• वीर शिवा काशीद के १३ वे वंशज श्री. आनंदराव काशीद विशेष रूप से उपस्थित
• भारी वर्षा में भी २५० से अधिक हिन्दू धर्माभिमानियों ने नरवीर बाजीप्रभू के बलिदान को जागृत किया ।
मलकापुर (जिला कोल्हापुर) : स्वातंत्र्य प्राप्ति के पश्चात इस देश में आक्रमक औरंगजेब के नाम से जिला है; परंतु धर्म के लिए बलिदान देनेवाले छत्रपति संभाजी महाराज के नाम से जिला नहीं है । आज भी नगरों एवं मार्गों को दिए गए, हिन्दुओं का असीम रूप से छल करनेवाले अकबर, हुमायू, तथा अनेक आक्रमकों के नाम जैसे के वैसे ही हैं । यही प्रकार इतिहास के अभ्यासक्रम में भी चल रहा है । आज के ‘धर्मनिरपेक्ष’ शिक्षा विभागद्वारा छत्रपति शिवाजी महाराज का अफजलखान के वध का छायाचित्र हटा कर वहां छत्रपति शिवाजी महाराज एवं अफजलखान की भेंट का छायाचित्र अंतर्भूत किया गया है । इसलिए ये दुर्भाग्यपूर्ण है की, स्वातंत्र्य प्राप्ति के ६८ वर्ष उपरांत भी खरा इतिहास दबाने का प्रयास किया जा रहा है । हिन्दू जनजागृति समिति के राज्य संगठक श्री. सुनील घनवट ने आवाहन करते हुए कहा कि, हम सभी को इस प्रयास को रोक लगानी चाहिए । मलकापुर में नरवीर बाजीप्रभू देशपांडे के स्मृतिदिवस के उपलक्ष्य में आयोजित पालकी शोभायात्रा के पश्चात उपस्थित लोगों को मार्गदर्शन करते हुए वे बोल रहे थे । तूफानी वर्षा में संपन्न समारोह में २५० से अधिक हिन्दू धर्माभिमानी उपस्थित थे । इस समारोह में पन्हाळा-नेबापुर के वीर शिवा काशीद के १३ वे वंशज, श्री. आनंदराव काशीद विशेष रूप से उपस्थित थे ।
आतंकवाद का सामना करने हेतु व्यक्तिद्वेष तथा जाति-धर्म से परे हो कर केवल एक ‘हिन्दू’ के रूप में संघटित हों । – श्री. पंडितराव विभूते
इस अवसर पर संबोधित करते हुए मलकापुर ब्यापारी संगठन के अध्यक्ष श्री. पंडितराव विभूते ने कहा कि, आतंकवाद को मूंहतोड जबाब देने हेतु हर एक हिन्दू को, व्यक्तिद्वेष तथा जाति-धर्म से परे हो कर केवल एक ‘हिन्दू’ के रूप में संघटित होना चाहिये, अन्यथा समय एवं भविष्य हमें क्षमा नहीं करेगा । इस राष्ट्रकार्य को परमार्थ समझ कर हमें संगठित होना चाहिए । हमें शूरवीरों के बलिदानों को ध्यान में रखते हुए न्यूनतम उनका अनुकरण करने का प्रयास तो अवश्य करना चाहिए ।
लाखों वर्ष की परंपरावाले भारत को आज इतिहास का विस्मरण हो रहा है । – श्री. आनंदराव काशीद, शिवा काशीद के १३ वें वंशज
भारतीय संस्कृति तथा हिन्दू धर्म को लाखों वर्ष की परंपरा है । इस प्राचीन संस्कृति एवं धर्म का आज हमें विस्मरण हो रहा है । इसके विपरीत जिन धर्मों को दो-तीन सहस्र वर्ष से अधिक इतिहास नहीं है, ऐसे ईसाई एवं इस्लाम धर्मोंद्वारा क्रमशः ५६ एवं १०४ राष्ट्रों को अपने नियंत्रण में कर लिया गया है । छत्रपति शिवाजी महाराज के इतिहास से सीखने जैसा बहुत है; परंतु हम इससे कुछ सीख लेने के लिए सिद्ध ही नहीं है । इतिहास का अभ्यासी ही एक उज्वल भविष्य का निर्माण कर सकता है । इसलिए आज से हम छत्रपति शिवाजी महाराज एवं क्रांतिकारकों का आदर्श सामने रख कर ही कार्य करेंगे ।
ऐसा हुआ समारोह….
१. आरंभ में श्री विठ्ठल-रुक्मिणी मंदिर में सभी लोगों ने समारोह के लिए आशीर्वाद लिए ।
२. तदुपरांत हिन्दू धर्माभिमानी श्री. चारुदत्त एवं श्रीमती स्नेहा पोतदार के हाथों धर्मध्वज का पूजन किया गया तथा अनेक उपस्थित मान्यवरों के शुभहाथों पालकी पूजन किया गया । इस अवसर पर श्री. रवींद्र जोशी ने पौरोहित्य किया ।
३. दोपहर २.३० से ३.३० के मध्य पावनखिंड में नरवीर बाजीप्रभू देशपांडे की समाधि को अभिवादन एवं ‘हिन्दू राष्ट्र’ अर्थात ‘सनातन धर्म राज्य’ स्थापित करने की शपथ ली गई ।
कुछ चित्रमय वृत्तांत….
क्षणिकाएं
१. फेरी की अवधि में हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. शिवानंद स्वामी ने ”शरयू नदीला पूर येता पाणी आले गळ्याला, शिवरायांचे नाव घेता अफझल्या पळाला-पळाला पळाला, कोथळा टाकून पळाला,” ऐसा वैशिष्ठ्य पूर्ण गीत प्रस्तुत करने पर उपस्थित लोगों में चैतन्य फ़ैल गया ।
२. महाराष्ट्र राज्य परिवहन महामंडलद्वारा ‘पावनखिंड’ को जानेवाले धर्माभिमानियों का प्रबंध करने हेतु अधिक गाडियां छोडी थीं ।
३. बृहस्पतिवार को व्यापार पेठ बंद रखी जाती है; परंतु ‘पावनखिंड’ उपक्रम का कार्यक्रम होने के कारण व्यापारियों ने बाजारपेठ चालू रखी थी ।
४. १९ जुलाई से ‘पावनखिंड’ में हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से ‘राष्ट्र एवं धर्म’ जागृति उत्पन्न करनेवाले विषयों की प्रदर्शनी लगाई गई है ।
५. सिद्धार्थनगर में शिवसेना तहसीलप्रमुख श्री. सुरेश चांदणे की ओर से फेरी का पूजन किया गया ।
६. स्थान-स्थान पर उपस्थित लोगोंद्वारा पालकी पर पुष्पवृष्टि की गई ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात