Menu Close

‘राष्ट्रीय तथा धार्मिक’ समस्याओं का निराकरण करने हेतु देश के स्वार्थी लोगों का लोकतंत्र हटाना आवश्यक – श्री. प्रशांत जुवेकर, हिन्दू जनजागृति समिति

धुलियां (महाराष्ट्र) में हिन्दू संगठन मेला संपन्न

hindu-shakti-sanghatan1

धुलियां : ७ अगस्त को धुलियां में संपन्न हुए हिन्दू संगठन मेले में हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. प्रशांत जुवेकर संबोधित कर रहे थे। अपने संबोधन में उन्होंने बताया कि, ‘वर्ष १९४७ में भारत पर १ रुपए का भी ऋण नहीं था। वर्ष २०१५ के आंकडों के अनुसार भारत के हर एक नागरिक पर २३ सहस्र २८ अर्थात देश पर २९ सहस्र १०६ (अरब) अब्ज रुपए का ऋण है !

आज देश में ३०० से अधिक जिलें ‘संवेदनशील’ हैं। देश में हर १४ मिनट पर १ ‘बलात्कार’ होता है। ‘धर्मनिरपेक्षता’ के कारण देश के सामने असंख्य धार्मिक समस्याएं उत्पन्न हो गई हैं।

भारत में स्थित हिन्दुओं के बडे-बडे मंदिर निधर्मी सरकार ने अपने अधिकार में लिए हैं, तो मस्जिद के लिए स्वतंत्र वक्फ बोर्ड एवं चर्च के लिए डायोसेशन सोासाइटी है ! हिन्दुओं के मंदिरों में जमा हुए धन का उपयोग हिन्दू धर्म के लिए नहीं, अपितु मुसलमान तथा ईसाईयों के लिए किया जाता है।

इन ‘राष्ट्रीय तथा धार्मिक’ समस्याओं का निराकरण करने हेतु देश के स्वार्थी लोगों की यह लोकतंत्र व्यवस्था हटाना ही आवश्यक है !’

इस मेले में १५० से भी अधिक धर्माभिमानियों की उपस्थिति रही।

मेले में उपस्थित धर्माभिमानी
मेले में उपस्थित धर्माभिमानी

श्री. श्रेयस पिसोळकर ने परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी का संदेश, तो श्री. प्रशांत जुवेकर ने गुरुपूर्णिमा के उपलक्ष्य में महर्षिद्वारा प्राप्त संदेश पढ कर सुनाया। मेले में ‘स्वसंरक्षण प्रशिक्षण’ के कुछ प्रात्यक्षिक भी प्रदर्शित किए गए। साथ ही सप्तर्षि जीवनाडी के अनुसार ‘राष्ट्र एवं धर्म’ के संदर्भ का मार्गदर्शन तथा ‘सनातन पर बंदी का षडयंत्र पुनः एक बार’ इन दोनों सीडी का प्रसारण भी किया गया।

स्वयं के साथ समाज, राष्ट्र एवं धर्म रक्षा हेतु स्वयंसिद्ध रहें ! – कु. रागेश्री देशपांडे, रणरागिणी शाखा

यदि समाज ही असुरक्षित होगा, तो कोई व्यक्ति कैसे सुरक्षित रह सकता है ?

यदि राष्ट्र सुरक्षित नहीं रहेगा, तो समाज सुरक्षित नहीं रह सकता। ‘धर्म’ राष्ट्र का प्राण है; इसलिए धर्म सुरक्षित रहना चाहिए, तभी राष्ट्र सुरक्षित रह सकता है।

सारांश में, अपनी, समाज, राष्ट्र एवं धर्म की रक्षा हेतु हम सभी को स्वयंसिद्ध होना अब अनिवार्य है !

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

Related News

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *