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४.४ लाख हिन्दुआें के हस्ताक्षर का निश्चय
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८० सभाएं एवं लाखों हस्तपत्रिकाआें द्वारा जागृति
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३६५ ग्रामपंचायतें एवं ५० बार कौन्सिल इस प्रस्ताव को पारित करेंगे
विद्याधिराज सभागृह, रामनाथी – कश्मीर से वर्ष १९९० में विस्थापित हुए हिन्दुआें के पुनर्वास के लिए देशभर में जागृति कर २७ दिसंबर २०१६ को पूरे देश में आंदोलन करने का निश्चय अखिल भारतिय हिन्दू अधिवेशन में २१ जून की समूहचर्चा में किया गया । किसी भी परिस्थिति में विस्थापित कश्मीरी हिन्दुआें का कश्मीर में सम्मान के साथ पुनर्वास करना ही है, इस निश्चय के साथ विविध संगठनों ने यथाशक्ति अधिकाधिक प्रयत्न करने की इच्छा हिन्दू राष्ट्र के जयघोष के साथ इस समय व्यक्त की गई । इस समूहचर्चा का ब्यौरा प्रस्तुत करते हुए पनून कश्मीर संगठन के राष्ट्रीय समन्वयक राहुल कौल ने पूरे वर्ष के क्रियान्वयन की सूची प्रस्तुत की, साथ ही हिन्दू जनजागृति समिति के महाराष्ट्र संघटक श्री. सुनील घनवट ने इस संदर्भ में पारित विविध प्रस्ताव रखे तथा ‘जयतु जयतु हिन्दूराष्ट्रम्’ की गूंज के साथ उनका अनुमोदन किया गया ।
कश्मीरी हिन्दुआें के पुनर्वास के लिए पूरे वर्ष में हिन्दूत्वनिष्ठ संगठनों द्वारा निर्धारित किए हुए प्रयास !
१. भारतभर में ८० सभाआें द्वारा जागृति की जाएगी
२. तमिलनाडू राज्य में २१ अगस्त को होनेवाली सभा के लिए १ लाख हिन्दुआें को संगठित करेंगे
३. कश्मीरी हिन्दुआें के पुनर्वास के लिए ३६५ ग्रामपंचायतें प्रस्ताव पारित कर प्रधानमंत्री को भेजेंगे
४. महाराष्ट्र के ६० जनपदों में बार कौन्सिल प्रधानमंत्री को विस्थापित कश्मीरी हिन्दुआें के पुनर्वास के लिए पत्र लिखेंगे
५. शासन को निवेदन सौंपने हेतु न्यूनतम ४.५ लाख हिन्दुआें के हस्ताक्षर एकत्रित करना
६. शंखनाद इस सामाजिक जालस्थान के समूह द्वारा १२ लाख हिन्दुआें का प्रबोधन
७. पूरे देश में ६५ स्थानोंपर कश्मीर हिन्दुआेंपर किए गए अन्याय के विषय में ‘आतंकवाद का भीषण वास्तव’ इस फैक्ट निर्मित प्रदर्शनी का आयोजन
८. धर्माभिमानी हिन्दुआें के २० क्रियाशील समूहों द्वारा जागृति अभियान
९. महाराष्ट्र एवं गोवा राज्यों में गणेशोत्सव काल में हस्तपत्रिकाआें द्वारा उद्बोधन
कश्मीरी हिन्दुआें के पुनर्वास के संदर्भ में अधिवेशन में पारित किए गए प्रस्ताव !
१. कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और उसे भारत से अलग मत किजिए !
२. कश्मीरी हिन्दुआें के विस्थापन को हिन्दूवंशविच्छेद के रूप में मान्यता दिजिए !
३. हिन्दूवंशविच्छेद के लिए दोषी अपराधियों को कठोर दण्ड होने हेतु विशेष न्यायालय की स्थापना किजिए !
४. वर्ष १९९० एवं उस के पूर्व विस्थापित हुए हिन्दुआें को आंतरराष्ट्रीय विस्थापित नागरिक (आय.डी.पी.) की श्रेणी दिजिए ।