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छत्रपति शिवाजी महाराज के समान सुख का त्याग किए बिना ‘हिन्दू राष्ट्र’ स्थापित करना असंभव है – ह.भ.प. रामायणाचार्य रामकृष्ण महाराज सानप

देवगाव (नासिक, महाराष्ट्र) में हिन्दू संगठन मेला

बाईं ओर से श्रीमती वैशाली कातकाडे, ह.भ.प. रामायणाचार्य रामकृष्ण महाराज सानप, सत्यगांवकर एवं श्री. प्रशांत जुवेकर
बाईं ओर से श्रीमती वैशाली कातकाडे, ह.भ.प. रामायणाचार्य रामकृष्ण महाराज सानप, सत्यगांवकर एवं श्री. प्रशांत जुवेकर

नासिक : १४ अगस्त को यहां के देवगांव में हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से आयोजित हिन्दूसंगठन मेले को संबोधित करते हुए प्रमुख वक्ता ह.भ.प. रामायणाचार्य रामकृष्ण महाराज सानप, सत्यगांवकर ने कहा कि, जीवन में हम केवल अपने लिए जीते हैं, परंतु छत्रपति शिवाजी महाराज अथवा उनके सैनिकों के समान सुख का त्याग किए बिना ‘हिन्दू राष्ट्र’ स्थापित करना संभव नहीं है !

तुकाराम महाराज की गाथा तथा ज्ञानेश्वरी को जितना महत्व है, उतना ही महत्व छत्रपति शिवाजी महाराज के चरित्र को देना चाहिए। उनके चरित्र का भी पारायण किया जाना चाहिए। भारत ‘हिन्दू राष्ट्र’ ही था; परंतु राजनीतिज्ञों के कारण आज उसकी यह पहचान मिट गई है। उन्होंने हिन्दुओं को आवाहन करते हुए कहा कि, वे ‘हिन्दू राष्ट्र’ घोषित करने हेतु राजनेताओं का पृष्ठपोषण करें !

वेदमूर्ति श्री.प्रफुल्ल जोशी के वेदमंत्रपठन से कार्यक्रम का आरंभ हुआ। परात्पर गुरु डॉ.जयंत आठवलेजी एवं महर्षि का संदेश वाचन कु. अमृता एवं कु. वृषालीद्वारा किया गया। श्री.धनंजय काळुंगे के शुभहाथों वेदमूर्ति का सम्मान किया गया।

इस अवसर पर श्रीमती रितुल पाटिलद्वारा ‘स्वसंरक्षण समय की आवश्यकता’ इस विषय पर मार्गदर्शन किया गया। स्वसंरक्षण कुछ प्रात्यक्षिक भी दिखाए गए।

मेले में ६०० से भी अधिक धर्माभिमानी उपस्थित थे।

समिति के श्री.प्रशांत जुवेकर एवं रणरागिणी शाखा की श्रीमती वैशाली कातकाडे ने भी मेले में उपस्थितों का मार्गदर्शन किया।

क्षणिका – मेले में युवकों की लक्षणीय उपस्थिति रही। कार्यक्रम के पश्चात मान्यवरों से विचार-विमर्श करने हेतु ५० से भी अधिक धर्माभिमानी उपस्थित थे।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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