भाग्यनगर (हैदराबाद) : सतीशकुमार प्रधान को बंदी बनाने के संदर्भ में भाग्यनगर (हैदराबाद) के भाजपा के विधायक एवं श्रीराम युवा सेना हिन्दुत्वनिष्ठ संगठन के अध्यक्ष राजासिंह ठाकुर से दैनिक सनातन प्रभात के प्रतिनिधि ने विचार-विमर्श किया । इस प्रकरण के संदर्भ में राजासिंह ने कहा कि, आज भारत में सबसे अधिक मात्रा में गोहत्याएं हो रही हैं ।
भारत जागतिक स्तर पर सर्वाधिक मात्रा में गोमांस निर्यात करनेवाला देश हो गया है । पंजाब गोरक्षा दल अपने स्तर पर गोरक्षा का कार्य कर रहा है । विविध नगरों में उनकी शाखाएं भी हैं । पंजाब पुलिस द्वारा सतीश कुमार को बंदी बना कर पूरे हिन्दू समाज की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची है ।
यदि गोमाता को राष्ट्रीय प्राणी घोषित कर उसे वैधानिक रूप से सुरक्षा दी गई होती, तो गोरक्षा के संदर्भ में आज ऐसी दुस्थिति दिखाई नहीं देती । कोई भी सनातनी हिन्दू गोहत्या होते हुए नहीं देख सकता । मैं सतीश कुमार प्रधान एवं सभी गोरक्षकों के साथ हूं । प्रधान को मेरा समर्थन है ।
निडर गोरक्षक श्री. सतीश प्रधान को बंदी बनाने की पार्श्वभूमि पर पुणे के गोसेवकों द्वारा व्यक्त प्रतिक्रियाएं…
शासन को गोरक्षकों को अकारण कष्ट देने का मूल्य चुकाना पडेगा ! – पंडितकाका मोडक, संचालक, सरसेनापति हंबीरराव मोहिते गोशाला, वडकी
हिन्दु निष्ठा के कारण लोगों ने प्रधानमंत्री को मताधिक्य / बहुमत से चुन कर दिया । मोदी ने गोरक्षकों को समाजकंटक संबोध कर उनकी भावनाओं को ठेस पहुंचाई है । गोरक्षकों पर अपराध प्रविष्ट करने के स्थान पर उनको प्राणीसुरक्षा कानून पर कार्यवाही करनी चाहिए । पुलिस द्वारा गोरक्षा का कार्य न होने से गोरक्षकों को यह कार्य करना पडता है । महाराष्ट्र में गोरक्षा के संदर्भ में ९५ प्रतिशत से अधिक प्रथमदर्शी अहवाल गोरक्षकों के हैं । पुलिस स्वयं आगे आकर अवैधानिक रूप से गोवंशियों की यातायात करनेवाली किसी गाडी को नियंत्रण में नहीं लेती । मोदी सरकार को हिन्दुओं की भावनाओं का किचार करना चाहिए । गोरक्षकों की दृष्टि से गाय जीवित भगवान है । सतीश कुमार समान गोरक्षकों को बंदी बना कर सरकार ने पागलपन किया है । सरकार को इस का मूल्य चुकाना पडेगा । हिन्दुत्व की भावना से गोरक्षक प्रधानमंत्री मोदी के साथ रहे । मोदी शासन सत्ता में आने में गोरक्षकों का बहुत बडा योगदान है । प्रधानमंत्री मोदी ने गोरक्षकों के संदर्भ में असंवेदनशील कक्तव्य करना ही नहीं चाहिए था; क्योंकि गोरक्षा करनेवाला कार्यकर्ता अपनी जान संकट में डाल कर धन अर्पण कर गोरक्षा का कार्य करता है ।
सतीश प्रधान केवल गोरक्षक नहीं, अपितु साधू भी हैं । उनसे भेंट होने का योग आया, तब मैंने उन्हें सवेरे चार बजे उठ कर गोशाला में गोमाता का ध्यान रखते देखा है । गोरक्षा हेतु वे दिन-रात कष्ट ले रहे हैं । वहां गाय को घास देने वाले लोग पंक्ति में खडे रहते थे । उनको बंदी बनाने से पंजाब के लाखों लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंची है ।
सरकार की शक्ति की अपेक्षा गोमाता की शक्ति निश्चित ही बडी है । अधिवक्ता देवदास शिंदे, सचिव, हिन्दू स्वाभिमान प्रतिष्ठान गोरक्षा के कार्य में भी सहयोग
गोरक्षा करते समय सतीश प्रधान द्वारा किया गया कार्य किसी स्वतंत्रतासेनानी के कार्य के समान है । गोरक्षा के कार्य में वे कभी पीछे नहीं हटेंगे । कोई भी सरकार गोरक्षकों को गोरक्षा से पराकृत्त नहीं कर सकेगी; क्योंकि सरकार की शकित की अपेक्षा गोमाता की शक्ति निश्चित ही बडी है । इसलिए सरकार को चाहिए कि त्रूटिपूर्ण कार्य करने की अपेक्षा गोरक्षकों का मत एवं गोमाता का दुःख समझ में लेना आवश्यक है । गोरक्षकों को यातना देने अथवा उन्हें गोरक्षा से मना करने का कितना भी प्रयास किया गया, तब भी भविष्य में गोरक्षा का कार्य अबाधित रूप से चालू रहेगा । महाराष्ट्र गोरक्षा दल के समन्वयक के रूप में मेेरे साथ सहस्त्रों गोरक्षक सतीश प्रधान के साथ अंत तक रहेंगे ।
गाय को अपनी माता समझें ! – श्री. नितीन काटकर, गोवंश रक्षा समिति के पिंपरी-चिंचवड समन्वयक
भारत मेरा देश है, ऐसा माननेवाले प्रत्येक व्यक्ति को चाहिए कि वह गाय को अपनी माता समझे । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस प्रकार से आचरण नहीं करते । उनका वक्तव्य, ८० प्रतिशत गोरक्षक समाजकंटक हैं, पूर्णतः गलत है । यदि भाजपा को भ्रष्टता का नियम लगाना हि है, तो पक्ष के 8० प्रतिशत लोकप्रतिनिधि भ्रष्ट है, ऐसा कहना पडेगा ।
गोरक्षकों पर कार्यवाही अर्थात एक प्रकार से गोमाता पर ही कार्यवाही है ! – अंकुश गोडसे, संस्थापक-अध्यक्ष, गोविज्ञान एवं गोसंवर्धन संस्था, सांगली
केंद्र में भाजपा का शासन सत्ता में आने के लिए गोरक्षकों ने भी बेहद परिश्रम किए हैं । तब भी भाजपा शासन गोरक्षा हेतु कार्य करनेवाले सच्चे गोरक्षकों पर कार्यवाही कर उन पर अन्याय ही कर रही है । गोरक्षकों पर कार्यवाही अर्थात एकप्रकार से गोमाता पर ही कार्यवाही है ! जिसप्रकार आज तक गोमाता एवं गोरक्षकों को कष्ट देने का प्रयास किया गया उसका क्या परिणाम हुआ यह शासन को अलग से बताने की आकश्यकता नहीं है । इसलिए इस शासन को भी इस के परिणाम भुगतने पडेंगे, यह शासन ध्यान में रखे !
गोमाता की रक्षा के लिए कोई समन्वय नहीं करेंगे ! – सचिन पवार, गोल्ला समाज, राष्ट्रीय अध्यक्ष
वर्तमान समय का शासन केवल मतों की राजनीति कर गोरक्षकों को कष्ट दे रहा है, जो अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है । वास्तव में वर्तमान के सत्ताधारी गायों की रक्षा के लिए कुछ करेंगे ऐसी बडी आशा से गोरक्षक प्रतिक्षा में थे; परंतु वर्तमान समय के सत्ताधारी इसके विपरीत व्यवहार कर रहे हैं । कत्तल के लिए गायों को गाडियों में ठूस-ठूस कर भरने से उनकी मृत्यू हो रही है । वे घायल हो रही हैं । जिन गायों की मार्ग पर हत्या हो रही है, ऐसी घटनाएं शासन को दिखाई नहीं देती, परंतु जो गोरक्षक प्राणों की चिंता न कर गायों की रक्षा कर रहे हैं, उन पर तत्काल कार्यवाही हो रही है । गोरक्षा के लिए हमने इससे पूर्व भी प्राणों को संकट में डाला है एवं आगे भी डालेंगे । गोमाता की रक्षा के लिए हम कोई समझौता नहीं करेंगे । गाय का कार्य करनेवालों के विरुद्ध कृत्य करनेवालों को गोपालक भगवान श्रीकृष्ण ही उचित दंड देगा !
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात