तथाकथित पुरोगामियों का, विकास के नाम पर मंदिरों को गिराने का समर्थन करने का कुटिल प्रयास !
विजयवाडा (आंध्र प्रदेश) : तेलगू देसम शासनद्वारा विकास के नामपर यहां के अनेक मंदिरों को गिराने के प्रयास किए जाने से हिन्दुओं में क्षोभ फैला है और उसके कारण अनेक संत एवं हिन्दु श्रद्धालुओं नें रैलियां निकालकर इसको अपना विरोध जताया है !
परंतु शहर के कुछ हिन्दुविरोधी पुरोगामी एवं वामपंथी लोगों ने एक बैठक लेकर विकास की आड में मंदिरों को गिराने का समर्थन करने का दयनीय प्रयास प्रारंभ किया है !
१. इस बैठक में अधिवक्ता शंकर राजेंद्र प्रसाद ने सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का संदर्भ देकर मार्गपर निर्माण किए जानेवाले मंदिर देवताओं का अनादर है, ऐसा कहा। इसलिए इस घटना को राजनीतिक रूप नहीं दिया जाना चाहिए। (यहां का विजयेश्वर मंदिर अत्यंत प्राचीन है तथा वह श्रद्धालुओं के आस्था का केंद्र है। उसका जब निर्माण किया गया, तब इस स्थानपर सडक थी क्या ? इस अधिवक्ता महाशय को इसका ज्ञान नहीं है ? विकास की आड में हिन्दुओं के आस्था के केंद्र ध्वस्त करनेवाला शासन अन्य धर्मियों के आस्था के केंद्रों को यही नियम लागू क्यों नहीं करता ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
२. मार्क्सवादी के शहर सचिव दोनेपुडी काशीनाथ ने कहा कि, विकास के लिए सडकें, नहर और नदी के तटोंपर होनेवाले सहस्रों नागरिकों को जब विस्थापित किया गया, तब यह राजनेता कहां थे ? (राजनेताओं के आशीर्वाद के ही कारण यह अतिक्रमण हुए हैं; इसलिए यह नेता उसके विरोध में नहीं बोलेंगे, यह दोनेपुडी काशीनाथ को ज्ञात नहीं है क्या ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
३. चलचित्रपट निर्देशक तथा संगमम के संयोजक सी. उमामहेश्वर राव ने कहा कि, मंदिरों को गिराने का विरोध करनेवाले धार्मिक तनाव उत्पन्न कर रहे हैं। इसलिए जनता को इस अपप्रचार की बली नहीं होना चाहिए ! (क्या, उमामहेश्वर राव यह परामर्श मस्जिदों को गिराने के लिए विरोध करनेवाले मुसलमानों को देंगे ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
इस बैठक में समाजसेवी समंथकमानी, गायक आर. पिचाय्या, रोटरी क्लब सदस्य व्यंकट तथा अन्य हिन्दूद्रोही उपस्थित थे।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात