रामनाथी (गोवा) – पंचम अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन के पांचवे दिन प्रा. रामेश्वर मिश्र ने उपस्थित हिन्दुत्वनिष्ठोंको प्रतिपादित करते हुए कहा, हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लिए हमें क्षात्रतेज के साथ ही ब्राह्मतेज की भी आवश्यकता है । इतिहास विषय विद्या का बडा विषय है । हिन्दू समाज में अपने धर्म, परंपरा, पूर्वजों के प्रति गौरव उत्पन्न होने के लिए भारतीय इतिहास का पुनर्लेखन होना चाहिए । यूरोप स्थित सभी देशों इतिहास २०० वर्षों से अधिक प्राचीन नहीं है । इसलिए यूरोपीय समाज ने लंदन के राजाआें को केंद्रबिंदु मानकर इतिहास लिखा है । रामायण, महाभारत को ये लोग इतिहास नहीं कहते । झूठे और धूर्त लोगों द्वारा लिखा गया झूठा इतिहास ये हम पर थोप रहे हैं । इंग्लैंड और फ्रान्स का इतिहास सिखाकर हम देश को महान नहीं बना सकते । खरे इतिहास के लिए हमें संघर्ष करना चाहिए । हिन्दुआें को कहना चाहिए कि यदि वास्तविक इतिहास नहीं सिखाया जाएगा, तो हम दूसरे विश्वविद्यालय बनाएंगे । हमारे महापराक्रमी सम्राट को केंद्रबिंदु बनाकर सत्य इतिहास लिखा जाना चाहिए । उसके साथ ही संस्कृति के अनुसार कानून बनाने के लिए हमें शासन पर दबाव बनाना चाहिए । देवता और धर्म का अपमान करनेवालों को कठोर दंड देने की व्यवस्था कानून में होनी चाहिए । दुर्भाग्यवश भारत के कानून में अल्पसंख्यकों को धार्मिक अधिकार दिए गए हैं; परंतु हिन्दुआें को नहीं दिए गए ।