इस्लामाबाद : पाकिस्तान में अब बच्चों को पाठशाला से ही आतंकवाद का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
पाकिस्तान के मदरसों में बच्चों को जो पाठ्यपुस्तिका दी जा रही हैं उसमें बी फॉर बंदूक, के फॉर नाइफ, आर फॉर रॉकेट, टी फॉर टेरर और एस फॉर स्वॉर्ड पढkया जा रहा है। मात्र १० वर्ष की आयु से ही बच्चे आतंक का पाठ पढ रहे हैं और भारत द्वेष की भावना को ह्रदय में जगह देने लगे हैं।
बच्चों को जो इतिहास पढाया जा रहर है उसका पहला पाठ मुहम्मद अली जिन्ना पर है। इसमें बताया गया है, हिंदु नेशनल कांग्रेस ने मुसलमानों को अपना गुलाम बनाकर रखा था। बताया गया है कि, यह पार्टी मुसलमानों को गुलाम बनाकर रखने में विश्वास करती थी। परंतु जिन्ना अकेले ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने मुसलमानों को हिंदुओं से बचाया। बच्चों को बताया जा रहा है कि, भारत वर्ष १९४७ से पहले पाक का हिस्सा था। बच्चे पढ रहे हैं कि, कैसे भारतीय सेना ने पाक सेना के जवानों का खून बहाया था। बच्चे पढ रहे हैं कि, वर्ष १९७१ में पाक सेना ने भारतीय सेना को इस इतना परेशान किया कि, भारतीय सेना को अपनी हार माननी पडी थी।
इतिहास की पुस्तिका में बच्चों को वर्ष १९६५ के युध्द के विषय में भी बताया गया। इसमें लिखा है १९६५ के युध्द में पाक को जीत मिली थी और भारत के कई क्षेत्रो में पाक सेना ने अपनी छाप छोडी थी। पाक सेना की बहादुरी के आगे भारत के पास केवल संयुक्त राष्ट्र के पास जाने का आखिरी रास्ता बचा था।
जिहाद के ४४ तरीके जानते बच्चे
पाक के मदरसों में देश के इतिहास के विषय में भी कई गलत जानकारियां बच्चों को दी जाने लगी है। एक मदरसे में तो बच्चों का एक गुट है जिसे ‘व्हाइट फैल्कॉन्स’ नाम दिया गया है। यह वह मदरसा है जिसे आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा चलाता है। अल कायदा के आतंकी अनवर-अल-अवलाकी की भी किताबें बच्चे पढ रहे हैं। यह किताब बच्चों को बताती है कि, वे कैसे ४४ तरीके से जिहाद को परिणाम दे सकते हैं।
स्त्रोत : वन इण्डिया