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हिन्दुओं की जनसंख्या बढाने की अपेक्षा ‘ब्राह्मतेज एवं क्षात्रतेज’ से युक्त पीढी का निर्माण करने की आवश्यकता ! – श्रीमती सुनीता पाटिल

आयबीएन लोकमत समाचारवाहिनी पर ‘बेधडक’ कार्यक्रम में चर्चासत्र

हाल ही में, सरसंघचालक मोहन भागवतद्वारा दिए गए ‘अन्य धर्मीय अनेक बच्चों को जन्म देते हैं, तो हिन्दुओं को किसने रोका है’ इस वक्तव्य पर चर्चासत्र

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“वर्ष १९५१ में हिन्दुओं की जनसंख्या ८५ प्रतिशत थी तथा २०११ की जनगणना के अनुसार वह अब ७९ प्रतिशत हो गई है। वर्ष १९५१ में मुसलमानों की जनसंख्या ९.८ प्रतिशत थी तथा वर्ष २०११ में वह १४.२३ हो गई है। इससे यह स्पष्ट होता है कि, हिन्दुओं की जनसंख्या अल्प होती जा रही है। अतः हिन्दू नेताओं में असुरक्षा की भावना बढ रही है; परंतु हिन्दू भी अधिक बच्चों को जन्म दें, यह इस पर उपाय नहीं है। जन्मदर के संदर्भ में सर्व धर्मियों के लिए समान कानून होना चाहिए। साथ ही अगली पीढी राष्ट्रप्रेमी एवं सुसंस्कारित, अर्थात ब्राह्मतेज एवं क्षात्रतेज से युक्त होनी चाहिए !”

हिन्दू जनजागृति समिति की श्रीमती सुनीता पाटिल ने ऐसा प्रतिपादन किया।

आयबीएन लोकमत समाचारवाहिनी पर सरसंघचालक श्री. मोहन भागवतद्वारा, ‘अन्य धर्मीय अनेक बच्चों को जन्म देते हैं, तो हिन्दुओं को किसने रोका है’, इस वक्तव्य पर आयोजित एक चर्चासत्र में वे बोल रही थी। इस समय श्रीमती सुनीता पाटिल के साथ भाजपा की महिला प्रवक्ता श्रीमती कांता नलावडे, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचारक श्री. अजिंक्य कुलकर्णी, कांग्रेस की महिला प्रवक्ता यशोमती ठाकुर एवं वामपंथी दल की श्रीमती शुभा शमीम उपस्थित थीं। श्री. राजेंद्र हुंजे ने इस कार्यक्रम का सूत्रसंचालन किया।

अन्य मान्यवरोंद्वारा प्रस्तुत किये गये सूत्र ….

सरसंघचालक के वक्तव्य का अनुचित अर्थ लगाया जा रहा है ! – श्रीमती कांता नलावडे, महिला प्रवक्ता, भाजपा

एक कार्यक्रम के पश्‍चात एक शिक्षिका ने सरसंघचालक से प्रश्‍न किया था कि, भारत एक हिन्दू राष्ट्र है; परंतु हिन्दुओं की जनसंख्या तो घट रही है। इसपर श्री. मोहन भागवत ने हिन्दुओं को अधिक बच्चों को जन्म देने से, किसने रोका है, ऐसा उत्तर दिया। इसका अर्थ उन्हों ने हिन्दुओं को अपनी जनसंख्या बढाने का आवाहन किया है, ऐसा नहीं होता। उनके वक्तव्य का अनुचित अर्थ लगाया जा रहा है !

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने ‘भयगंड’ उत्पन्न किया, ऐसा समझना अयोग्य है ! – श्री. अजिंक्य कुलकर्णी, संघविचारक

जनसंख्या के संदर्भ में युनो से लेकर सभी लोग अपने-अपने मत व्यक्त करते हैं, साथ ही शासन जनसंख्या के आंकडे घोषित करता है। अतः संघ ने इस विषय में भय उत्पन्न किया, ऐसा समझना अयोग्य है। जिस-जिस समय जनसंख्या के आंकडे घोषित किए गए उस समय संघ ने उस पर अपना मत व्यक्त किया है।

हिन्दुओं में जनसंख्या के संदर्भ में अयोग्य भय उत्पन्न किया जा रहा है ! – शुभा शमीम, वामपंथी कार्यकर्ती

हिन्दुओं की जनसंख्या अल्प होकर मुसलमानों की जनसंख्या बढ रही है, ऐसा भय हिन्दुओं में उत्पन्न किया जा रहा है; परंतु यह सत्य नहीं है। (भारत को इस्लामी राष्ट्र बनाने के लिए इसिस जैसे संगठन कार्यरत हैं तथा भारत में फैल रहे हैं। आतंकियों ने भारत को खुरासान बनाने का सपना देखा है तथा उस को प्रत्यक्ष साकार करने के लिए ‘लव्ह जिहाद’, ‘लॅण्ड जिहाद’ आदि माध्यम से भरसक प्रयास चल रहे हैं। भारत के अनेक क्षेत्र मुसलमान बहुल हो गए हैं। शमीम को, अब और क्या प्रमाण चाहिए ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात) जनसंख्या वृद्धी की दर आर्थिक एवं सामाजिक विकास पर निर्भर है। जिस समाज को उच्च श्रेणी की शिक्षा मिलती है, उस समाज को स्थिरता मिलती है तथा वहां जन संख्या वृद्धि दर अल्प होती है। केरल का उदाहरण लें, जो वहां की विकास दर सब में अच्छी मानी जाती है; क्योंकि वहां मुसलमानों की जनसंख्या दर अल्प है। (केरल राज्य में मुसलमानों की जनसंख्या २५ प्रतिशत है। यह आंकडे अल्प हैं; क्या, ऐसा शमीम का कहना है? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)

अपने लिए सुविधाजनक आंकडे बताकर जनता को भ्रमित करनेवाली शुभा शमीम एवं उनके वक्तव्य का श्रीमती सुनीता पाटिलद्वारा किया गया खंडन !

इस समय अपने वक्तव्य की पुष्टि करने के लिए शुभा शमीम ने अपने लिए सुविधाजनक आंकडे बताए। विगत २० वर्षों में हिन्दुओं की जन्मदर २२.७१ से १६.७८ प्रतिशत तक अर्थात केवल ६ प्रतिशत अल्प हुई है। मुसलमानों की जन्मदर वर्ष १९९१ में ३२.८८ थी, जो अब २४.६० तक आई है, इसका अर्थ वह १२ प्रतिशत अल्प हुई है। वर्ष २०५० तक मुसलमानों की जनसंख्या बढेगी, यह अनुमान पूर्णरूप से अयोग्य है और उसके विपरीत यह दर घटेगी।

इसपर श्रीमती सुनीता पाटिल ने स्वतंत्रता के पश्‍चात हिन्दुओं की जनसंख्या ६ प्रतिशत अल्प हुई, अर्थात ५ करोड हिन्दु अल्प हुए यह बताकर इन आंकडों की गंभीरता स्पष्ट की ! साथ ही देश के विविध राज्यों में बढी हुई अन्य धर्मियोंकी जनसंख्या का प्रतिशत बताया।

इस समय संघविचारक श्री. अजिंक्य कुलकर्णी ने शुभा शमीम को राज्यगत आंकडे पूछनेपर शमीम ने भी कुछ राज्यों में मुसलमानों की जनसंख्या का प्रतिशत अधिक बढने की पुष्टि की !

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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