‘हमें एक सशक्त एवं बलशाली हिन्दू संघटन निर्माण करना है’, उसे हम कैसे कर सकते हैं; इस संदर्भ में हिन्दू जनजागृति समिति के महाराष्ट्र राज्य संघटक श्री. सुनील घनवट ने हाल ही में संपन्न हुए कोल्हापुर के ‘हिन्दू एकता’ मेले में अपने विचार प्रस्तुत किये हैं, उन्हें यहां प्रस्तुत कर रहें हैं . . .
१. सनातन संस्था तथा हिन्दू जनजागृति समिति के कार्यकर्ताओं को किसी भी प्रकार के चुनाव को नहीं जीतना हैं अथवा किसी भी देवस्थान समिति के किसी भी प्रकार के पद की आवश्यकता नहीं है; किंतु किसी मंदिर समिति के न्यासी यदि देव, देश एवं धर्म के संदर्भ में अज्ञानी हैं अथवा उन्हें बाधाएं पहुंचा रहें है, तो हिन्दुओं को उन्हें वैधानिक मार्ग से विरोध करना बाध्य होगा !
२. वर्तमान में देश में अनेक अधिनियम हैं; किंतु लोगों को उसका बिलकुल भय नहीं रहा है। शिक्षण क्षेत्र में भी युवतियों के साथ असभ्यता से आचरण करनेवाले, साथ ही सहकार सम्राट तथा उनका साथ देनेवालों को दंड नहीं होता; किंतु हम इस का विरोध करेंगे। उन्हें दंड होने तक हमारी लडाई जारी रहेगी। यदि स्वातंत्र्यवीर सावरकर के शब्दों में बताना है, तो हमें किए जानेवाले विरोध का प्रतिकार करते हुए हम ‘हिन्दू राष्ट्र’ की स्थापना करके ही रहेंगे!
३. वर्तमान में ब्राह्मणवाद, मनुवाद इस प्रकार के काल्पनिक शत्रू लोगों के सामने प्रस्तुत कर लोगों का दिशाभ्रम किया जा रहा है; किंतु समाज के वास्तविक शत्रु कौन हैं, यह उजागर करने का कार्य हम कर रहें हैं।
४. हमें समाचार प्रणालों पर हमारी बात सुस्पष्टता से नहीं करने दी जाती। (बीच बीच में टोका जाता है, दुसरे ही विषय पर चर्चा मोड़ दी जाती है या फिर ‘ब्रेक’ लिया जाता है) जानबुझकर हमें अपकीर्त किया जा रहा है। ये बातें हमें रोकनी हैं। इसके लिए एक सशक्त हिन्दूसंगठन आवश्यक है !
५. आधुनिकतावादी संगठन तथा धर्मविरोधक हमेशा एक होकर सनातन को धमकाने का प्रयास करते हैं। हिन्दुत्ववादियों एवं संघटनों को यह बात ध्यान में रखनी चाहिए कि, आज सनातन पर ऐसा समय आया है, तो भविष्य में ऐसा समय, उन पर भी आ सकता है ! आज आधुनिकतावादी जो कहते हैं, उसी के अनुसार शासन व्यवहार कर रहा है, चल रहा है, ये अयोग्य है।
६. पुरोगामियों जैसा, हिन्दुत्वनिष्ठों एवं संघटनों का दबाव निर्माण करने हेतु, वे जो आंदोलन कर रहे हैं, उस हर आंदोलन का उत्तर ‘प्रति-आंदोलन’ से ही देना चाहिए !
उस के लिए वे जिस शहर में आंदोलन करेंगे, उसी शहर में उसी दिन तथा उसी समय पर हिन्दुत्वनिष्ठों को भी आंदोलन करना चाहिए। यदि ऐसा हुआ, तो ही हिन्दुत्वनिष्ठों का पक्ष प्रसारमाध्यम एवं शासन तक पहुंच सकता है !
७. हिन्दुत्वनिष्ठों एवं संगठनों को केवल कोल्हापुर शहर में ही नहीं, तो पूरे महाराष्ट्र में ‘हिन्दुत्व’ एवं हिन्दुओं के प्रति आदर युक्त धाक निर्माण करना है !
८. यवतमाल में वारकरियों की दिंडी पर आक्रमण किया गया। कहीं कहीं ऐसा भी बताया गया कि, मस्जिद के सामने से टाळ-मृदंग की गजर में दिंडी नहीं जा सकती। पनवेल में वारकरी सप्ताह के समय पुलिस ने तो ध्वनिक्षेपक यंत्रणा ही निकाल दी। इस के विपरित, ऊँगली पर गिनी जाए इतनी छोड़कर हर मस्जिद पर अवैध भोंपूं लगाए गये हैं, उसकेद्वारा दिन में न्यूनतम पांच बार ध्वनिप्रदूषण के अधिनियम का उल्लंघन किया जा रहा है; किंतु पुलिस उस पर कुछ भी कार्रवाई नहीं करती। ध्वनिप्रदूषण अधिनियम का भंग करनेवाले प्रार्थनास्थलों के विरोध में संबंधित पुलिस थाने में परिवाद प्रविष्ट करने ही चाहिए। यदि पुलिस ने उस पर किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं की, तो ‘सूचना अधिकार’ के अंतर्गत सूचना प्राप्त कर संबंधित पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई होनेतक उसका पीछा करना चाहिए।
९. शीघ्र ही गणशोत्सव आएगा। उस समय हिन्दुओं ने श्री गणेशमूर्ति का विसर्जन धर्मशास्त्रानुसार बहते पानी में ही करना चाहिए। नास्तिकवादी एवं पुरोगामियों के ‘मूर्तिदान’ एवं ‘कृत्रिम जलाशय’ जैसे अशास्त्रीय अभियान को विरोध कर धर्मशास्त्र के अनुसार श्री गणेशमूर्ति का विसर्जन बहते पानी में ही करना चाहिए।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात