नई देहली : मृतकों की मोक्ष प्राप्ति के लिए उनके शव को जलाने के बाद बची अस्थियों व राख को पवित्र गंगा नदी में बहाया जाता है। अन्य देशों में बसे हिंदुओं की यह इच्छा मौत के साथ खत्म हो जाती होगी। पाकिस्तान की बात अलग है। वहां ऐसा नहीं है क्योंकि पाकिस्तान कराची में एक महंत हैं जो वहां के हिंदुओं की इस अंतिम इच्छा को पूरी करने की भरपूर कोशिश कर रहे हैं। वे कराची से हिंदुओं के अस्थि कलश को लेकर भारत आए हैं ताकि गंगा नदी में उसे प्रवाहित कर सकें।
पाकिस्तान के कराची स्थित पंचमुखी हनुमान मंदिर के महंत १६० हिंदुओं के अस्थि कलश को हरिद्वार की गंगा नदी में प्रवाहित करने भारत आए हैं। अपने १४ वर्षीय भतीजे कबीर कुमार के साथ महंत रामनाथ मिश्रा गुरुवार को अटारी बार्डर पहुंचे। पाकिस्तान कस्टम विभाग द्वारा कुछ औपचारिकताओं के लिए रोका गया।
इससे पहले २०११ में कराची निवासी महंत वहां से १३५ अस्थिकलश लेकर गंगा में प्रवाहित करने भारत आए थे। वे कराची के हिंदू क्रिमेशन एसोसिएशन के अध्यक्ष भी हैं। पाकिस्तान ने बताया कि १० लोगों ने वीजा के लिए आवेदन दिया था किंतु केवल महंत व उनके भांजे को ही वीजा मिल सका। महंत ने बताया कि मंदिर में ४० और अस्थिकलश रखे हैं जिन्हें वे ला नहीं पाए क्योंकि उनके रिश्तेदार खुद भारत आना चाहते हैं।‘
उन्होंने आगे बताया कि, सामान्यतया पाकिस्तान में हिंदू अपने परिजनों की मौत के बाद अस्थिकलश को मंदिर में रख देते हैं या फिर अपने घर में समाधि बना देते हैं और अधिकांश मामलों में समुद्र के पानी में ही अस्थियों को प्रवाहित कर देते हैं।
स्त्रोत : जागरण