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अमेरिकी संसद में पाक को आतंकी देश घोषित करने की मांग

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वॉशिंगटन : पाकिस्तान जल्द एक आतंकी देश के रूप में पहचाना जाएगा। एक समाचारपत्र के अनुसार, दो अमेरिकी जनप्रतिनिधियों ने पाकिस्तान को आतंकवाद प्रायोजित करनेवाला देश घोषित करने से जुड़ा विधेयक यूएस कांग्रेस में प्रस्तुत किया है।

आपको बता दें कि, यूएन जनरल असेंबली में पंतप्रधान नवाज शरीफ जल्द कश्मीर का मुद्दा उठाने वाले हैं। एचआर ६०६९ या द पाकिस्तान स्टेट स्पॉन्सर ऑफ टेररिजम डेजिगनेशन ऐक्ट नाम का बिल आने के चार महीने के अंदर अमेरिकी प्रशासन को इस प्रकरण पर औपचारिक रुख निश्चित करना होगा।

इस बिल को टेक्सस शहर के कांग्रेसमेन टेड पो और कैलिफोर्निया के कांग्रेसमेन डेना रोअरबाकर ने रखा है। टेड टेररिजम पर बनी हाउस सब कमिटी के अध्यक्ष भी हैं। डेना बलूच आंदोलन के समर्थक हैं।

बिल की घोषणा करते हुए टेड ने पाकिस्तान को भरोसे लायक न करने वाले देश बताया और कहा कि, पाकिस्तान ने वर्षों से अमेरिका के
शत्रुआें को मदद देता रहा है। उसने न केवल ओसामा को शरण दी, अपितु उसके हक्कानी नेटवर्क से भी संबंध हैं। इसके अलावा भी पर्याप्त सबूत हैं कि, आतंकवाद के विरुध्द जंग में पाकिस्तान किसके साथ खड़ा है।

समय आ गया है कि, पाकिस्तान को उसकी धोखेबाजी के लिए पैसे देना बंद करें एवं उसे वह दर्जा दें जिसका वह हकदार है, ‘आतंकवाद प्रायोजित करने वाला देश।’

टेड ने जम्मू-कश्मीर स्थित भारतीय सैन्य मुख्यालय पर हुए आक्रमण की भी निंदा की। बता दें कि वर्तमान अमेरिकी कांग्रेस अपने अंतिम दौर में है। ऐसे में यहां प्रस्तुत हजारों बिलों में से कुछ के ही कानून में बदलाव होने की संभावना है। हालांकि, ताजा बिल इस बात का संकेत है कि, अमेरिकी जनप्रतिनिधियों में उस पाकिस्तान के विरुध्द गुस्सा बढ़ रहा है, जो अमेरिकी और भारतीय लोगों की हत्या में सहभागी आतंकी समूहों की मदद कर रहा है।

कई वर्षों बाद ऐसा पहली बार हुआ है कि, जब पाकिस्तान को आतंकवादी देश घोषित करने को लेकर औपचारिक बातचीत शुरू हुई है। इस तरह के मुद्दे पर अंतिम बार चर्चा १९९३ में हुई थी, जब पाक ने अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के माध्यम से मुंबई बम धमाकों का षडयंत्र रचा था। इन धमाकों में २५९ लोगों की मृत्यु हो गई थी। इसके बाद, इससे मिलते जुलते कई आक्रमण न्यू यॉर्क, लंदन, मैड्रिड और विश्व के कई दूसरे शहरों में हुए।

इनमें से कई आक्रमणों में पाकिस्तान का हाथ होने के संकेत मिलने के बाद यह देश केवल इसलिए बचता रहा क्योंकि वह आतंक के विरुध्द जंग में स्वयं को साथी बताता रहा।

स्त्रोत : हरि भूमि

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