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बार बार ‘फतवे’ निकाल कर सरकारी अधिका‍रियोंद्वारा धर्मशास्त्र का दमन ! – समर्थभक्त पू. सुनील चिंचोलकर

अशास्त्रीय एवं अघोरी मूर्तिविसर्जन करने का पुणे महानगरपालिका का ‘फतवा’ !

  • अमोनियम बायकार्बोनेटद्वारा श्री गणेशमूर्ति विसर्जन, पुणे महानगरपालिका के प्रयासों का हिन्दुत्वनिष्ठोंद्वारा निषेध !

  • हिन्दू जनजागृति समितिद्वारा पुणे में पत्रकार परिषद का आयोजन

पत्रकार परिषद में, बार्इं ओर से पर्यावरण अभियंता श्री. विकास भिसे , पू. सुनील चिंचोलकर, हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. पराग गोखले तथा सनातन के श्री. चंद्रशेखर तांदळे
पत्रकार परिषद में, बार्इं ओर से पर्यावरण अभियंता श्री. विकास भिसे , पू. सुनील चिंचोलकर, हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. पराग गोखले तथा सनातन के श्री. चंद्रशेखर तांदळे

पुणे : २९ अगस्त को हिन्दू जनजागृति समितिद्वारा यहां के पत्रकार भवन में आयोजित पत्रकार परिषद को संबोधित करते हुए समर्थभक्त पू. सुनील चिंचोलकर ने कहा कि, धार्मिक क्षेत्र से संबंधित प्रश्‍नों के संदर्भ में सरकारी अधिकारी निर्णय लेकर उसे सर्वसाधारण लोगों पर लादते हैं !

सरकारी अधिकारी किसी धर्मशास्त्र के अभ्यासक नहीं हैं। पुनः पुनः फतवे निकाल कर शासकीय एवं प्रशासकीय स्तर पर धर्मशास्त्र का दमन किया जा रहा है। हिन्दुओं की सहिष्णुता का अनुचित लाभ उठाते हुए हिन्दुओं की धार्मिक भावनाओं से खेला जा रहा है, उपहास किया जा रहा है। धार्मिक त्यौहारों से संबंधित प्रश्‍नों पर चर्चा करने हेतु सरकार को धर्म के अभ्यासक एवं ज्ञानी अधिकारी व्यक्तियों की समिति नियुक्त कर उचित निर्णय लेने चाहिए ! साथ ही उन्होंने चेतावनी दी कि, ‘यदि ऐसे ही हिन्दुओं की धार्मिक श्रद्धाओं को ठेस पहुंचाते रहे, तो हिन्दू कदापि इसे सहन नहीं करेंगे !’

पुणे महानगरपालिका तथा अन्य तथाकथित पर्यावरणवादी एवं पुरो(अधो)गामियों की ओर से गणेश भक्तों को धर्माचरण से परावृत्त करते हुए कृत्रिम जलाशय में श्री गणेशमूर्तियों का विसर्जन करने पर विवश किया जाता है। इस वर्ष तो ‘कृत्रिम जलाशय’ तथा ‘मूर्तिदान’ जैसे धर्मशास्त्र विरोधी अभियानों के साथ ‘अमोनियम बायकार्बोनेट युक्त पानी में श्री गणेशमूर्तियों का विसर्जन’ करने का एक ‘अघोरी’ अभियान चलाया जानेवाला है !

पुणे महानगरपालिकाद्वारा भारी मात्रा में इस ‘अघोरी’ अभियान का प्रचार चल रहा है !

इसी पार्श्वभूमि पर इस पत्रकार परिषद का आयोजन किया गया था। इस अवसर पर हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. पराग गोखले, सनातन संस्था के श्री. चंद्रशेखर तांदळे तथा पर्यावरण अभियंता श्री. विकास भिसे उपस्थित थे।

इस अवसर पर पू. चिंचोलकर ने कहा कि, गणेशोत्सव की कालावधि में दुबई, अबूधाबी, शारजा आदि मुसलमानबहुल देशों में जाने पर दिखाई देता है कि, वहां भी गणेशोत्सव शास्त्रीय पद्धति से मनाया जाता है, तो भारत में इस संदर्भ में इतनी वैचारिक उलझन क्यों है ?’

श्री. चंद्रशेखर तांदळे ने धर्मशास्त्र के अनुसार चिकनी मिट्टी से बनी श्री गणेशमूर्ति का पूजन करने तथा मूर्ति का बहते पानी में विसर्जन करने का आवाहन किया।

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क्या ऐसे टुकड़ों टुकड़ों में आप की श्री गणेश मूर्ति का होनेवाला विसर्जन आप देख पायेंगे ?
ऐसा होनेवाला है, आप की श्री गणेश मूर्ति का विसर्जन …..


ऐसे अशास्त्रीय एवं अघोरी मूर्तिविसर्जन का निर्णय निरस्त नहीं किया गया, तो तीव्र आंदोलन करेंगे ! – श्री. पराग गोखले

महापौर तथा आयुक्त को त्यागपत्र देना चाहिए !

१. पूरे वर्षभर नगर की गंदगी नदी-नालों में छोड कर प्रदूषण करनेवाली महानगरपालिका गणेशोत्सव आने पर प्रदूषण के विषय में सक्रिय हो जाती है तथा उनके साथ सोए हुए नव-पर्यावरणवादी भी अपने अपने बिलों से बाहर निकल पड़ते हैं !

२. ‘गणेशोत्सव अर्थात प्रदूषण’ ऐसा विचित्र समीकरण प्रस्तुत कर करोडो रुपयों के आर्थिक हितसंबंध में कृत्रिम जलाशय बनाने का नाटक किया जा रहा है। इन जलाशयों में श्री गणेशमूर्तियों को विसर्जित करने का आवाहन किया जाता है। प्रत्यक्ष में वहां विसर्जित मूर्तियों को निकाल कर महापालिका उन्हें कूडे-कचरे की गाडी से ले जाकर श्री गणेशमूर्तियों का अनादर कर उन्हें पुनः नदी के पात्र में ही रात्री के समय (कोई न देखें, इसलिये !) फेंक दिया जाता है ! इस बात को पुणे के प्रसारमाध्यमों ने छायाचित्र के साथ उजागर किया है।

हिन्दुओं की धार्मिक भावनाओं को आहत करने हेतु ही प्रदूषण के नाम पर जनता को लूटने एवं हिन्दू धर्म की मानहानि करने का षड्यंत्र रचाया जा रहा है !

वास्तव में हिन्दुओं की धार्मिक भावनाओं को आहत करनेवाले महापौर एवं आयुक्त को श्री गणेशमूर्ति विसर्जन के संदर्भ में निर्णय लेने नैतिक अधिकार है ही नहीं ! इस तरह से, हिन्दुओं की धार्मिक भावनाएं आहत करने के अपराध में, उन्होंने त्यागपत्र देना चाहिए !

३. इस वर्ष तो पुणे महापालिकाद्वारा घर घर में बालटी में मूर्ति को पिघलाने के लिए अमोनियम बायकार्बोनेट की पूर्ति करने का निर्णय लिया गया है। महापालिका ‘ऐसे’ नए प्रयोग करने की अपेक्षा यदि धर्मशास्त्र के अनुसार मिट्टी की मूर्ति बनाने की दृष्टि से निर्णय लेकर अनुदान दे, तो दोनों उद्देश्य साध्य होंगे; परंतु अशास्त्रीय निर्णय लेकर गणेशभक्तों को धर्मपालन से परावृत्त करने का ही प्रयास किया जा रहा है !

४. आज अमोनियम बायकार्बोनेट का उपयोग कर श्री गणेशमूर्ति विसर्जन के लिए कहनेवाली महापालिका; यदि कल यह कहे कि, मृतदेह पर अग्निसंस्कार करने से वायुप्रदूषण होता है इसलिए मृतदेह भी रसायन में विसर्जित करें’, तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए !

५. सूचना के अधिकार के अंतर्गत प्राप्त जानकारी के अनुसार पुणे में प्रतिदिन बिना किसी प्रक्रिया के १७ करोड ७० लाख लीटर दूषित पानी नदियों में छोडा जाता है। राज्य के २५ बडे नगरों में प्रतिदिन बिना किसी प्रक्रिया के २ अरब ५७ करोड १७ लाख लीटर दूषित पानी नदी में छोडा जाता है। दूषित पानी के कारण ८० प्रतिशत महामारी फ़ैलती है तथा १२ लाख लोग बीमार होते हैं, यह वास्तव है !

इस प्रदूषण को रोकने के लिए पालिका ने अब तक, क्या क्या प्रयास किए ?

६. इस वर्ष भारी मात्रा मे वर्षा होकर सभी जलाशय भर गए हैं। फिर भी मूर्तिविसर्जन पर इतनी तनातनी क्यों है ? अमोनियम बायकार्बोनेट एवं कृत्रिम जलाशय के लिए करोडो रुपए व्यय करने के स्थान पर पालिकाद्वारा मूर्तिकारों को उतने ही रुपयों का अनुदान देकर चिकनी मिट्टी की श्री गणेशमूर्तियां बनाने हेतु प्रेरित करना चाहिए !

७. हाल-ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी ने भी ‘मन की बात’ में ‘प्लास्टर ऑफ पॅरिस’ के स्थान पर चिकनी मिट्टी की मूर्ति बनवाने के संबंध में संदेश दिया है। इसलिए अपेक्षित है कि, पालिका प्रशासन प्रधानमंत्री के इस आवाहन को प्रतिसाद देगा; परंतु यदि पालिकाद्वारा धर्मभावनाओं को आहत करनेवाला यह अशास्त्रीय एवं अघोरी निर्णय निरस्त नहीं किया गया, तो उन्हें हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों के तीव्र आंदोलन का सामना करना पडेगा !

८. हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से ‘आदर्श गणेशोत्सव अभियान’ चलाया जा रहा है उसमें सम्मिलित होने के लिये जों इच्छुक है वे, ८९८३३३५५१७ इस क्रमांक पर संपर्क कर सकते हैं।

श्री गणेशमूर्तियों के विसर्जन के लिए अमोनियम बायकार्बोनेट के अशास्त्रीय एवं अघोरी उपयोग के संबंध में, श्री. भिसेद्वारा पोलखोल !

अमोनियम बायकार्बोनेट का उपयोग विनाशक ! – श्री. विकास भिसे, पर्यावरण अभियंता

१. चिकनी मिट्टी की श्री गणेशमूर्तियों के कारण किसी भी प्रकार का प्रदूषण नहीं होता। इतना ही नहीं, प्लास्टर ऑफ पॅरिस की श्री गणेशमूर्तियों से भी किसी भी प्रकार का प्रदूषण नहीं होता !

२. प्लास्टर ऑफ पॅरिस ‘जिप्सम’ घटक से बना होता है। जिप्सम को भून कर उसका पानी न्यून करने से ‘प्लास्टर ऑफ पॅरिस’ बनता है। मूर्ति विसर्जन करने के पश्चात प्लास्टर ऑफ पॅरिस का पुनः ‘जिप्सम’ में रूपांतर होता है। ‘जिप्सम’ एक भूसुधारक घटक माना गया है।

३. अमोनियम बायकार्बोनेट के द्रव में श्री गणेशमूर्ति का विसर्जन करने से अमोनियम सल्फेट एवं सोडियम बायकार्बोनेट बनते हैं। इनमें यद्यपि अमोनियम सल्फेट एक उर्वरक है, परंतु भारत की भूमि अल्कलाईन प्रकार की होने से वहां इसे प्रयुक्त करना अनुचित एवं प्रदूषणकारी भी है !

४. प्रतिदिन दूषित पानी के माध्यम से होनेवाले जलप्रदूषण की तुलना में श्री गणेशमूर्तिर्यो के विसर्जन से होनेवाला प्रदूषण ०.०१ प्रतिशत भी नहीं है !

५. महापौर ने ऐसा वक्तव्य किया था कि ‘अमोनियम बायकार्बोनेट’ खाने का सोडा’ है। यह अर्धसत्य है। पिछले कुछ दशकों से यह रसायन कालबाह्य हो गया है। वर्तमान में खाने योग्य पदार्थों में अमोनियम बायकार्बोनेट नहीं, अपितु बेकिंग पावडर का उपयोग किया जाता है !

६. महानगरपालिकाद्वारा दिए जानेवाले अमोनियम बायकार्बोनेट ‘इंडस्ट्रियल ग्रेड’ (आस्थापन स्तर का) एवं विनाशक है। इस के अतिरिक्त अमोनियम बायकार्बोनेट पानी में घुलने पर जो द्रवपदार्थ उत्पन्न होता है, उसे एकत्रित करने एवं उसके परिवहन की समस्याएं भी हैं।

७. कागज का उपयोग कर श्री गणेशमूर्ति बनाना सर्वाधिक ‘पर्यावरण विरोधी’ है। कागज की श्री गणेशमूर्तियों के कारण सर्वाधिक प्रदूषण होता है !

८. इसलिए श्री गणेशमूर्तियों के विसर्जन के लिए इतना नाटक करने की अपेक्षा पालिका प्रशासन को अन्य धर्मशास्त्रीय अवलंबों का विचार करना चाहिए।

पुणे महानगरपालिका भवन के समक्ष हिन्दुत्वनिष्ठों का कल ‘निषेध आंदोलन’ !

श्री गणेशोत्सव की अवधि में हिन्दुओं के धर्मशास्त्र से विसंगत अघोरी निर्णय लेकर हिन्दुओं की धर्मभावनाएं आहत करनेवाली पुणे महानगरपालिका के निषेधार्थ हिन्दुत्वनिष्ठोंद्वारा ३१ अगस्त को दोपहर ३ से ५ की अवधि में महानगरपालिका भवन के समक्ष ‘निषेध आंदोलन’ किया जाएगा !

इस आंदोलन में अधिकाधिक हिन्दुओं ने सम्मिलित होने का आवाहन किया गया है !

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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