पश्चिम बंगाल में फलता-फूलता ‘सेकुलरिजम’ !
बंगाल में हावडा से पच्चीस मिनट की दूरी पर स्थित कटवा पहुँचने के लिए बस एवं रेलसेवा दोनों उपलब्ध हैं । कटवा के पास ही स्थित है बांकापासी, जो कि बर्दवान जिले के मंगलकोट विकासखंड में आता है । इस बांकापासी शहर में बांकापासी शारदा स्मृति हाईस्कुल है । इस विद्यालय में प्रायमरी, सेकंडरी और हायर सेकंडरी की कक्षाएं लगती हैं । यह विद्यालय हिन्दू बहुल बस्ती में पडता है । विद्यालय के ७०% छात्र हिन्दू और ३०% छात्र मुस्लिम हैं जो कि पास के गावों दुरमुट, मुरुलिया इत्यादि से आते हैं । विद्यालय का मुख्य द्वार दो शेरों एवं हंस पर विराजमान वीणावादिनी सरस्वती की मूर्ति से सजा हुआ है ।
पिछले पखवाडे के रविवार को विद्यालय में पूर्ण शान्ति थी, परंतु विद्यालय के प्राचार्य डॉक्टर पीयूषकांत दान अपना अपूर्ण कार्य निपटाने के लिए विद्यालय आए हुए थे । अचानक उन्हें भान हुआ कि, विद्यालय की दीवार के अंदर कोई हलचल हुई है, तो वे तत्काल अपने कमरे से बाहर निकलकर विद्यालय के हरे-भरे लॉन में पहुंचे, परंतु वहां कोई नहीं था । प्राचार्य पीयूषकांत नहीं चाहते थे कि, शुक्रवार के दिन विद्यालय में जो हुआ, उसकी पुनरावृत्ति हो । असल में विद्यालय में पढनेवाले ३०% मुसलमान छात्रों ने विद्यालय में नमाज पढने के लिए एक अलग विशेष कमरे की मांग करते हुए जमकर हंगामा किया था ।
२४ जून २०१६ को कुछ मुसलमान छात्रों ने अचानक दोपहर को अपनी कक्षाएं छोडकर विद्यालय के लॉन में एकत्रित होकर नमाज पढना शुरू कर दिया था, जबकि उधर हिन्दू छात्रों की कक्षाएं चल रही थीं । उस समय यह अचानक हुआ और नमाजियों की संख्या कम थी इसलिए विद्यालय प्रशासन ने इसे यह सोचकर नजरंदाज कर दिया कि रमजान माह चल रहा है तो अपवाद स्वरूप ऐसा हुआ होगा । परंतु शनिवार, २५ जून को पुनः मुसलमान छात्रों ने प्राचार्य के कार्यालय के सामने एकत्रित होकर “नारा-ए-तकबीर, अल्ला-हो-अकबर” के नारे लगाए । कुछ छात्र प्राचार्य के कमरे में घुसे और उन्होंने मांग की, कि उन्हें जल्दी से जल्दी विद्यालय परिसर के अंदर पूरे वर्ष भर नमाज पढने के लिए एक विशेष कमरा आवंटित किया जाए । इन्हीं में से कुछ छात्रों के मांग थी कि प्रातःकालीन सरस्वती पूजा पर भी रोक लगाई जाए । इन जिहादी मानसिकता वाले “कथित छात्रों” ने प्राचार्य को एक घंटे तक उनके कमरे में बंधक बनाकर रखा ।
प्राचार्य ने विद्यालय की प्रबंध कमेटी के सदस्यों से संपर्क किया, जिसने मामले को सुलझाने के लिए आगे पुलिस से संपर्क किया । पुलिस ने आकर छात्रों को शांत किया, परंतु यह केवल तात्कालिक उपाय था । जब पूरे घटनाक्रम की खबर हिन्दू लडकों को लगी, तो सभी शाम को बाजार हिन्दू मिलन मंदिर और कैचार हिन्दू मिलन मंदिर में मिले और एक बैठक की । इस बैठक में निर्णय लिया गया कि, मुसलमान छात्रों की इस गुंडागर्दी और अनुचित मांग का पुरजोर विरोध किया जाएगा । अगले दिन सुबह हिन्दू छात्रों ने एकत्रित होकर प्राचार्य से यह मांग की, कि यदि मुसलमान छात्रों को नमाज के लिए अलग कमरा दिया गया तो उन्हें भी “हरिनाम संकीर्तन” करने के लिए एक अलग कमरा दिया जाए । हिन्दू-मुसलमान छात्रों के बीच बढते तनाव को देखते हुए कैछार पुलिस चौकी से पुलिस आई और दोनों गुटों को अलग-अलग किया ।
जब हिन्दू छात्रों की ऐसी एकता की खबर फ़ैली तो प्रबंध कमेटी के ही एक मुस्लिम सदस्य उज्जल शेख ने घोषणा की, कि ना तो मुसलमानों को नमाज के लिए कोई अलग कमरा मिलेगा और ना ही हिंदुओं को संकीर्तन के लिए । प्रतिदिन विद्यालय आरम्भ होने से पहले जो सरस्वती पूजा आयोजित होती है वह नियमित रहेगी । मामले की गहराई से जाँच-पडताल करने पर बांकापासी, पिंदिरा, लक्ष्मीपुर, बेलग्राम, कुल्सुना, दुर्मुट सहित आसपास के गावों में रह रहे हिंदुओं ने बताया कि, जब से कट्टर मुस्लिम नेता टीएमसी के सिद्दीकुल्लाह चौधरी इस विधानसभा सीट से जीते हैं, तभी से मुस्लिम धार्मिक और अतिवादी गतिविधियों में बढोतरी हुई है । ममता बनर्जी की मुस्लिम-परस्त नीतियों और तुष्टिकरण से क्षेत्र के मुसलमानों के हौसले ऊंचे हो गए हैं, इसीलिए विद्यालय में ३०% होने के बाद उन्होंने इतना हंगामा कर डाला ।
ज्ञात हो कि सिद्दीकुल्लाह चौधरी अभी भी जमात-ए-उलेमा-हिन्द के कई समूहों का गुप्त रूप से संचालन करता है ताकि उसकी राजनैतिक शक्ति बनी रहे । सिद्दीकुल्लाह तृणमूल काँग्रेस में इसीलिए गया, ताकि वह अपनी सत्ता बरकरार रख सके । चौधरीद्वारा संचालित समूह “एक घंटे में कुरआन” नामक छोटे-छोटे समूह चलाता है, जिसमें क्षेत्र के मुसलमान छात्रों का ब्रेनवॉश किया जाता है । इस कार्य के लिए सिद्दीकुल्लाह को तबलीगी जमातों से चंदा भी मिलता है । चौधरी के निकट संबंधी हैं, बदरुद्दीन अजमल, जो कि असम में अपने जहरीले भाषणों के लिए जाने जाते हैं ।
हालाँकि बांकापासी हाईस्कुल में स्थिति तनावपूर्ण किन्तु नियंत्रण में बनी हुई है, परंतु इस बात की कोई जिम्मेदारी नहीं है कि, मुसलमान छात्रों का कोई और उग्र समूह, किसी और विद्यालय में घुसकर सरस्वती पूजा पर प्रतिबन्ध एवं नमाज के लिए अलग विशेष कमरे की मांग न करने लगे । क्योंकि बंगाल के कुछ क्षेत्रों के विद्यालयों में यह मांग उठने लगी है कि, मुस्लिम बच्चों को मध्यान्ह भोजन में गौमांस अथवा हलाल मीट दिया जाए, भले ही वहां हिन्दू बच्चे भी साथ में पढ रहे हों । ममता बनर्जी के शासन में बंगाल के प्रशासन का जिस तेजी से साम्प्रदायिकीकरण हो रहा है, उसे देखते हुए “मिशन मुस्लिम बांग्ला” का दिन दूर भी नहीं लगता ।
इस पर उपाय है ये… जो देहली के सुन्दर नगरी में हनुमान मंदिर में हिंदुओं ने किया… इसे पढिए और सोचिये कि क्या किया जाना चाहिए…
स्त्रोत : सुरेश चिपळूणकर.ब्लॉग