धर्मशिक्षा के अभाव से हिन्दुओं की हुई दुर्दशा !
अति धनलोभ के कारण अंतिम संस्कार के समय अपने ही धर्मबंधुओं को संकट में डालनेवाले हिन्दुओं के कारण ही हिन्दू अपने धर्म पर के विश्वास से विचलित होते हैं ! धर्म से दूर ले जानेवाले ऐसे व्यावसायिक हिन्दुओं पर कठोर कार्रवाई करनी चाहिए !
- अधिवक्ता श्री. कमलेशचंद्र त्रिपाठीद्वारा अंतिम संस्कार का व्यापार करनेवालों के विरोध में जिलाधिकारी को ज्ञापन
- एक दाह संस्कार के लिए १५ से २० सहस्र रुपए !
- निलामी के लिए सवेरे से चिताएं रची जाती है !
वाराणसी : पौराणिक मान्यता एवं श्रद्धाओं के कारण यहां के मणिकर्णिका घाट पर समीप सगेसंबंधियों के अंतिम संस्कार करने हेतु आनेवाले दुखी एवं शोकग्रस्त संबंधियों की ओर से दाह संस्कार के लिए अनगिनत राशि को उधेडनेवाले समाजकंटक एवं लकडे के व्यापारियों के विरोध में कठोर कार्रवाई करने की मांग यहां के अधिवक्ता श्री. कमलेशचंद्र त्रिपाठी ने जिलाधिकारी को एक ज्ञापनद्वारा की।
एक मृतदेह का दहन करने हेतु १५ से २० सहस्र रुपयों की मांग
पूर परिस्थिति के कारण यहां के घाट पानी में डूब गए हैं। इसलिए यहां के मणिकर्णिका घाट पर के महास्मशान पर इन दिनों दाह संस्कार हेतु पर्याप्त भूमि नहीं है। कुछ लोग इस स्थिति का अनुचित लाभ उठा रहे हैं। वर्तमान में सिंधिया घाट, रत्नेश्वर मंदिर के सामने की भूमि एवं स्मशानेश्वर महादेव के छत पर की भूमि पर ३-४ चिताओं को जलाया जाता है। इस छत की नीलामी, लकडों का व्यवसाय करनेवाले कर रहे हैं।
स्मशानेश्वर महादेव के छत पर एक मृतदेह का दहन करने हेतु १५ से २० सहस्र रुपए लिए जाते हैं। जिसके पास पैसे हैं, वे उनके मृतदेह का अंतिम संस्कार कर तुरंत निकल जाते हैं; परंतु जिनके पास धन का अभाव है, उनको मात्र अनेक घंटे प्रतीक्षा करते हुए रुकना पड रहा है !
लोगों को झूठे कारण बता कर उन से पैसे उधेडनेवाले दलाल !
सवेरा होते ही घाट पर २-३ चिताएं रचाई जाती हैं। इस विषय में पूछने पर बताया जाता है कि, अति महत्त्व की व्यक्तियों की मृतदेह का दहन किया जानेवाला है। इस विषय में सत्य परिस्थिति यह है कि, कुछ दलाल ऐसे हैं, जो धनिक लोगों को परख कर अंतिम संस्कार स्थल पर झूठी कहानियां बता कर उन्हें भयभीत करते हैं एवं पूर्व से रचाई गई चिता उन्हें बिकते हैं, जिससे उन्हें उसके बदले में पैसे मिलते हैं !
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात