विद्याधिराज सभागृह, रामनाथी (गोवा) – शासन गुप्तचर संस्थाआें का उपयोग देश के संरक्षण के लिए करने की अपेक्षा अपने लाभ के लिए कर रहा है । गुप्तचर विभागपर ही देश का संरक्षण निर्भर है । ये संस्थाआें के असफल होने का परिणाम सीधे देश के संरक्षणपर होता है । इसलिए सक्षम गुप्तचर विभाग के निर्माण के लिए उन में होनेवाली कमीयां दूर करनी आवश्यक है । यह प्रतिपादन भारत रक्षा मंच के राष्ट्रीय सचिव अनिल धीर ने पंचम अखिल भारतिय हिन्दु अधिवेशन के चौथे दिन किया ।
‘राष्ट्र की सुरक्षा में गुप्तचर विभाग की असफलता एवं राष्ट्ररक्षा हेतु प्रत्येक धर्माभिमानी को राष्ट्रहितदक्ष गुप्तचर बनना आवश्यक’ इस विषयपर उपस्थितों को संबोधित करते हुए श्री. धीर ने आगे कहा, वर्ष १९४७, १९६५ एवं १९७१ में हुए युद्ध, कारगिल युद्ध, राजीव गांधी हत्या प्रकरण, वर्ष २००८ में मुंबईपर हुआ आतंकवादी आक्रमण, साथ ही हाल ही में हुआ पठाणकोट का आक्रमण, ऐसी अनेक घटनाआें में भारतीय गुप्तचर संस्थाएं असफल हुई हैं । उसके कारण देश को बडी हानी सहन करनी पडी है । इसलिए चाहे हमारे पास कितना भी बडा सैन्य हो, तो भी उस का हमारे लिए कुछ भी लाभ नहीं है ।
राजीव गांधी हत्या प्रकरण में उनकी हत्या आत्मघातकी आक्रमण द्वारा होनेवाली है तथा यह आक्रमण करनेवाली एक महिला होगी, यह भी हमारी संस्थाआें को ज्ञात था; परंतु तब भी हम इस आक्रमण को रोक नहीं पाए । कश्मीर की समस्या भी इस को अपवाद नहीं है । यह भी उन्हों ने कहा ।