धर्मांध हिन्दुओं की हत्या करते हैं, तब उनका कोई विरोध अथवा निंदा नहीं करता । परंतु, जब किसी पुरोगामी अथवा कम्युनिस्ट की हत्या होती है, तब हिन्दुओं एवं उनके संगठनों को दोषी ठहराने के लिए पूरी शक्ति लगा दी जाती है !
म्हैसूर (कर्नाटक) – पुलिस आयुक्त बी. दयानंद ने पत्रकारों को बताया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक राजू की हत्या प्रकरण में प्रमुख अपराधी अबिद पाशा ने हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों के ७ कार्यकर्ताओं की हत्या की है तथा हत्या करने के उसके २ प्रयास विफल हुए हैं । इस हत्या प्रकरण में उसके विरुद्ध म्हैसूर एवं मंगलुरू में अपराध पंजीकृत हुए हैं । राजू हत्या प्रकरण के अन्वेषण में पता चला है कि पाशा ने सभी हत्याएं धर्मद्वेष के कारण की हैं ।
उद्योगपति का लडका विघ्नेश एवं उसके संबंधी सुधींद्र की हत्या के प्रकरण में ३४ वर्षीय पाशा का हाथ था । इसने उनका अपहरण कर ५ करोड रुपए फिरौती मांगी थी । पैसे न मिलने पर उसने दोनों की हत्या की थी । यह घटना का पता वर्ष २०११ में ही लग चुका था; परंतु तब पाशा ने स्वयं को बंदी नहीं बनाने दिया था ।
पुलिस आयुक्त ने बताया कि मुडबिद्री में मुसलमान अधिवक्ता नौशाद की हत्या का प्रतिशोध लेने के लिए पाशा ने अधिवक्ता शांतिप्रसाद हेगडे की हत्या की थी । उसके पश्चात, उसने प्रवीण ताज की हत्या की । राजू की हत्या के प्रकरण में पाशा के साथ अयूब खां, मुहम्मद हनीफ, हमीद खां, सैय्यद अमीन, शबील एवं मुजामिल को बंदी बनाया गया है ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात