पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में ऐसी कोई जगह नहीं, जहां हिंदू अपने धार्मिक समागम आयोजित कर सकें। वहां एक प्राचीन मंदिर मौजूद हैं, किंतु हिंदुओं को वहां पूजा-अर्चना करने की अनुमती नहीं है । मारगल्ला पहाडी के पैरों में स्थित सैदपुर के इस राम मंदिर का निर्माण १५८० के आसपास राजा मान सिंह ने कराया था। मंदिर के साथ यात्रियों के ठहरने के लिए धर्मशाला भी बनाई गई, किंतु इस धर्मशाला का कई वर्षोंसे सार्वजनिक मूत्रघर के लिए उपयोग किया जा रहा है।
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के सदस्य लाल चंद मल्ही ने वीरवार ११ अगस्त के ‘अंतरराष्ट्रीय अल्पसंख्यक दिवस’ पर राम मंदिर को हिंदू परिवारों के हवाले किए जाने की मांग को उठाते हुए पाक प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को चिट्ठी लिखी है।
मल्ही ने टेलीफोन पर बताया, इस्लामाबाद शहर में लगभग साढ़े आठ सौ हिंदू रहते हैं, उन्हें राम मंदिर मे जाने का अधिकार मिलना ही चाहिए। मानवाधिकार कार्यकर्ता कपिल देव ने बताया, भारत-पाकिस्तान के बंटवारे से पहले सैदपुर में बड़ी संख्या में हिंदू परिवार रहते थे। १९४७ में उनमें से अधिकांश भारत चले गए और इसी के साथ मंदिर की मर्यादा खत्म होने लगी। उन्होंने कहा, अब हालत यह है कि, गैर हिंदू लोग जूतों समेत ही मंदिर में चले जाते हैं।
२००६ में सैदपुर को पर्यटक स्थान का दर्जा दे दिया गया, किंतु मंदिर को हिंदुओं के हाथों में नहीं सौंपा गया। मल्ही कहते हैं कि, इस्लामाबाद के मेयर अंसार अजीज ने भी हिंदुओं की मांग की हिमायत की है। उन्होंने कहा, मंदिर के गलत उपयोग का सिलसिला शीघ्र बंद होना चाहिए। यह हिंदुओं की अमानत है और सम्मान के साथ उन्हें वापस दी जानी चाहिए।
स्त्रोत : जागरण