सोमालिया या ऐसे ही किसी अफ्रिकी देश में भीषण गृहयुद्ध और अकाल भुखमरी को कवर करते नॅशनल जीआेग्रॉफिक चॅनल के एक फोटोग्राफर ने एक फोटो खींचा था । फोटो में भूख से मरता एक बच्चा, अपनी आखिरी सांसें गिन रहा है और एक गिद्ध बड़े इत्मीनान से उसकी मौत का इंतज़ार कर रहा है। सुनते हैं कि बाद में वो फोटोग्राफर पागल हो गया था, इस आत्मग्लानि में, कि उसने उस मरते हुए बच्चे को बचाया क्यों नहीं ?
बहरहाल, कैराना के हाल, उस से कहीं ज़्यादा भयावह हैं, जितना कि आप सोच सकते हैं । अब मैं इसके आगे कैराना पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा। मैं सिर्फ वो लिखूंगा, जो आज मैंने अपनी आँख से देखा। टिप्पणी आप कीजिये।
कैराना की जनसंख्या कुल डेढ या पौने दो लाख है। क्या आप पौने दो लाख की जनसंख्या के किसी शहर की कल्पना कर सकते हैं जिसमे, कोई पेट्रोल पंप ही न हो ?
जी हां, कैराना में कोई पेट्रोल पंप नहीं है। पहले कभी हुआ करता था। अब नहीं है। लोग गाडी में तेल भरवाने शामली या ७ किमी दूर जमना पार पानीपत जिले में जाते हैं।
आज रात मैं कैराना में रुकना चाहता था। पूरे कैराना में कोई होटल, या विश्रामगृह नहीं है, एक भी उपहारगृह या ढाबा नहीं जहां कोई हिन्दू खाना खा सके। जो है वो सब भैंसे का मांस परोसते हैं।
ऐसा नहीं हौ कि नहीं थे। पहले हिन्दू ढाबे थे। अब सब बंद हो गए। कुछ गिने चुने परिवार आज भी यहां रहते हैं ।
कैराना के हिन्दू, आपस में फुसफुसा के बात करते हैं। बात करते करते यदि कोई उत्तेजित हो जाए तो उसके दोस्त उसे याद दिलाते है आवाज कम रखो, नहीं तो यहां से हमें बाहर जाना पडेगा ।
कैराना के हिन्दू, बात करते हुए, गर्दन इधर उधर घुमा के देख लिया करते हैं।
कैराना के हिन्दू, अक्सर बात करते करते चुप हो जाया करते हैं।
स्त्रोत : रिव्होल्टप्रेस हिन्दी