इस संदर्भ में शासन ने त्वरित ध्यान देकर पथकर निरस्त करने के लिए प्रयास करने चाहिए !
सोलापुर : १५ जुलाई को श्री क्षेत्र पंढरपुर की ‘आषाढी यात्रा’ है। उस समय अनेक वारकरी पालकी के साथ पंढरपुर में आएंगे। गत वर्ष शासन ने घोषित किया था कि, प्रमुख पालकी के साथ दिंडी के वाहनों को पथकर देने की आवश्यकता नहीं है किंतु; आषाढी एकादशी निकट आई है फिर भी इस संदर्भ का कोई भी निर्णय शासन की ओर से नहीं अपनाया गया है, इसलिए वारकरी तथा श्रद्धालुओं में तीव्र नापसंती व्यक्त की जा रही है।
पुणे में आषाढी यात्रा के निमित्त संपन्न हुई नियोजन की बैठक में पूर्तिमंत्री श्री. गिरीश बापट ने यह घोषणा की थी कि, पथकर देना बाध्य नहीं होगा, इस संदर्भ में हम ध्यान देंगे। इस के लिए बैठक हुई। उस बैठक में यह प्रश्नचिह्न निर्माण हुआ है कि, यदि घोषणा नहीं की गई, तो क्या उसकी कार्यान्विती की जाएगी ?
महाराष्ट्र की आध्यात्मिक राजधानी तथा संतों का ‘मायका’ अर्थात पंढरपुर में प्रतिवर्ष संपन्न होनेवाले आषाढी एकादशी के अवसर पर पूरे देश से लक्षावधी श्रद्धालु आते हैं। उनमें लगभग २५ प्रतिशत श्रद्धालु पालकी समारोह के माध्यम से पंढरपुर में आते हैं। अतः इस समारोह में सम्मिलित वाहनों को पथकर से मुक्ति देना आवश्यक ही है।
निर्धन वारकरियों को पथकर में छुट क्यों नहीं दी जाती ? – ह.भ.प. रमाकांत बोंगाळे महाराज, सांगली
इस संदर्भ में सांगली जनपद वारकरी संप्रदाय सेवा मंडल के संस्थापक ह.भ.प. रमाकांत बोंगाळे महाराज ने वक्तव्य किया कि, ‘इस दिंडी में सम्मिलित होनेवाला वारकरी अधिक मात्रा में निर्धन किसान रहता है। ऐसे वारकरियों को शासन पथकर से छुट क्यों नहीं देता ? ऐसा क्यों है कि, एक ओर शासन तीर्थयात्रा विकास के लिए करोडो रुपएं देने की घोषणा करता है तथा पथकर जैसी अत्यल्प छुट नहीं दे सकता ? मैं यह अपेक्षा करता हूं कि, यदि शासन को आवश्यकता पडेगी, तो तीर्थक्षेत्र विकास का कुछ अर्पण इस ओर दे सकता है।
वर्तमान का शासन हिन्दूत्वनिष्ठ विचारसरणी का होने के कारण वो वारकरियों को पथकर से छुट दे कर वारकरियों को दिलासा दें !
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात