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हिन्दू राष्ट्र-स्थापित करने के लिए तन-मन-धन अर्पण करने की सिद्धता रखें – पू. डॉ. चारुदत्त पिंगळे, राष्ट्रीय मार्गदर्शक, हिन्दू जनजागृति समिति

पंचम अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन के दूसरे चरण में सर्वांगीण हिन्दूसंगठन के लिए ‘हिन्दू राष्ट्र-संगठक अधिवेशन’ का निश्‍चयात्मक प्रारंभ !

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पू. डॉ. चारुदत्त पिंगळे, राष्ट्रीय मार्गदर्शक, हिन्दू जनजागृति समिति

विद्याधिराज सभागृह, रामनाथी (गोवा) – पंचम अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन का पहला चरण गत ४ दिन संपन्न हुआ । इन ४ दिनों में धर्मजागृति के उपक्रम, उसमें आनेवाली अडचनें और हिन्दू राष्ट्र स्थापित करने की दिशा के विषय में अभ्यासपूर्ण विचारमंथन हुआ । आज (२३ जून को) हिन्दू राष्ट्र-संगठकों के लिए अधिवेशन प्रारंभ हुआ । हिन्दू राष्ट्र के लिए समाजप्रेमी, धर्मप्रेमी, राष्ट्रप्रेमी, संत, अधिवक्ता, पत्रकार, आधुनिक चिकित्सक, उद्योगपति आदि का महासंगठन बनाने हेतु कृतिशील दिशा हमें निश्‍चित करनी है । उसके लिए पद, पक्ष, मान-सम्मान का अहं भुला देना चाहिए; क्योंकि ये बातें हिन्दू संगठन में बडी बाधा है । अहंनिर्मूलन के लिए साधना आवश्यक है । भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाया, तब सभी गोपगोपियों ने अपनी अपनी लाठियां लगाकर महत्त्वपूर्ण योगदान दिया, उसी प्रकार हमें भी हिन्दू राष्ट्र के लिए तन, मन, धन अर्पण करने की सिद्धता रखनी चाहिए, ऐसा आवाहन हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक पू. डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी ने किया । वे पंचम अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन के ‘हिन्दू राष्ट्र-संगठक अधिवेशन’ के प्रथम सत्र में बोल रहे थे । इस अवसर पर व्यासपीठ पर बंगाल की शास्त्र-धर्म प्रचार सभा के डॉ. शिवनारायण सेन, हिन्दू जनजागृति समिति कर्नाटक के समन्वयक श्री. रमानंद गौडा, सनातन संस्था की नई देहली की प्रवक्ता कु. कृतिका खत्री आदि उपस्थित थे ।

क्षणिकाएं

१. अत्यंत उत्साहपूर्ण वातावरण में हिन्दू धर्म की घोषणाआें की गूंज से यह सत्र प्रारंभ हुआ ।

२. सनातन संस्था के संस्थापक परात्पर गुुरु डॉ. जयंत आठवलेजी ने इस अधिवेशन हेतु दिए आशीर्वचन का श्री. रमानंद गौडा ने वाचन किया ।

३. सभागृह में क्रांतिपुरुषों के संदर्भ में प्रदर्शनी लगाई गई थी ।

४. पू. डॉ. पिंगळेजी ने उनके मार्गदर्शन के अंत में गुरु और देवताआें से प्रार्थना की कि, हिन्दूसंगठन का यह कार्य आप ही हमसे करवा लीजिए । इस कार्य में आनेवाली सर्व बाधाएं नष्ट होने दीजिए ।

५. इस अवसर पर सर्व धर्मनिष्ठों ने भी हाथ जोडकर मनःपूर्वक प्रार्थना की ।

६. डॉ. शिवनारायण सेन अस्वस्थ होते हुए भी इस अधिवेशन में मार्गदर्शन हेतु उपस्थित थे ।

७. सनातन संस्था की कु. कृतिका खत्री ने ‘धर्मप्रसार करते समय सामाजिक प्रसारमाध्यमों का प्रभावी उपयोग कैसे करना चाहिए ?’, इस विषय पर उपस्थितों को मार्गदर्शन किया ।

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