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शरिर एवं मन प्रतिकारक्षम बनाने हेतु स्वसंरक्षण प्रशिक्षण की आवश्यकता – कु. मोनिका गावडे, रणरागिणी शाखा

‘हिन्दू संगठन एवं महिला सक्षमीकरण’ पर हिन्दू जनजागृति समिति प्रणित रणरागिणी शाखाद्वारा व्याख्यान

व्याख्यान में उपस्थित हिन्दू धर्माभिमानी
व्याख्यान में उपस्थित हिन्दू धर्माभिमानी

खंडाळा (जनपद सातारा) : स्वसंरक्षण का अर्थ ‘स्वयं’ की रक्षा करना है। आज आए दिन समाज में गुंडे, बलात्कारी एवं धर्मांधों जैसी दुष्प्रवृत्तियां समाजपर अधिराज्य कर रहे हैं। उनकी ओर अनदेखी करने से ही वो बलशाली बने है !

अपने साथ समाज, राष्ट्र एवं धर्म की रक्षा करनी हो, तो उसके लिए हमें अपने शरिर एवं मन को निरंतर प्रतिकारक्षम रखना आवश्यक है, ऐसा प्रतिपादन हिन्दु जनजागृति समिति प्रणित रणरागिणी शाखा की पुणे जनपद समन्वयक कु. मोनिका गावडे ने किया। श्री शिवप्रतिष्ठान हिन्दुस्थान की ओर से ७ अगस्त को यहां के भैरवनाथ मंदिर में हिन्दु संगठन एवं महिला सक्षमीकरण के विषयपर उनके व्याख्यान का आयोजन किया गया था, उसमें वे बोल रहीं थी।

स्वयं के अस्तित्व के लिए घर, परिवार, बस्ती, गांव, समाज, राष्ट्र एवं धर्म की भी आवश्यकता होती है। इन सभी की रक्षा होने से ही वास्तविक रूप में ‘स्व-रक्षा’ हो सकती है। ऐसा भी उन्होंने बताया।

इस समय १०५ से भी अधिक हिन्दू धर्माभिमानी उपस्थित थे। उपस्थित हिन्दुओं ने यहां हर माह में धर्मशिक्षावर्ग एवं स्वसंरक्षण प्रशिक्षण शुरु करने की मांग की।

कार्यक्रम के आयोजन में सर्वश्री तुषार अष्टेकर, सूरज साळुंखे, अभिजित पवार, गौरव पवार, साथ ही श्रीमती माधवी जवळकर एवं कु. मनाली गाढवे का क्रियाशील सहभाग था।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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