जैसलमैर से १२० किलोमीटर दूर और माता तनोट मंदिर से ५ किलोमीटर पहले माता घंटीयाली का दरबार है। माता घंटीयाली और माता तनोट की पूजा बीएसएफ के सिपाही ही करते हैं। १९६५ की जंग में माता का ऐसा चमत्कार दिखा कि पाकिस्तानी सेना वहीं ढेर हो गई। पाक सेना एक-दूसरे को ही दुश्मन समझकर लड पड़ी, माता के मंदिर में घुसे पाक सैनिक आपसी विवाद में ढेर हो गए और तीसरे चमत्कार में पाक सैनिक अंधे हो गए।
कितना पुराना है मंदिर
मंदिर के मुख्य पुजारी भी बीएसएफ सिपाही ही हैं। इनका नाम है पंडित सुनील कुमार अवस्थी। यह मंदिर १२०० वर्ष प्राचीन है। माता का यहां ऐसा चमत्कार दिखा कि १९६५ की जंग के दौरान पाकिस्तानी सेना, अपनी ही सेना को भारतीय सैनिक समझ एक-दूसरे पर गोलियां दागने लगे। कुछ पाकिस्तानी सैनिक घंटीयाली माता मंदिर तक पहुंच गए थे।
मंदिर को नुकसान पहुंचाया तो माता का और चमत्कार हुआ और आपसी विवाद के चलते सारे पाकिस्तानी सैनिक आपस में लड़कर मर गए। अवस्थी ने बताया कि घंटीयाली तक पहुंची एक अन्य पाकिस्तानी टुकड़ी ने माता घंटियाली की मूर्ति का श्रृंगार उतारने की कोशिश की तो वे सभी अंधे हो गए थे।
बीएसएफ करती है पूजा
माता घंटीयाली और माता तनोट की पूजा बीएसएफ के सिपाही करते हैं। १९६५ और १९७१ की जंग में दोनों देवियों के आशीर्वाद से तथा चमत्कार से पाकिस्तानियों को धूल चटाने के बाद बीएसएफ ने दोनों मंदिरों का जिम्मा अपने हाथों में ले लिया। दोनों मंदिर में बीएसएफ का सिपाही ही पंडित होता है। अभी यह जिम्मेदारी बीएसएफ की १३५वीं वाहिनी के पास है।
स्त्रोत : आज तक