्तव्य कर रहे थे । अपने वक्तव्य में उन्होंने यह प्रतिपादित किया कि, ‘केवल शारीरिक व्यायाम नहीं, तो परमात्मा
के साथ एकरूपता साधना ही योग है !’

डॉ. मल्लिक ने आगे यह बताया कि, ‘२१ जून को उत्तरायण का अंत होता है तथा दक्षिणायन प्रारंभ होता है । शुभारंभ करने के लिए यह आदर्श दिन है । शासन द्वारा यह दिन आंतरराष्ट्रीय योग दिन के नाम से घोषित किया गया है । योग का आरंभ हो सकता है, अंत नहीं । योग एक दिन नहीं, तो पूरे वर्ष करने का शास्त्र है । योग यह हिन्दू संस्कृति का हिस्सा होते हुए भी ऐसा मुद्रित
करने का प्रयास किया जा रहा है कि, वह केवल हिन्दुओं का नहीं, तो सभी लोगों का है । नामस्मरण के साथ योग करने से ही उसका लाभ होता है ।

केवल शारीरिक स्तर पर योग करने से कुछ लाभ प्राप्त नहीं होता । परमात्मा के साथ एकरूपता साधना, ही योग है । केवल शारीरिक व्यायाम करना योग नहीं है । योग अर्थात् ईश्वर से भेंट है । योग का उचित पद्धति से अभ्यास किया, तो अपने लिए ईश्वर का द्वार खुल सकता है । यदि ईश्वर का द्वार नहीं खुल जाता, तो वह योग नहीं है । योग के कारण व्याqक्त परमपद तक पहुंच सकती है ।

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