देवास – कथित हत्याकांड के आरोप में बन्दी बनाए गए साध्वी प्रज्ञा ठाकुरजी को गुरुवार न्यायालय में उपस्थित किया गया । तृतीय अपर जिला एवं सत्र जज सुरभि मिश्रा ने शाम को बंद कमरे में करीब आधा घंटे तक सुनवाई की। इस दौरान न्यायालय के अंदर से सभी पुरुषों को बाहर कर दिया गया। मामले में अगली सुनवार्इ १५ सितंबर को होगी।
इस प्रकरण में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर सहित कुल ८ लोगोंपर कथित आरोप है, जिनमें से ४ को पूर्व में जमानत मिल चुकी है। साध्वीजी को गुरुवार दोपहर कड़ी सुरक्षा में भोपाल से देवास लाया गया। जहां सबसे पहले ताराणी कॉलोनी स्थित एक निजी अस्पताल में उनका स्वास्थ्य परीक्षण हुआ। इसके बाद शाम को ५.१७ बजे साध्वी को न्यायालय पहुंचाया गया। कार से उतरकर व्हीलचेयर की मदद से उनको तृतीय अपर जिला एवं सत्र जज सुरभि मिश्रा खण्डपीठ के न्यायालय में ले जाया गया।
उनके साथ में २५ से अधिक वकील व अन्य लोग भी अंदर घुस गए। यहां साध्वीजी ने जज से महिला सदस्यों की उपस्थिति में बयान देने की प्रार्थना की। इसके बाद सभी पुरुषों को बाहर कर दिया गया। हालांकि बाद में मामले से जुड़े कुछ पुरुष वकील अंदर गए।
सुनवाई के दौरान न्यायालय के बाहर व परिसर में भाजपा तथा अन्य हिंदू संगठनों के कई नेता भी उपस्थित हुए । सुनवाई के बाद शाम करीब ६ बजे साध्वी को लेकर पुलिस न्यायालय से रवाना हुई।
साध्वी की ओर से वकील रघुवीर यार्दी ने बताया कि साध्वी ने न्यायालय से प्रार्थना करते हुए कहा कि, वो कई गंभीर बीमारियों से पीडि़त हैं, एक ही दिन में भोपाल से आकर वापस लौट नहीं सकतीं। न्यायालय ने उनके स्वास्थ्य को देखते हुए उनको लेकर आने वाले पुलिस बल को वरिष्ठों से चर्चा कर उचित निर्णय लेने के आदेश दिए।
सन्यासी कभी हत्या नहीं कर सकता
न्यायालय में बयान देने के बाद शाम करीब ५.५१ बजे साध्वीजी बाहर निकलीं और न्यायालय के मुख्य द्वार पर मीडिया से चर्चा की। उन्होंने कहा कि सत्य है, तो मनुष्य है। इसी तरह से यह भी सत्य है कि मैं राष्ट्रवादी हूं और एक राष्ट्रवादी दूसरे राष्ट्रवादी की हत्या नहीं कर सकता है। यह भी सत्य है कि, मैं सन्यासी हूं और सच्चा सन्यासी कभी अपराध नहीं कर सकता है। यह भी सत्य है कि मेरा इस मामले से कोई लेना देना नहीं है।
स्त्रोत : पत्रिका