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‘इस्लाम स्वीकार करो या सरकारी नौकरी छोड दो’ – १९ वर्षीय हिन्दू युवक की स्थिती !

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राजस्थान में रहनेवाले १९ वर्षीय योगेश कुमार एक अजीबो गरीब संकट में है और उसके पास ये सोचने के लिए कुछ ही दिन बचे है कि या तो इस्लाम कबूल कर ले या सरकारी नौकरी छोड दे।

यह मामला किसी मुसलमान राष्ट्र पाकिस्तान या खाड़ी के किसी देश का नहीं अपितु भारत का है। कुछ दिन पहले योगेश ने सीआरपीएफ में प्रधान सिपाही बनने के लिए आवेदन दिया था और उसे शारिरीक परीक्षा तथा डॉक्यूमेंटेशन हेतु उसे गुजरात बुलाया गया था।

योगेश राणा जाति से सम्बन्ध रखते है और हिन्दू है किंतु सामाजिक न्याय मंत्रालय ने २०१३ के बाद इस जाति को मुसलमान धर्म के अनुयायी के रूप में स्थान दिया हुआ है।

योगेश बताते हैं कि – ‘मैं राणा जाती से हूं, जो ढोली समाज के अंतर्गत २०१३ तक ओबीसी वर्ग में आता था, मेरी जाति में हिन्दू भी है और मुसलमान भी किंतु २०१३ में सरकार ने घोषित कर दिया कि मेरी जाति के सभी लोग मुगल काल में मुसलमान बन गए थे इसलिए अब सरकार हमे मुसलमान मान रही है।’

सरकार ने २०१३ में नियमों में बदलाव करके हिन्दू राणा जाति को एससी का दर्जा और मुसलमान राणा जाति को ओबीसी का दर्जा दे दिया था। अब योगेश को कहा जा रहा है कि वह ओबीसी नहीं है अपितु एससी है। इसलिए यदि नौकरी प्राप्त करनी है तो एससी वर्ग का प्रमाणपत्र प्रस्तुत करे।

इधर कुमार का कहना है कि – ’इस तरह का कोई सर्कुलर जारी नहीं किया गया था और अब मैं एससी होने का प्रमाण पत्र कहा से लाऊं ?’

राजस्थान के झुंझुनू निवासी योगेश के पास अब दो रास्ते है या तो मुसलमान बनकर यह सिद्ध करें कि वह राणा जाति का ओबीसी वर्ग से सम्बन्ध रखने वाला मुसलमान है या सरकारी नौकरी का स्वपन तोड़ दे। क्यूंकि हिन्दू होते हुए यह नौकरी एससी वर्ग के लिए आरक्षित है और दस्तावेज़ों पर वो खुद को एससी साबित नहीं कर सकता।

योगेश कहते है – ‘यदि मैंने इस्लाम कबूल कर लिया तो मेरा समाज मेरे परिवार का सामाजिक बहिष्कार कर देगा। आखिर सरकार कैसे हमारे पूर्वजो को मुसलमान कह सकती है। जबकि हमारे सभी रीती रिवाज हिन्दू धर्म के अनुसार है।’

स्त्रोत : रिव्होल्टप्रेस हिन्दी

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