क्या प्राण संकट में डालकर गोमाता को बचानेवाले गोरक्षक कभी समाजकंटक हो सकते हैं ?
शासन की मानसिकता ही ऐसी बन गई है कि हम गोरक्षा नहीं करेंगे और दूसरों को भी नहीं करने देंगे । इसीलिए, गोतस्करी तथा गोरक्षकों पर आक्रमण की घटनाएं सर्वत्र बढ रही हैं !
इस स्थिति को परिवर्तित करने के लिए ‘हिन्दू राष्ट्र’ बनाना अनिवार्य है !
चंद्रपुर – हिन्दू श्रीराम सेना के कार्यकर्ताओं को जानकारी मिली कि नागपुर से चंद्रपुर की ओर जानेवाले २ ट्रकों से गायों की तस्करी हो रही है । कार्यकर्ताओं ने जब उनका पीछा किया, तब भद्रकाली बसस्थानक के पास तस्करों ने अपने वाहन से उनपर गोलीबारी कर, भाग गए । परंतु पडोली गांव के पास पुलिस ने उनमें से एक ट्रक को रोककर एक अपराधी को बंदी बनाया । (गोवंश हत्या पर वैधानिक प्रतिबंध होने के पश्चात भी गोरक्षकों को इस प्रकार प्राण संकट में डालकर गोरक्षा करनी पडती हैं और पुलिस इन गोरक्षकों पर झूठे आरोप लगाकर उन्हें बंदी बनाती है । दूसरी ओर शासन, इन गोरक्षकों को समाजकंटक कहकर अपमानित करता है । यह दुर्भाग्यपूर्ण है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
१. यहां की श्रीमहाकाली के दर्शन कर हिन्दू श्रीरामसेना के अध्यक्ष तथा गृहमंत्रालय में हिन्दी परामर्शदाता सदस्य श्रीनिवास संभाशिव ध्यावर्तीवार एवं उनके अन्य सहकारी नागपुर की ओर जा रहे थे ।
२. कुछ वाहनों से उग्र दुर्गंध आने पर उन्हें लगा कि गायों की तस्करी हो रही है । उन्होंने तत्काल उन वाहनों का पीछा आरंभ कर पुलिस को सूचित किया । (गायों की तस्करी करने की जानकारी हिन्दुत्वनिष्ठों को मिलती हैे; परंतु सभी तंत्र हाथ में रहनेवाली पुलिस को क्यों नहीं मिलती ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
३. नंदोरी पथकर नाके पर ट्रक को रोका गया; परंतु वहां के बैरिकेडस् तोड कर ट्रक निकल गए । ( इससे यही सिद्ध होता है कि गोतस्कर पुलिस से नहीं डरते ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
४. ट्रक का पिछा करते समय हिन्दू श्रीराम सेना का एक वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो गया । हिन्दू श्रीरामसेना के कुछ कार्यकर्ता साधारणरूप से घायल हुए । ( तस्करों पर कठोर कार्यवाही होने पर ही गोरक्षकों के प्रयास सफल होंगे ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात