विद्याधिराज सभागृह, रामनाथी – अगले सहस्रों वर्ष तक अखिल मानवजाति के लिए मार्गदर्शक ‘हिन्दू राष्ट्र’ चलाने हेतु ईश्वरी नियोजन के अनुसार उच्चलोक के बालकों ने जन्म लिया है । ऐसे बालको में जन्मतः राष्ट्र एवं धर्म के प्रति प्रेम, ईश्वर के प्रति अनन्यभाव तथा साधना करने की तीव्र लगन ऐसे गुण हैं । आज तक सनातन को ऐसे ५०० बालकों का परिचय हो गया है तथा इन में ६ दैवी बालकों का परिचय यहां हो रहे पंचम अखिल भारतीय अधिवेशन में उपस्थित धर्माभिमानियों को करा दिया गया है । ये बालक रामनाथी आश्रम में रह कर पूर्णकालीन सेवा कर रहे हैं तथा कुछ लोग आश्रम में रह कर शालेय शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं ।
सेवाभाव, त्याग एवं तत्त्वनिष्ठता इत्यादि गुणसंपन्न सनातन के रामनाथी आश्रम के दैवी बालक !
इस अवसर पर रामनाथी आश्रम में रह कर पूर्णकालीन सेवा करनेवाले तथा आश्रम में रह कर विद्यालयीन शिक्षा ग्रहण करनेवाले ६ दैवी बालकों का परिचय कराया गया । कु. राधा शेळके, कु, वैभवी जरकर, कु. अंबिका हंबर्डे, कु. अमृता मुद्गल, कु. जयेश कापशीकर, कु. कन्हैया श्रीवास्तव इत्यादि बालसाधकों ने सेवाभाव, त्याग एवं तत्त्वनिष्ठता आदि गुणों के कारण छोटी आयु में ही साधना में उन्नति की है । इस अवसर पर अन्य दैवी बालकों के विषय में जानकारी देनेवाली दृक्श्राव्यचक्रिका (सीडी) दर्शाई गई ।
उपस्थित लोगों ने तंजावुर, तमिलनाडू के संत प.पू. रामभाऊस्वामी द्वारा रामनाथी के सनातन के आश्रम में किए गए उच्छिष्ट गणपति याग की अनुभूति ली !
सनातन के रामनाथी आश्रम में १४ से १७ जनवरी २०१५ की अवधि में संपन्न ‘उच्छिष्ट गणपति याग’ की दृक्श्राव्यचक्रिका (सीडी) दर्शाई गई । ‘हिन्दू राष्ट्र’ स्थापित करने हेतु संपन्न इस याग में तंजावर, तमिलनाडू के संत प.पू. रामभाऊस्वामी ने यज्ञीय ज्वालाओं में अग्निप्रवेश करने पर भी साधना के कारण अग्नि स्पर्श नहीं करता, इसकी प्रत्यक्ष अनुभूति दृक्श्राव्यचक्रिका के माध्यम से उपस्थित धर्माभिमानियों ने ली ।