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वैज्ञानिकों ने माना – पवित्र है ‘गंगाजल’, इससे बन सकती है टीबी, टायफॉयड की दवा !

हिन्दू धर्म की महानता ही इससे सिद्ध होती है !

तथाकथित बुद्धिवादियोंका अब इस विषय में क्या कहना है ? – सम्पादक, हिन्दूजागृति

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चंडीगढ : भारतीय वैज्ञानिकों ने भी ताजा शोध में गंगा जल को पवित्र माना है। हिन्दू धर्म में इस नदी का विशेष महत्व है, इसे ब्रह्म नदी भी कहा गया है। चंडीगढ स्थित सीएसआईआर-इन्स्टीच्यूट ऑफ माइक्रोबियल टेक्नोलॉजी (आएएमटेक ) के वैज्ञानिकों ने अपने शोध में गंगा जल में एक खास तरह का बैक्टिरियोफेजेज वायरस की पहचान की है जो बैक्टिरिया खाता है। इस शोध ने गंगा जल की चमत्कारिक शक्ति का खुलासा किया है।

आएएमटेक के वरिष्ठ और प्रधान वैज्ञानिक डॉ. शनमुगम मईलराज ने कहा, “गंगा जल के साफ पानी के गाद में पाए गए मेटाजिनोम-वाइरोम्स के विश्लेषण से यह पता चला कि, उसमें जल की पवित्रता कायम रखने की अद्भुत क्षमता है। उसमें एक दोहरा डीएनए का कमजोर वायरस भी पाया गया।”

उन्होंने कहा, यह पहली बार है जब वैज्ञानिकों को एक नए किस्म का वायरस मिला है। यह गंगा के किनारे स्थित घरों के साफ पानी में भी पाया गया है, जिसके बारे में पहले कभी कोई रिपोर्ट नहीं देखी। ये बैक्टिरियोफेजेज कुछ क्लिनिकल जांच में सक्रिय पाए गए हैं। इसका उपयोग मल्टी ड्रग रेसिस्टेन्ट यानी एमडीआर इन्फेक्शन के विरूद्ध उपचार के लिए किया जा सकता है।

डॉ. मईलराज और उनकी टीम के वैज्ञानिकों ने इस तरह के करीब २०-२५ वायरस की पहचान की है जिनका उपयोग ट्यूबरोक्लोसिस (टीबी), टॉयफॉयड, न्यूमोनिया, हैजा-डायरिया, पेचिश, मेनिन्जाइटिस जैसे अन्य कई रोगों के उपचार के लिए किया जा सकता है। डॉ. मईलराज ने कहा, “हमारे शोध में बैक्टिरियोफेजेज के कई प्रकार का पता चला है जिनमें कई बैक्टिरियल विशेषताएं हैं।”

इस शोध की पूरी रिपोर्ट सरकार को दिसंबर २०१६ तक सौंप दिया जाएगा।

स्त्रोत : जनसत्ता  

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