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बालभारती की कक्षा चौथी के पुस्तक में अफजलखान-शिवाजी महाराज के मिलाप का चित्र हटाने की शेकाप के विधायकद्वारा मांग !

बालभारती के पुस्तक में, अफजलखान वध का नहीं, अपितु भेंट का छायाचित्र !

विधान परिषद सभापतीद्वारा बालभारती के विषय पर विचारविमर्श करने की अनुमती अस्वीकार !

पाठयपुस्तक में अफजलखान वध का नहीं, अपितु भेंट का छायाचित्र !
पाठयपुस्तक में अफजलखान वध का नहीं, अपितु भेंट का छायाचित्र !

मुंबई : २५ जुलाई को विधान परिषद में शेकाप के विधायक श्री. जयंत पाटिल ने मांग की कि, ‘बालभारती की कक्षा चौथी के मराठी तथा अंग्रेजी पुस्तक में छत्रपति शिवाजी महाराज ने अफजलखान की हत्या करने का छायाचित्र प्रकाशित करने की अपेक्षा उनके मिलाप का छायाचित्र प्रकाशित कर इतिहास का अनादर करनेवालों पर कार्रवाई करें तथा अनुचित छायाचित्र हटाएं !’

किंतु धारा २८९ के अनुसार इस विषय पर सविस्तार विचारविमर्श करने की अनुमती सभापति रामराजे निंबाळकर ने अस्वीकृत की। अतः इस विषय पर विरोधी सदस्य विचारविमर्श करने में असमर्थ रहें !

श्री. जयंत पाटिल
श्री. जयंत पाटिल

श्री. जयंत पाटिल ने कहा कि, ‘बालभारती के अंग्रेजी माध्यम के चौथी के पुस्तक में शिवराय की युद्धनीति के संदर्भ में ४ पाठ हटाकर छत्रपति शिवाजी महाराज तथा अफजलखान के मिलाप का छायाचित्र प्रकाशित किया है।

छत्रपति शिवाजी महाराज की वीरता तथा पराक्रम का इतिहास प्रकाशित न करना यह अपराध है। इससे सर्वत्र असंतोष फैला है। क्या ऐसा छायाचित्र प्रकाशित कर इतिहास का वास्तव मिटाने का कार्य पाठ्यपुस्तक मंडल कर रहा है ?

बालभारती के पुस्तक में अफजलखान की हत्या तथा शाहिस्तेखान की ऊंगलियां काटकर किए गए पराक्रम की जानकारी देना महत्त्वपूर्ण है। सभागृह में इस बात पर विचारविमर्श करना महत्त्वपूर्ण है। अतः इस विषय पर विचारविमर्श करने की अनुमती सभापती को देनी चाहिए; किंतु सभापति श्री. रामराजे निंबाळकर ने यह मांग अस्वीकृत की।

बालभारती के विषय पर विचारविमर्श करने के लिए शिक्षणमंत्री भी सिद्ध !

बालभारती के पुस्तक का विषय विचारविमर्श करने हेतु सभागृह में सामने आएगा, इस बात का अनुमान शिक्षणमंत्री श्री. विनोद तावडे को था। अतः वे सभागृह में बालभारती का अंग्रेजी पुस्तक साथ में लेकर आए थे। उन्होंने हाथ में पुस्तक पकडते हुए सभागृह में बताया कि, ‘इस विषय पर विचारविमर्श करने की मेरी सिद्धता है !’ किंतु चर्चा के लिए अनुमती ही अस्वीकार की गई।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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