केवल मंदिरों में ‘पाश्चात्त्य पेहराव पर प्रतिबंध’ ऐसे फलक लगा कर न रुकें, मंदिरों ने हिन्दुओं को धर्मशिक्षा देने की सुविधा भी करनी चाहिए, जिस से हिन्दुओं में धर्माभिमान भी उत्पन्न होगा !
उज्जैन : यहां के श्री वृषभ देव मंदिर के न्यासद्वारा महिलाओं के लिए नया नियम बनाया गया है।
नियम ऐसा है कि मंदिर में आते समय ८ वर्ष से अधिक आयुवाली लडकियां एवं विवाहित महिलाओं को पाश्चात्त्य वस्त्रों के स्थान पर भारतीय वस्त्र परिधान कर, आना चाहिए।
इस मंदिर के न्यासद्वारा मंदिर के बाहर ही एक सूचना फलक लगाया गया है, जिस पर महिलाओं को जीन्स परिधान कर मंदिर में न आने के संदर्भ में लिखा है। इससे पूर्व दक्षिण भारत के मंगलादेवी एवं केनगेरी के कालीकंबा मंदिर में भी महिलाओं को जीन्स परिधान कर आने के लिए प्रतिबंध लगाए गए थे।
हाल ही में, कोल्हापुर के श्री महालक्ष्मी मंदिर में भी भूमाता ब्रिगेड की अध्यक्षा तृप्ति देसाई को साडी परिधान कर आने को कहा था; परंतु उन्होंने इसका विरोध किया था ! (ऐसे पुरो(अधो)गामियों के कारण ही आज हिन्दू धर्माचरण से दूर जा रहे हैं एवं उनके हाथ से अधिकाधिक अधर्म हो रहा है। इसलिए समाज में नैराश्य, आत्महत्या, धोखेबाजी तथा भ्रष्टाचार जैसे कांडों में वृद्धि होकर समाज की अधोगति हो रही है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात