Menu Close

जयपुर की हिंगोनिया गौशाला में मरने वाले गायों की पेट से निकले कीलें, पॉलि‍थीन, सिक्के !

cow_dies

नई देहली – जयपुर की हिंगोनिया गौशाला में बडी संख्या में गायें पॉलि‍थीन, कीले, ब्लेड, बैटरी, इंजेक्शन और सिक्के खाकर भी मर रही हैं।

गाय को छोड देते है लावारिस

जो जानकारी मिली है उसके अनुसार लोग गायों को लावारिस छोड देते हैं, जहां-तहां वो पॉलिथिन के साथ यह सब भी खा लेती हैं जिसकी वजह से दम तोड रही है। हिंगोनिया गौशाला में गायों के अभियान में गायों के पेट से जो कुछ निकलता है उसके बारे में जानकर आप दंग रह जाएंगे। गाय के पेट से दर्जनों कीलें, ब्लेड, सिक्के, मोबाइल बैट्री, पत्थर, जंजीरें, चैन, कोल्ड ड्रिंक्स की बोतल के ढक्कन और इंजेक्शन जैसी चीजें निकलती हैं जो पेट में जाकर पूरे पेट को फाड देती है।

पॉलिथीन निकालने के लिए पांच घंटे तक चला ऑपरेशन

इन चीजों के पेट में होने की वजह से गाय बीमार पड जाती हैं और मर जाती है। इन सबसे ज्यादा खतरनाक पॉलिथीन हैं। एक गाय के पेट से ५० से लेकर ७० किलो तक पॉलिथीन निकलती है। डॉक्टरों का कहना हैं कि पॉलिथीन की वजह से गायें मर रही हैं। अब तक तीन सौ गायों का ऑपरेशन कर चुके हिंगोनिया गौशाला के डॉक्टर तपेश माथुर कहते हैं कि, पांच-पांच घंटे तक एक-एक गाय के पेट से पॉलिथीन निकालते हैं। पूरे का पूरा पेट सिर्फ कबाड का भरा होता है। ब्लेड और नुकीली चीजों से पेट के अंदर का भाग फट जाता है और खून बहने से गायें मर जाती हैं। इनका पेट इतना कबाड से भर जाता है कि इसके अंदर चारा खाने की जगह नहीं बचती इसलिए कई बार तो गायें भूख से मर जाती हैं ।

स्त्रोत : पुरी दुनिया


८ अगस्त २०१६

जयपुर : हिंगोनिया गौशाला में एक दिन में ८५ गायों की मौत, महामारी फैलने का खतरा

hingoniya

जयपुर – बहुत प्रयास के बावजूद जयपुर की सरकारी गौशाला में कई दिनों तक दलदल में फंसी भूखी-प्यासी ८५ गोमाताआें को बचाया नही जा सका। डॉक्टरों-इंजीनियरों और अधिकारीयोंकी भारी भरकम फौज की तैनाती के बावजूद रविवार को ८५ गायें मरीं। गौशाला के अधिकारियों के अनुसार, अब तक के राजस्थान के गौशाला के इतिहास में एक दिन में इतनी गायें कभी नहीं मरीं।

मुख्यमंत्री के अल्टीमेटम देने और ११ अगस्त के गौशालाके दौरे को देखते हुए गौशाला को चमकाने में कोई कसर नही छोड़ी जा रही है। शनिवार को राजस्थान सरकार के मंत्रियों और अधिकारियों को काफिला गायों की सुध लेने जयपुर के हिंगोनिया गौशाला आया तो सबने दावा कि अब गायों के मौत का आंकड़ा घट जाएगा। किंतु एक दिन बाद ही रविवार को ये आंकडा दोगना हो गया।

गायों की मौत से महामारी फैलने की आशंका

एक दिन में इस गौशाला में गायों के मरने का आंकड़ा ऐतिहासिक बन गया। ८५ गायें मरी जिनमें ७८ गायें और सात बछड़े थे। अभी भी करीब ४० गायें और गंभीर अवस्था में है। डॉक्टरों का कहना है कि, इतने दिनों तक दल-दल में भूखे-प्यासे रहने से इनकी स्थिति इतनी खराब हो गई थी कि इन्हें बचाया नही जा सकता था। दो-तीन दिनों में सबको मरना ही था। इन सभी को गौशाला के पीछे ही गाड़ा जा रहा है। डॉक्टरों के अनुसार इतनी संख्या में गायों के मरने से महामारी की भी आशंका है जिसके लिए छिडकाव करवाया जा रहा है।

स्त्रोत : आज तक


६ अगस्त २०१६

राजस्थान : जयपुर के हिंगोनिया गोशाला में भूख और गंदगी के कारण दो सप्ताह में ५०० गायों की मौत

राजस्थान राज्य में गोमंत्रालय तथा गोमंत्री होते हुए भी गोमाताआेंपर एेसी स्थिती आना यह हिन्दुआेंके लिए दुर्देवी है – सम्पादक, हिन्दूजागृति

100-cow-dies-at-government-run-gaushala

जयपुर – राजस्थान की राजधानी जयपुर में सरकार द्वारा संचालित हिंगोनिया गोशाला में गत १५ दिनों की अवधि में ही ५०० गायों की मौत हो गयी। इस मामले पर उच्च न्यायालय ने गहरी चिंता जताई और सरकार से रिपोर्ट मांगी है। इस गोशाला में कार्यरत सभी कर्मियों के हडताल पर चले जाने के कारण गोवंशों की उचित देख-भाल नहीं हो पा रही है और यहां भूख और गंदगी के कारण गायों की मौत हो रही है।

राजस्था्न के मंत्री, राजेंद्र राठौड़ ने कहा, ‘हिंगोनिया गोशाला पर मुख्यमंत्री ने रिपोर्ट मांगी। हम वहां की परिस्थति को बेहतर बनाने के लिए एक्शन प्लान बना रहे हैं।‘

न्यायमूर्ती महेश चंद्र शर्मा की न्यायालय ने कहा कि, अंतिम दो सप्ताह में कैसे इतने गायों की मौत हो गई ? जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई हो रही है? न्यायालय ने कहा कि, अधिकारियों की इच्छाशक्ति के बगैर स्थिती नहीं सुधार सकते ।

image_292607

जयपुर में हिंगोनिया गोशाला सबसे बड़ी गोशाला है और इसका प्रबंधन जयपुर नगर निगम के पास है, किंतु यहां के हालात बहुत खराब हैं। पिछले महीने २१ जुलाई से गोशाला के कर्मचारी हड़ताल पर चले गए। तब से यहां के हालात खराब चल रहे हैं। कर्मचारियों को ३ महीने से तनख्वाह नहीं मिली तो उनका काम छोड हडताल पर जाना गायों पर भारी पड़ा़ा। इसी बीच बारिश हुई और गोशाला में कीचड बढता गया। तब से यहां चारा तो है किंतु कीचड के चलते गायें खा नहीं पा रहीं और भूख से दम तोडने लगी हैं।

इसके अलावा गोशाला में घुटनों तक जमा कीचड गायों के लिए जानलेवा दल-दल बना हुआ है और कई दिनों से गायें यहां बैठ भी नहीं पा रही हैं और जो बैठ गई हैं वो दल-दल में बुरी तरह फंस गई। कइयों की इसमें जान चली गई है और कुछ को गुरुवार दोपहर तक रस्सियों से बांधकर बाहर निकालने का काम शुरू किया गया।

१५ करोड रुपए सलाना मिलते हैं

गोशाला के ये हालात तब हैं जब सरकार १५ करोड़ रुपए सलाना गोशाला के लिए देती है। इनमें से १० करोड रुपए चारा-पानी पर खर्च हो जाते हैं। गोशाला में १७ पशु चिकित्सक और ४० से अधिक नर्सिंग कर्मचारी तैनात हैं फिर भी यहां के हालात में सुधार नहीं आता।

स्त्रोत : जागरण

Related News

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *