इस्लामाबाद : व्यापक बहस का विषय बने हुए हिंदू विवाह विधेयक २०१६ को दशकों की देरी और निष्क्रियता के बाद आखिरकार पाकिस्तान की राष्ट्रीय सभा में पेश कर दिया गया। यह विधेयक अल्पसंख्यक समुदाय में विवाहों के लिए एक कानूनी संरचना प्रस्तुत करता है। हिंदू विवाह विधेयक २०१६ पर विधि एवं न्याय की स्थायी समिति की रिपोर्ट बुधवार (१७ अगस्त) को नेशनल असेंबली में पेश की गई। चूंकि सत्ताधारी पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) इसका समर्थन कर रही है, इसलिए यह मंजूरी से महज एक ही कदम दूर है।
नेशनल असेंबली के सदस्य और विधेयक लाने वालों में से एक रमेश लाल ने कहा कि विधेयक को मंजूरी देने में समिति को १० माह लग गए और इसकी रिपोर्ट को सदन में पेश करने में छह माह और लग गए। स्थायी समिति ने इस विधेयक को आठ फरवरी को मंजूरी दी थी। डॉन ऑनलाइन ने लाल के हवाले से कहा, ‘यह देरी संभवत: असाधारण बहसों और इस विधेयक पर चर्चा के कारण हुई। लेकिन कम से कम अब सरकार को अगले सत्र में इसे सदन में रखने के बारे में सोचना चाहिए।’
समिति के अध्यक्ष चौधरी बशीर विर्क ने कहा, ‘काउंसिल ऑफ इस्लामिक आइडियॉलॉजी समेत सभी पक्षों से चर्चा की गई।’ हालांकि हिंदु समुदाय के कुछ लोगों ने विधेयक के प्रावधान १२ और १५ पर कड़ी आपत्तियां जाहिर कीं। ये क्रमश: ‘हिंदू विवाह को खत्म करने’ और ‘आपसी सहमति से हिंदू विवाह को खत्म करने’ से जुड़े हैं।
स्त्रोत : जनसत्ता