संस्कृति का केंद्र समझे जानेवाले पुणे में त्योहारों का होनेवाला विकृतीकरण दुर्भाग्यपूर्ण है । इससे धर्मशिक्षा की अनिवार्यता स्पष्ट होती है । त्योहारों को शास्त्रानुसार मनाने के लिए हिन्दू राष्ट्र (सनातन धर्मराज्य) की स्थापना के अतिरिक्त कोई विकल्प नहीं !
पुणे – आज आए दिन गोकुलाष्टमी के उपलक्ष्य में आयोजित किए जानेवाले दहीहंडी के त्योहार को विकृत रूप दिया जा रहा है । इस वर्ष दहीहंडी फोडने के लिए अनेक मंडलों ने लाखों रूपए के पुरस्कार देने की योजना बनाकर तथा चलचित्र कलाकारों को आमंत्रित कर, इस त्योहार की पवित्रता नष्ट की है । (इन माध्यमों से ये मंडल त्योहारों में कौन-सा आदर्श रखनेवाले हैं ? जहां त्योहारों की पवित्रता नष्ट की जाती हो, वहां श्रीकृष्ण का तत्त्व कैसे कार्य करेगा ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
१. नगर के प्रत्येक चौक में दहीहंडी उत्सव का विज्ञापन करनेवाले बडे-बडे फलकों के कारण चौकों की सुंदरता समाप्त हो गई है ।
२. अनेक उदयोन्मुख नेताआें ने अपने-अपने दहीहंडी मंडलों की स्थापना कर, स्थान-स्थान पर नए-नए दहीहंडी कार्यक्रम आयोजित किए हैं ।
३. अधिक ऊंचे दहीहंडी, बडे कार्यक्रम, लेजर-शो आदि की भी व्यवस्था की जा रही है । अधिकतर सभी दहिहंडियों के १ लाख से २५ लाख तक के पुरस्कार रखे गए हैं ।
४. दहीहंडी का आकर्षण बढाने के लिए अभिनेत्रियों को बुलाया गया है । (ये अभिनेत्रियां युवकों के सामने क्या आदर्श रखेंगी ? संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात