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श्रीमंत बाजीरावे पेशवा और बालगणेशजी के रूप में अशास्रीय पद्धति के गणेशमूर्तियों की बाजार में उपलब्धता !

  • शास्त्रीय पद्धति से बनी गणेशमूर्तियों से ही गणेशतत्त्व का लाभ होता है, यह हिन्दुओं की समझ में कैसे आएगा ? इसके लिए धर्मशिक्षा देनेवाले हिन्दु राष्ट्र की स्थापना ही करनी पडेगी !

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पुणे : इस वर्ष गणेशोत्सव के निमित्त शहर तथा परिसर की चौकों में श्री गणेशमूर्ति केन्द्र लगाए गए हैं।

बालगणेश एवं बाजीराव मस्तानी इन चलचित्रों के कारण वहां श्रीमंत बाजीराव पेशवा के वेश में श्री गणेशमूर्तियां बाजार में बिक्री के लिए आई हैं ! (गणेशजी की मानवी रूप में होनेवाली मूर्तियों की मांग के लिए धर्मशिक्षा का अभाव ही कारण है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात) श्रीमंत बाजीराव पेशवे के वेश में होनेवाली गणेशमूर्तियों की विशेष मांग है तथा वह और बालगणेशजी की मूर्तियों के लिए नागरिकों ने पहले ही पैसे दिए हैं।

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श्रीमंत बाजीराव पेशवा के रूप में होनेवाली श्री गणेशमूर्तियां २ से ६ फीट आकारों में उपलब्ध हैं। बालगणेशजी की मूर्तियों में मूषक अथवा मोरपर विराजमान हुए गणेशजी, साथ ही फुटबॉल खेलनेवाले गणेशजी, यह विविध प्रकार भी उपलब्ध हैं।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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