वर्ष १९९० के दशक में कश्मीर से लाखों हिन्दूओं को जिहादीयों ने वहां से निकाल बाहर कर दिया। जिन हिन्दुओं ने धर्म परिवर्तन करना नकारा, अथवा जिन्होंने अपनी संपत्ति की अपेक्षा घर की स्त्रियों की रक्षा को प्रधानता दी, उन धर्मनिष्ठ कश्मीरी हिन्दुओें को कश्मीर छोडना पडा ! यह कोई एक रात में हुआ विस्थापन नहीं था, इस षडयंत्र का प्रारंभ उसके पहले न जाने कितने वर्ष पूर्व हुआ था। अलग-अलग घटनाओं के माध्यम से संकट की घंटी बज रही थी; किंतु उसकी ओर किसी ने गंभीरता से नहीं देखा। जब यह ध्यान में आया, तब पहले अधिकारों के लिये लड़ें या फिर अपने प्राण बचायें, यह प्रश्न सामने खडा था ! ऐसी स्थिति हाल ही में उत्तर प्रदेश के कैराना में भी उत्पन्न हुई। एक समय हिन्दुबहुसंख्यक होनेवाले इस गांव में अब हिन्दू अल्पसंख्यक हुए !
प्रकाश के झोके में आए हुए कश्मीर एवं कैराना, ये दो ही नाम !
भारत के न जाने कितने गांव एवं शहर कश्मीर एवं कैराना के मार्गपर हैं; परंतु आज भी हिन्दू जागृत नहीं हो रहा है, यह दुर्भाग्यपूर्ण है !
उसमें अब महाराष्ट्र के पुणे जैसा शहर भी उसी दिशा में आगे बढ रहा है। इस लेख में व्याप्त धर्मांधों के उन्मादों को पढकर ‘हिन्दू राष्ट्र’ अर्थात ‘सनातन धर्म राज्य’ की आवश्यकता प्रतिपादित होगी; किंतु, उसके लिए हिन्दुओं को एक प्रभावशाली संगठन खडा करने की आवश्यकता है !
पुणे, और एक शहर… !
छत्रपति शिवाजी महाराज ने जहां स्वराज्य की आधारशिला रखी, लोकमान्य तिलक, चापेकर बंधु जैसे क्रांतिकारियों की जो कर्मभूमि थी, वह पुणे शहर… ! उस पुणे शहर का मार्गक्रमण भी कश्मीर एवं कैराना की दिशा में हो रहा है। शहर के एक भाग में स्थित हिन्दू अब आतंक के वातावरण में जी रहे हैं। कुछ लोग अपनी स्त्रियों-बच्चों की चिंता के कारण घर छोडकर जा रहे हैं। कुछ लोगों ने तो अपनी लडकियों को विद्यालयों-महाविद्यालयों में भेजना भी बंद कर दिया है। हिन्दुओं का त्यौहार मनाया जाना बंद हुआ है, हिन्दू अभिभावकों को टंटा-बखेडा कर झगडा करनेवाले धर्मांधों से अपने बच्चों को बचाने के लिए उनको बाहर खेलने हेतु भेजने में भी अब भय लग रहा है।
एक समय के हिन्दू बहुसंख्यक क्षेत्र में, धर्मांधों की बढ रही संख्या !
एक समय हिन्दू बहुसंख्यक होनेवाले इस क्षेत्र में एक-एक करते हुए धर्मांधों की बस्ती बढने लगी और वहां की गंदगी भी ! जन्म से वहां रहनेवाले कुछ स्थानीय आज भी पुरानी स्मृतियों में खो जाते हैं तथा परिसर को आज प्राप्त झोपडियों का रुप देखकर दु:ख व्यक्त करते हैं। आज के दिन, उस परिसर में ५० प्रतिशत धर्मांध हैं !
धीरे-धीरे शिवजयंती हो गई बंद !
स्थानीय बताते हैं कि, इसके पहले परिसर में बडी मात्रा में शिवजयंती मनाई जाती थी। उस समय सवेरे से ही पोवाडे (वीरश्री युक्त गीत) तथा परिसर में भगवे ध्वजों का वातावरण होता था। अब हम ही इन पोवाडों को भूल गए। हमारे बच्चों को तो ‘पोवाडा’ क्या होता है, कैसा होता है ये भी ज्ञात नहीं ! अब पुलिसकर्मी आ कर पोवाडे बंद कर देते हैं। अब केवल १ अथवा २ स्थानोंपर शिवजयंती मनाई जाती है। उस में भी पहले जैसा उत्साह नहीं होता।
शिवजयंती समाप्त होनेपर रात के समय पुलिसकर्मी भगवे ध्वज हटाने के लिए कहते हैं !
तब हिन्दू यदि सोए हुए हों, तो भी पुलिककर्मी उनको नींद से जगाकर ध्वज हटाने के लिए कहते हैं; परंतु धर्मांधोंद्वारा लगाए जानेवाले हरे ध्वज उनका रंग जानेतक भी हटाए नहीं जातें ! आज भी उस परिसर में प्रवेश करने पर दिखाई देनेवाली हरे ध्वजों की संख्या ध्यान आकर्षित कर लेती हैं।
ईद की अवधि में धर्मांध युवक उस क्षेत्र के मंदिरोंपर बूट पहनकर चढते हैं तथा हरे ध्वज एवं फलक लगाते हैं। (यदि किसी हिन्दूद्वारा धर्मांधों के आस्था के केंद्र का अनादर किया जाता, तो धर्मांधों नें दंगा प्रारंभ किया होता। इससे हिन्दुओं की आस्था केंद्रों की रक्षा होने तथा उनकी पवित्रता कायम रखने हेतु अब ‘हिन्दू राष्ट्र’ अर्थात ‘सनातन धर्म राज्य’ की आवश्यकता है, यही स्पष्ट होता है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
उस समय हिन्दू उनका प्रतिकार नहीं कर सकते; क्योंकि उनकी रक्षा के लिए न पुलिस, न राजनेता, न संगठन और न उनमें प्रतिकार का बल ! उस क्षेत्र में रहनेवाले हिन्दू इस प्रकार की दयनीय स्थिति में जी रहे हैं। इस स्थिति से बाहर निकल ने हेतु अब ‘हिन्दू राष्ट्र’ के बिना अन्य कोई विकल्प नहीं है, अन्यथा कुछ दिन उपरांत ‘हिन्दू’ कहलानेवाला वहां एक भी नहीं रहेगा !
तिलक लगाना छोड दिया; त्यौहार मनाना है तो, घर के अंदर ही अंदर !
धर्मांधों के कारण स्थानीय हिन्दुओं ने अब माथेपर तिलक लगाना भी बंद किया है। पहले हिन्दु महिलाओं का नागपंचमी, दीपावली, वटपूर्णिमा आदि त्यौहारों के निमित्त घर के बाहर आना जाना रहता था; परंतु अब हर २-४ कदमपर धर्मांधों की टोली खडी होती है। उनकेद्वारा की जानेवाली छेडखानी, अश्लील टिप्पणियों के कारण हिन्दु महिलाओं को त्यौहार अब घर के अंदर ही मनाने पड रहें हैं !
लव्ह जिहाद फैल रहा है !
इस परिसर में आज तक लव्ह जिहाद की अनेक घटनाएं हुई हैं। स्थानीकों को अबतक घटी न्यूनतम १५ घटनाओं की जानकारी है। स्थानीय लोग इससे अधिक हिन्दू लडकियों के इसमें फंसने की संभावना व्यक्त करते हैं !
अल्पायु लडकियों से लेकर विवाहित हिन्दू महिलाएं भी इस लव्ह जिहाद के जाल में फंस चुकी हैं। हाल ही में, ऐसे ही एक प्रकरण में फंसे एक लडकी को एक हिन्दुत्वनिष्ठ संगठन तथा आध्यात्मिक संस्था की सहायता से छुडाया गया।
१. हिन्दु लडकी अथवा महिला चाहे वह कितनी भी विरुप क्यों न हो, उसको फंसाना ही उनका काम है। यहां की ३५ वर्ष आयु की महिला एक धर्मांध के साथ भाग गई। उस महिला का पती उससे मारपीट करता था तथा उस अवधि में एक धर्मांध पुरुष उसकी पूछताछ कर उस महिला को मानसिक आधार देता था। (धर्मांधों की युक्ति ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात) धर्मांध ने उसकी परिस्थिति का लाभ उठाया। वह महिला अपने बच्चोंकों को छोडकर उस धर्मांध के साथ भाग गई !
२. उस क्षेत्र में १२-१३ वर्ष की लडकियों को भी धर्मांध अपने जाल में फंसा रहे हैं। उन लडकियों को फंसाने हेतु अथवा लव्ह जिहाद हेतु उन धर्मांधों के अल्पायु बच्चे भी उनकी सहायता कर रहे हैं !
३. विवाह सुनिश्चित हुई एक युवती को वहां के धर्मांधों ने भगाया। उसके पश्चात प्रतिदिन ४ धर्मांध उस लडकी के सामने आतंक जमाने हेतु खडे रहते थे। हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों की सहायता से उस लडकी की खोज करनेपर वह मिल गई; परंतु तबतक उस धर्मांध ने उस लडकीपर अत्याचार भी किए थे !
४. वहांपर लडकियों से सदैव छेडखानी की जाती है। वहां के सार्वजनिक शौचालयों में कोई भी मां अपनी लडकी को अकेली नहीं भेज सकती; क्योंकि कोई धर्मांध उस शौचालय का द्वार खोलकर अंदर आएगा, इसकी उस मां को आशंका होती है !
पुलिस से सहायता मांगनेवाले एक हिन्दू को ही पुलिसकर्मियों ने झूठे आरोंपों में फंसाया !
एक बार, हिन्दू एवं धर्मांध में हुए विवाद की जानकारी एक हिन्दू ने पुलिस को अवगत करा कर उनसे सहायता मांगी। पुलिसद्वारा उस घटना का दायित्व अन्य पुलिसकर्मियोंपर ढकेले जाने से वह हिन्दू उस संदर्भ में पूछने के लिए पुलिस थाने में गया। तब पुलिसकर्मियों ने उसपर झूठी धाराएं लगाकर आरोपों में फंसाया। अंततः उस हिन्दू को स्वयं ही जमानत दे कर बाहर आना पडा !
एक घटना में तो, पुलिसकर्मियों के सामने ही हिन्दू से की गई मारपीट के कारण पुलिस थाने की दीवारें भी खून से रंगीं थी !
दबाव में पुलिस !
उस परिसर में ऐसी कोई घटना होनेपर तथा कोई प्रकरण पुलिस थाने तक जानेपर कुछ ही समय में कुछ ही मिनटों के अंदर सैंकडों धर्मांधों की भीड इकट्ठा होती है तथा उससे पुलिसपर दबाव बनाया जाता है ! (हिन्दुओंपर अपनी दादागिरी दिखानेवाली पुलिस ऐसे समय क्यों चूप रहती है ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात) कोई अप्रिय घटना न हो, इसलिए पुलिस भी कभी प्रकरण के जड़ तक नहीं जाती !
आज भी केवल स्मरण से ही स्थानीय हिन्दुओं की आंख में पानी आनेवाला वो, वर्ष २००१ का दंगा !
उस परिसर में अनेक पुरातन एवं प्राचीन मंदिर तोडने का प्रयास किया गया। वर्ष २००१ में वहां बडा दंगा हुआ। इसकी यादें आज भी वहां के हिन्दुओं के मन में ताजा हैं। दंगा होने के पीछे कारण क्या ? तो होली जलाई जाने के समय एक धर्मांध ने एक बच्चे को उस होली में थूकने के लिए कहा। उससे यह दंगा भडका !
इस दंगे में श्री गणपति एवं श्री दुर्गादेवी की मूर्तियों को गालियां दे कर तोडी गईं। देवी की मूर्ति पर एवं मर्मांगोंपर तलवार से वार किए गए। उस दंगे में अनेक धर्मांध महिलाएं अपने लडकों को घर में छिपाकर रखी हुई शस्त्रों की आपूर्ति करतीं थी। धर्मांधोंद्वारा अपनी अनेक महिलाएं तथा छोटे बच्चों को दंगे से पहले सुरक्षित स्थानोंपर भेजा गया था। आज भी इस घटना का वर्णन करते समय स्थानियों की आंखे मूंद जाती हैं। दंगे के पश्चात अनेक दिनोंतक हिन्दू समूह बनाकर घूमते थे। तब वो हाथ में छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति लेकर आना जाना करते थे !
एक और घटना के संदर्भ में एक स्थानीय महिला ने बताया कि, पवित्र (?) रोजे के माह में जानबूझकर हिन्दू लडकों से झगडे किए जाते हैं। प्रतिदिन एक हिन्दू लडके से मारपीट करते ही हैं, अश्लील भाषा का उपयोग करते हैं तब जा के कहते हैं की, ‘आज का रोजा सफल हुआ’ !
एक हिन्दू लडके को विद्यालय छोडना पडा !
एक हिन्दू के घर के पडोस में ही हो रहे मदरसे के निर्माण कार्य को विरोध किया; परंतु फिर भी वहांपर मदरसे का निर्माण हुआ। धीरे-धीरे शेड खडी कर परिसर का विस्तार किया गया। उससे जैसे ही घर के सामने धर्मांधों की यातायात बढ गई, वैसे उस हिन्दू ने चिंता के कारण अपना घर छोडा और वह दूसरे किसी घर में रहने लगा। उनका लडका अध्ययन में बुद्धिमान था। उसका वर्तमान विद्यालय से नये घर से दूरीपर होने से उसने विद्यालय में विद्यालय छोडने हेतु आवेदन किया। तब उस विद्यालय ने उसको ले जाने तथा छोडने के लिए प्रबंध करने की सिद्धता दर्शाई; परंतु वह विद्यालय दूरीपर होने के कारण अंततः उस लडके ने उस विद्यालय को छोड दिया।
कुछ धर्मांध युवक हिन्दू लडकों को बुरी आदतों में फंसाते हैं, साथ ही हिन्दू लडकों में झगडे भी लगा देते हैं !
हिन्दू बेपारियों की दुकानें बंद करवा दी जाती हैं !
आज भी यहां हिन्दू बेपारियों की दुकाने बंद करने के प्रकरण होते हैं। हिन्दू बेपारी के दुकान के बाहेर धर्मांध समूह बनाकर खडे होते हैं तथा वो दुकान में आनेवाली महिलाओं की छेडखानी करना, उनसे अश्लील भाषा में बातें करने जैसे कृत्य कर उनको कष्ट पहुंताते हैं। धीरे-धीरे उस दुकान में ग्राहक आना अल्प होता है तथा उससे वह हिन्दू बेपारी अपना दुकान बंद करने पर विवश हो जाता है !
हिन्दूओं को आधार लगे ऐसा, राजनीतिक नेतृत्व नहीं !
इस परिसर में हिन्दुओं को आधार एवं विश्वसनीय ऐसा राजनीतिक नेतृत्व नहीं है। यहां के एक पार्षद की ही पुलिस थाने में ‘गुंडे’ के रुप में प्रविष्टी है ! हिन्दुओंपर होनेवाले अन्याय के विरोध में कोई आवाज नहीं उठाता। हिन्दुओं के चुनिंदा मतों का २-३ राजनीतिक दलों में विभाजन हुआ है। स्थानीय हिन्दू राजनेताओं के हिन्दुत्वनिष्ठ राजनीतिक दलद्वारा प्रत्याशीपत्र (चुनाव टिकट) न मिलनेपर उनको मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल-मुसलमीन (एमआयएम) दल का प्रत्याशीपत्र लेकर चुनाव लडने की चर्चा चल रही है। उस क्षेत्र में एमआयएम ने अपने हाथ-पैर फैलाना प्रारंभ किया है !
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात