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मूर्तिदान नहीं, अपितु धर्मशास्त्र के अनुसार बहते पानी में ही गणेशमूर्तियों का विसर्जन करें – हिन्दू जनजागृति समिति का आवाहन

धर्मशास्त्र के अनुसार बहते पानी में ही गणेशमूर्तियों का विसर्जन करें !

पंढरपुर में आयोजित पत्रकार परिषद में हिन्दू जनजागृति समिति का आवाहन !

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श्री क्षेत्र पंढरपुर : हिन्दू जनजागृति समिति के पश्चिम महाराष्ट्र समन्वयक श्री. मनोज खाडयेद्वारा ३० अगस्त को यहां के सावरकर वाचनालय में आयोजित पत्रकार परिषद में भक्तों को आवाहन किया गया कि, नास्तिकवादियों की भ्रमित करनेवाली बातों पर बलि न चढते हुए धर्मशास्त्र के अनुसार बहते पानी में ही विसर्जन करें !

इस पत्रकार परिषद में सोलापुर जिला समन्वयक श्री. राजन बुणगे, हिन्दू विधिज्ञ परिषद के सदस्य अधिवक्ता श्री. नीलेश सांगोलकर एवं अधिवक्ता श्री. संदीप अपसिंगेकर उपस्थित थे।

पत्रकार परिषद में, बार्इं ओर से श्री. राजन बुणगे, श्री. मनोज खाडये, अधिवक्ता श्री. नीलेश सांगोलकर, अधिवक्ता श्री. संदीप अपसिंगेकर
पत्रकार परिषद में, बार्इं ओर से श्री. राजन बुणगे, श्री. मनोज खाडये, अधिवक्ता श्री. नीलेश सांगोलकर, अधिवक्ता श्री. संदीप अपसिंगेकर

इस अवसर पर श्री. खाडये ने कहा ….

१. हिन्दुओं के धार्मिक उत्सव पर्यावरणपूरक ही हैं। ‘पूजासमुच्चय’ इस ग्रंथ में कहा गया है कि, बहते पानी में श्री गणेशमूर्ति का विसर्जन करना चाहिए, श्रीगणेशमूर्ति के कारण प्रदूषण होने का प्रश्‍न ही नहीं उठता !

इस संदर्भ में पिछले १५ वर्षों से हिन्दू जनजागृति समिति समविचारी संगठनों के साथ प्रबोधन कर रही है; परंतु अनेक स्थानों पर कृत्रिम जलाशय में मूर्ति विसर्जन करने की धर्मविरोधी भूमिका को प्रशासन का भी समर्थन मिलता है। पंढरपुर में भी मूर्ति का नदी में विसर्जन न करते हुए कृत्रिम जलाशय में विसर्जन करने का आवाहन किया जाता है एवं उस पद्धति से नदीपात्र में गड्ढे बनाए जाते हैं। इसे हिन्दू जनजागृति समिति का तीव्र विरोध है !

२. प्रसारमाध्यमोंद्वारा छायाचित्र के साथ उजागर किया गया है कि, कुछ स्थानों पर विसर्जित मूर्तियों को वहां से निकाल कर नगरपालिकाद्वारा उन्हें कूडे-कचरे की गाडी से ले जाकर श्री गणेशमूर्तियों का अनादर कर पुनः नदीपात्र में ही फेंक दिया जाता है !

यदि ऐसा है, तो प्रदूषण के नाम पर जनता को लूटने एवं हिन्दू धर्म की मानहानि करने का यह षड्यंत्र किस लिए ?

३. पंढरपुर में नालों का प्रदूषित पानी नदी में छोडा जा रहा है। इस विषय में अनेक स्थान पर समाचारपत्रों के माध्यम से पत्रकारों ने आवाज उठाई है। मुख्याधिकारी कहते हैं कि, शासन से निधि प्राप्त होने पर जमीन के निचे से नालियोंद्वारा नगर के प्रदूषित जल की व्यवस्था की जाएगी; परंतु अभी तक प्रदूषित पानी नदी में ही छोड़ा जा रहा है !

४. यहां की मांसविक्रय करनेवाली दुकानों से आनेवाला रक्तमिश्रित प्रदूषित पानी नदी में ही जा रहा है। न्यायालय का आदेश होते हुए भी आजतक नदी में जानवरों एवं वाहनों को धोने के कांड चल रहे हैं। इस संदर्भ में भी कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

५. पंढरपुर में प्रतिदिन सहस्रों लीटर प्रदूषित पानी बिना किसी प्रक्रिया के नदीपात्र में एक गड्ढा कर उस में छोडा जा रहा है। इस प्रदूषण को रोकने हेतु पालिकाद्वारा क्या प्रयास किए गए ? इस वर्ष नदी में प्रचंड मात्रा में पानी है तो, मूर्ति विसर्जन हेतु अडचनें किस लिये ?

६. गुजरात शासनद्वारा प्लास्टर ऑफ पॅरिस की मूर्ति पर लगाया गया प्रतिबंध उठाया गया है।

इस अवसर पर अधिवक्ता श्री. नीलेश सांगोलकर ने कहा कि, न्यायालयद्वारा उत्सव में होनेवाले प्रदूषण के संदर्भ में प्रबोधन करने के लिए सूचित किया गया है। ऐसी होते हुए ‘न्यायालय का आदेश’ बता कर मंडलों पर दबाव डालना अनुचित है। हम ऐसा नहीं होने देंगे !

अधिवक्ता श्री. संदीप अपसिंगेकर ने कहा कि, पिछले वर्ष गणेश विसर्जन के संदर्भ में सूचना अधिकार के अंतर्गत प्रशासन से कुछ प्रश्न किए गए थे। प्रशासनद्वारा इन प्रश्नों के भी भ्रमित करनेवाले उत्तर दिए गए !

मूर्तियों का अनादर करनेवालों पर अपराध प्रविष्ट करने की मांग !

इस अवसर पर श्री. खाड्ये ने कहा कि, मूर्तिदान तथा कृत्रिम जलाशय में मूर्तियों को विसर्जन करने का आवाहन किया जाता है परंतु पश्चात उन मूर्तियों को कूडे-कचरे समान फेंक दिया जाता है एवं गणेशभक्तों का विश्‍वासघात किया जाता है !

इस प्रकार से मूर्तियों का अनादर करनेवालों पर अपराध प्रविष्ट करने की मांग की जाएगी।

क्षणिकाएं

१. इस स्थान पर रखी गई सात्त्विक गणेशमूर्तियों को पत्रकारोंद्वारा अच्छा प्रतिसाद मिला।

२. एक पत्रकारद्वारा सात्त्विक गणेशमूर्ति की मांग भी की गई।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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