केवल ‘सनातन द्वेष’ से भरी सातारा पुलिस !
• इस संदर्भ में गृहविभाग क्या कुछ कार्यवाही करेगा ?
• सातारा में प्रशासनद्वारा पारंपरिक गणेशमूर्ति विसर्जन पर स्वयंघोषित प्रतिबंध !
• श्री गणेशमूर्ति विसर्जन के कारण एक भक्त को कपडे फटने तक पुलिसद्वारा धक्कामुक्की !
• दोनों पर अपराध प्रविष्ट करने की धमकी !
सातारा : गणेश भक्तोंकी पांच दिवसीय श्री गणेशमूर्तियों का विसर्जन करने हेतु यहां के एक निजी मंगलवार तालाब पर भीड लगी थी। इस अवसर पर श्री गणेशमूर्ति का पारंपरिक पद्धति से विसर्जन करने पर प्रतिबंध होने का कारण देते हुए पुलिस प्रशासनद्वारा भक्तों को श्री गणेशमूर्ति विसर्जन को मना किया गया। (पुलिस प्रदूषण का कारण बता कर हिन्दुओं को धार्मिक परंपराओं का पालन करने में अडचनें उत्पन्न करती है, परंतु अन्य धर्मियों की धार्मिक बातें प्रदूषण को बाधक होते हुए भी उन पर प्रतिबंध नहीं लगाती, इस वस्तुस्थिति को जानना चाहिए। हिन्दुओं ने शास्त्रीय परंपराओं का पालन करना चाहिए ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात) पुलिसद्वारा मंगलवार तालाब के पानी में श्री गणेशमूर्ति विसर्जन करने की अनुमति नहीं दी गई थी।
इस अवसर पर वहां मूर्ति विसर्जन के लिए गए दैनिक सनातन प्रभात के संवाददाता श्री. राहुल कोल्हापुरे ने पुलिस को समझाया एवं विविध वैधानिक दस्तावेज भी दिखाएं, फिर भी उन्होंने उलटे डांट-डपट कर उनको ही पुलिसद्वारा नियंत्रण में लिया गया । (रजाकारी पुलिस ! यदि पुरोगामियों के दबाव में आकर इस प्रकार से पुलिस हिन्दुत्वनिष्ठों को प्रताडित करती है, तो वहां साधारण लोगों की क्या परिस्थिति होंगी, इस का अंदाजा लगा सकते हैं ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात) इस अवसर पर एक भक्त का पुलिस के साथ विवाद हुआ। इस पर कोई विचार किए बिना ही पुलिस ने सच में उनके कपडे फटने तक उन्हें धक्कामुक्की की !
१. पिछले वर्ष यहां के स्थानीय प्रशासनद्वारा मुंबई उच्च न्यायालय के नाम का अनूचित उपयोग करते हुए ‘उच्च न्यायालय के आदेशानुसार सातारा नगर के प्राकृतिक जलस्रोतवाले तालाबों पर विसर्जन के लिए सक्त मनाई’ इस प्रकार अवैधानिक रूप से एवं साफ मिथ्या आशय के फलक लगाए गए थे। इसलिए उस समय समस्त गणेशभक्तों में संभ्रम एवं भय उत्पन्न हो गया था।
२. पिछले एवं इस वर्ष हिन्दू जनजागृति समितिद्वारा सभी बातों का अध्ययन कर लगाए गए फलक पर की लिखी गई एक पंक्ति के अनुसार न्यायालय के निर्देश न होने एवं प्रशासन के मिथ्यापन के विषय में (स्वयंघोषित बंदी के विषय में) जनजागृति की गई थी। अतः इस वर्ष हिन्दुत्वनिष्ठ तथा हिन्दुत्वनिष्ठ संगठन एवं कुछ नागरिकों ने जागृत होकर नगर के प्राकृतिक जलस्रोतवाले तालाब में ही श्री गणेशमूर्ति विसर्जन करने का निर्णय लिया। तथा मंगलवार तालाब पर संबंधित विसर्जन के लिए मनाई है ऐसा फलक भी लगाया नहीं गया था।
३. १० सितंबर को मंगलवार तालाब पर हिन्दुत्वनिष्ठोंद्वारा मूर्ति विसर्जन के पीछे का शास्त्र बता कर उनका प्रबोधन करने से भक्त कृत्रिम कुंड के स्थान पर मंगलवार तालाब में मूर्ति विसर्जन करने हेतु आ रहे थे; परंतु इस समय शाहुपुरी पुलिस थाने के पुलिस उपनिरीक्षक श्री. चंद्रकांत बेंद्रे ने श्री गणेशमूर्ति तालाब में विसर्जन करने से मना किया।
४. इस अवसर पर घटनास्थल पर श्री गणेश मूर्ति विसर्जन हेतु परिवारजनों के साथ आए सनातन प्रभात के वार्ताहर श्री. राहुल कोल्हापुरे ने पुलिस उपनिरीक्षक श्री. चंद्रकांत बेंद्रे को मुंबई उच्च न्यायालयद्वारा जिलाप्रशासन को मूर्ति विसर्जन के संदर्भ में दिए गए आदेश, महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल के दिशानिर्देश, पुणे के ‘सृष्टि इको रिसर्च सेंटर’ का पर्यावरणीय अभ्यास का प्रमाण आदि दस्तावेज दिखाएं; परंतु फिर भी उनका कुछ भी सुनकर लिए बिना पुलिस ने श्री. कोल्हापुरे को ही डांट-डपट करना आरंभ किया। श्री. कोल्हापुरे ने कहा कि, यह एक निजी तालाब होने से उसके स्वामी एवं भक्तों के बीच का प्रश्न है। यहां प्रशासन का संबंध नहीं है, ऐसा भी कहा; परंतु फिर भी पुलिसकर्मी उनका कुछ नहीं सुन रहे थे। (तालाब में मूर्ति विसर्जन न करने का किसी का भी आदेश न रहते हुए पुलिस किस के दबाव में हिन्दू धर्म के विरोध में आचरण कर रहे थे ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
५. इस अवसर पर पुलिस के दबाव में न आकर श्री. कोल्हापुरे के साथ अन्य भक्तों ने श्री गणेशमूर्ति सड़क पर रख कर प्रशासनद्वारा इस स्वयंघोषित बंदी का निषेध किया तथा धार्मिक परंपराओं में हस्तक्षेप न करने की विनती की; परंतु पुलिस उपनिरीक्षक श्री. चंद्रकांत बेंद्रे ने तानाशाही की भाषा का उपयोग करते हुए श्री. कोल्हापुरे एवं भक्तों को डांट-डपटना आरंभ किया। (हिन्दुत्वनिष्ठ भाजपा के राज्य में भी हिन्दुओं को अपनी परंपराओं का पालन करने पर पुलिसद्वारा प्रतिबंध लगाए जाते हैं। क्या, ऐसे समझें कि हिन्दुओं का त्राता कोई भी नहीं है ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
६. इस समय पुलिसद्वारा भक्तों को पारंपरिक पद्धति से मंगलवार तालाब में विसर्जन की अनुमति नहीं दी गई एवं कृत्रिम कुंड में विसर्जन हेतु बलजोरी करने से अंत में भक्तों ने अनिच्छा से कृत्रिम कुंड में मूर्ति विसर्जन किया।
७. इस अवसर पर एक भक्त के धक्कामुक्की करने पर पुलिस ने उन्हें एवं सनातन प्रभात के वार्ताहर श्री. राहुल कोल्हापुरे को बंदी बना कर शाहूपुरी पुलिस थाने में ले जाकर बिठाया। यह वार्ता नगर में हवा के समान फैल गई एवं देखते-देखते नगर के हिन्दुत्वनिष्ठ शाहुपुरी पुलिस थाने में संगठित हुए।
८. इस अवसर पर पुलिसद्वारा निश्चित रूप से ‘मंगलवार तालाब में मूर्ति विसर्जन करने की अनुमति नहीं देंगे’, ऐसी भूमिका अपनाते हुए हिन्दुत्वनिष्ठों के साथ तानाशाही की गई तथा गणेशभक्त एवं श्री. कोल्हापुरे पर अपराध प्रविष्ट करने की धमकी भी दी गई।
सनातन प्रभात के संवाददाता होने से श्री. राहुल कोल्हापुरे पर प्रतिशोध की सूडबूद्धि से कार्रवाई करने का पुलिसद्वारा प्रयास !
घटनास्थल पर श्री गणेशमूर्ती विसर्जन हेतु परिवाजनों के साथ आए सनातन प्रभात के संवाददाता श्री. राहुल कोल्हापुरे को पुलिसद्वारा अकारण नियंत्रण में लिया गया। पुलिस थाने में जाने पर पुलिस उपनिरीक्षक श्री. चंद्रकांत बेंद्रे ने कहा कि, मैं भी सनातन संस्था का साधक हूं; परंतु हम हमारी धार्मिकता विश्वको दिखाते हुए नहीं घुमते। जो भी है, हमारे मन में रखते हैं। (साफ मिथ्या वक्तव्य करनेवाले पुलिस उपनिरीक्षक श्री. बेंद्रे ! वे कब से सनातन संस्था के साधक बने ? वे यदि साधक होते तो उन्होंने दायित्व लेकर कृत्रिम कुंड बंद कर भक्तों को तालाब में मूर्ति विसर्जन करने को कहा होता। यहां तो ठीक इसके विपरीत हुआ है; इसलिए बेंद्रे अपनी धार्मिकता के विषय में जो बता रहे हैं, उस पर कौन विश्वास रखेगा ? सनातन प्रभात के वार्ताहर श्री. राहुल कोल्हापुरे को मूर्ति विसर्जन के समय में ही नियंत्रण में लेने के संदर्भ में संबंधित लोगों पर कार्रवाई हेतु सनातन अधिवक्ताओं से परामर्श ले रही है।- संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
स्पष्ट है कि, केवल ‘सनातन द्वेष’ के कारण ही शाहुपुरी पुलिस उपनिरीक्षक श्री. चंद्रकांत बेंद्रे ने संवाददाता श्री. राहुल कोल्हापुरे को नियंत्रण में लिया है !
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात