रामनाथी (गोवा) – पंचम अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन के चतुर्थ दिन के अंतिम सत्र में कर्नाटक के उद्योगपति श्री. अनंत कामत ने उपस्थित हिन्दुत्वनिष्ठोंको प्रतिपादित किया, मेरा जीवन भी सर्वसामान्य व्यक्ति के समान था । सनातन संस्था के संपर्क में आनेपर प.पू. गुरुदेवजी की कृपा से मुझे जीवन का अर्थ समझ में आया । मैने साधना को आरंभ किया । साधना तथा व्यवसाय के साथ ही मैंने एक गोशाला भी प्रारंभ की ।
कुछ माह पूर्व जानकारी मिली कि, मेरे पिताजी को कर्करोग हो गया है । आधुनिक चिकित्सक ने बताया था कि, वे अधिकतम ६ मास जीवित रहेंगे । उन्हें चिकित्सालय से घर लेकर आए । पिताजी संपूर्ण शाकाहारी थे तथा उन्हें किसी प्रकार व्यसन भी नहीं था । इतना ही नहीं वे प्रतिदिन व्यायाम भी करते थे । ऐसा होते हुए भी उन्हें कर्क रोग कैसे हुआ, यह विविध माध्यमों से जानने का प्रयास किया । तत्पश्चात व्यवसाय निमित्त मेरा एक व्यक्ति से परिचय हुआ । उनसे जानकारी मिली कि विदेशी (जर्सी) गाय के कारण उच्च रक्तदाब, मधुमेह, कर्करोग सहित अनेक रोग होते हैं । उन्होंने बताया कि मेरी गोशाला की ४० गायों में से ९ गाएं संकरित हैं । मैंने वे ९ गाएं दूसरी गोशाला में भेज दीं । व्यवसायिक मित्र के परामर्श के अनुसार प्रतिदिन देशी गाय का दूध और सबेरे गोमूत्र पिताजी को देना प्रारंभ किया । १४ मास पश्चात स्वास्थ्य की जांच करने पर उनके स्वास्थ्य में सुधार दिखाई दिया । उनका पी.एस.आई. २८२ से ०.९ पर पहुंच गया था । प्रारंभ में आधुनिक चिकित्सक ने उसे स्वीकार नहीं किया । उन्होंने एक मास पश्चात पुनः जांच करने हेतु कहा । उसके पश्चात भी उनकी जांच सकारात्मक दिखाई दी । आधुनिक चिकित्सक को भी आश्चर्य हुआ । केवल गोमाता और प.पू. गुरुदेव (परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवले) के आशीर्वाद से ही यह संभव हो सका ।
अब हमारे पास ६७ गायें हैं । गाय के दूध से ही नहीं अपितु गोमय और गोमूत्र से भी आर्थिक लाभ मिल सकता है । आज गोपालन से दूर जाने के कारण देश को २० लाख करोड रुपयों की हानि हो रही है । इसलिए अधिक मात्रा में गोमाता का पालन कर लाभ उठाना चाहिए ।